अग्निवीर योजना को नए तरीक से सोचने की आवश्यकता है। ऐसा कहना है जदयू के महासचिव केसी त्यागी का। केसी त्यागी ने निजी न्यूज़ चैनल आज तक को दिए इंटरव्यू में कहा कि जदयू एनडीए सरकार के साथ मजबूती से खड़ी है। कुछ योजनाओं पर पार्टी का रुख पहले जैसा ही रहेगा जिसके लिए बातचीत का रास्ता अपानाया जाएगा।
पिछली भाजपा सरकार में अग्निवीर लागू किया गया था, साथ ही यूनिफार्म सिविल कोड और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यर्काल में लागू करने की बात कही गई थी। इस बार एनडीए सरकार में जदयू का कद बढ़ा है। अग्निवीर पर जदयू का क्या रुख होगा, इस पर केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी समन्वय बनाने का प्रयास करेगी।
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वह कहते हैं, “अग्निवीर योजना को नए तरीके से सोचने की आवश्यकता है। जो सुरक्षा कर्मी सेनाओं में तैनात थे, अग्निवीर योजना आने के बाद एक बड़े तबके में असंतोष था। मेरा ऐसा भी मानना है कि उनके परिवारजनों ने भी चनाव में इसका विरोध ज़ाहिर किया, लिहाजा इस पर नए तरीके से विचार, विमर्श करने की आवश्यकता है।”
“यूसीसी पर सबसे विचार कर रास्ता निकाला जाए”
यूनिफार्म सिविल कॉर्ड पर केसी त्यागी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि आयोग को चिट्ठी लिख कर कहा था की वह इसके खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसपर व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है। “इसमें जितने भी स्टेकहोल्डर हैं, राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, विभिन्न राजनीतिक पार्टी हैं, सबके साथ विचार विमर्श कर के कोई एकीकृत रास्ता निकालना चाहिए,” केसी त्यागी बोले।
इसके अलावा जदयू महासिचव ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर जदयू की सहमति की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी उसमें जदयू ने इस योजना पर सहमति जताई थी। इस कमेटी में केसी त्यागी ने जदयू का प्रतिनिधित्व किया था।
जदयू नेता ने कहा कि जदयू बिहार में लंबे समय से बड़ी ताकत के रूप में कार्यरत है। इस बार केंद्र सरकार में जदयू पार्टी एनडीए में एक मजबूत हिस्सेदार के तौर पर उभर कर आई है, यह प्रसन्नता की बात है।
कौन से मंत्रालयों की मांग करेगी जदयू
एनडीए की नई सरकार में जदयू किन मंत्रालयों को लेने में इक्छुक है, इस प्रश्न पर केसी त्यागी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय में जदयू के पास रक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय, उद्यान मंत्रालय और संचार मंत्रालय थे। इस समय परिस्थिति बदली हुई है। बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद बिहार की हालत काफी खराब हो चुकी थी।
आगे उन्होंने कहा कि लालू यादव के कुशासन के चलते अर्थ व्यवस्था चरमरा गई थी जिसके बाद जदयू की सरकार आई और राज्य की बुरी अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास किया। बीस साल से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग की जा रही है ताकि बिहार से पलायन को रोका जा सके। अभी भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना ही उनकी पार्टी का मुख्य लक्ष्य है। कौन सा मंत्रालय जदयू को दिया जाता है यह प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपसी विचार विमर्श से तय करेंगे, पार्टी की कोई शर्त नहीं है।
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