“पिछले साल हम लोग डीएम साहब से मांग किए थे कि हम लोगों को चू़ड़ा और पन्नी नहीं…पुनर्वास चाहिए। अभी तक कोई मांग पूरी नहीं हुई है। पूरा टोला नदी में कट गया है। बांध पर भी घर बनाने नहीं दिया जा रहा है। कोई नहीं सुनता है। ना मुखिया, ना सरपंच और ना अधिकारी।” सुपौल जिला स्थित मौजहा पंचायत के वार्ड नंबर 4 की सरिता देवी अपनी टूटी-फूटी हिन्दी में अपना दर्द बता रही थीं।
बाढ़ के पानी से होकर 8 अगस्त को कोसी नवनिर्माण मंच के झंडा तले सुपौल जिला स्थित निर्मली प्रखंड की डगमारा पंचायत, सराय गढ़ प्रखंड की ढोली पंचायत, मरौना प्रखंड की घोघररिया पंचायत और किशनपुर प्रखंड की बौराहा पंचायत के कोसी तटबंध के भीतर के गांवों के लोगों ने बाढ़ को बाढ़ साबित करवाने के लिए डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना दिया। धरना सुबह 11 बजे से शाम के 4 बजे तक चला। बीच बीच में बारिश हुई, पर इसके बावजूद लोग डटे रहे और धरना चलता रहा।
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कुछ दिन पहले कोसी नवनिर्माण मंच ने कोसी तटबंध के भीतर के गांवों में फैले पानी को बाढ़ घोषित करने, राहत बचाव का काम तेज करने और कटाव पीड़ितों को सरकारी ज़मीन पर बसाने के लिए डीएम सहित वरिष्ठ लोगों को 15 सूत्रीय ज्ञापन दिया था।
इस धरना प्रदर्शन में शामिल कार्तिक बताते हैं, “सरकार का एक विभाग है आपदा प्रबंधन विभाग, जो पूरे साल आपदा के लिए प्रबंधन, सभा, सेमिनार आदि करता है। लेकिन आपदा आने पर विभाग नदारद हो जाता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और मानवाधिकार का उल्लंघन है।”
धरना पर बैठे पीड़ित कहते हैं कि बाढ़ के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुरूप 5 दिन नदी के पानी से घिरे रहने वाले गांव बाढ़ पीड़ित होते हैं। लेकिन, महीने भर से बाढ़ की पीड़ा झेल रहे लोगों के प्रति प्रशासन संवेदनशील नहीं है।
200 से ज्यादा घर कट चुके
सुपौल जिला स्थित बरैया पंचायत स्थित मुंगरार गांव के वार्ड नम्बर 9 का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होता है, जिसमें महादेव का पूरा मंदिर कोसी नदी में कट जाता है। फिलहाल, इस गांव के पड़ोस के लगभग सभी गांवों में बाढ़ का पानी है। मुंगरार गांव के पूर्वी टोला के निवासी और पेशे से शिक्षक मुकेश उत्तम बताते हैं, “पश्चिमी टोले के लगभग डेढ़ सौ घर कोसी में कट चुके हैं। मगर, महज 20 से 25 परिवारों को पुनर्वास योजना के तहत घर मिले हैं। पूरा पश्चिम टोला सड़क पर या अपने रिश्तेदार के यहां ठहरा हुआ है।”
तटबंध के भीतर बसे बैरिया, घूरन, बलवा, तेलवा, गोपालपुर सिरे आदि पंचायतों के दर्जनों गांवों में नदी का पानी फैला हुआ है। बाढ़ का पानी लोगों के घर आंगन में फैल जाने के कारण तटबंध के अंदर से लोग पलायन कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिये हुए हैं। कई गांवों में पिछले एक-डेढ़ महीने से घर कटे हुए हैं जिसकी सूचना लगातार मीडिया व सोशल मीडिया पर भी आ रही है। अभी भी जलस्तर के घटने और बढ़ने का सिलसिला जारी है।
प्रशासन के मुताबिक, नदी के दोनों ही तटबंधों के सभी स्पर सुरक्षित हैं। कोसी तटबंध के भीतर के कई गांवों के लोग सड़क के किनारे घर बना कर रह रहे हैं। सरकार की तरफ से एक दो जगह कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गई है।
सुपौल में कोसी नदी का जलस्तर घटने के बाद हो रहे कटाव से सदर प्रखंड की बैरिया पंचायत स्थित वार्ड नम्बर नौ में स्थापित एक मंदिर कोसी के गर्भ में समा गया। pic.twitter.com/tO5vtTP4Pi
— Navnit Sinha (@NavnitSinha3) July 19, 2024
मौजहा पंचायत के नवीन सोशल मीडिया पर वीडियो बनाते है। वह बताते हैं, “प्रशासन की तरफ से नाव की व्यवस्था करने के लिए बोला जाता है, लेकिन इसकी कोई व्यवस्था नहीं रहती। लोग कहते हैं कि हम लोग जान-बूझकर उस गांव में रहते हैं। आप ही बताइए, कहां जाएं हमलोग? सरकार ने ही हमारे गांवों को बाढ़ तोहफा में देकर हमें घर बनाने के लिए जमीन तक नहीं दी।”
देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने जब कोसी नदी के दोनों किनारों पर तटबंध बनाने का प्रस्ताव रखा था, तो उन्होंने वादा किया था कि कोसी तटबंध के भीतर बसे गांव के लोगों का ध्यान रखा जाएगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। इस धरना-प्रदर्शन की अध्यक्षता भुवनेश्वर प्रसाद ने की। वह बताते हैं, “जिला पदाधिकारी की अनुपस्थिति में उप विकास आयुक्त से हमारी बातचीत हुई है। उप विकास आयुक्त ने पूरी मांगों को समझने के बाद जिला पदाधिकारी के आने के बाद उनसे कार्रवाई करने के लिए कहने का आश्वासन दिया है। इस धरना-प्रदर्शन से हम सरकार को यह बताना चाहते हैं कि अगर हमारी सहायता नहीं की गई, तो हम लोग आंदोलन करेंगे।”
कोसी नवनिर्माण मंच के मुताबिक, इस धरना प्रदर्शन में 12 सूत्रीय तात्कालिक व दीर्घकालीन मांगें रखी गई हैं।
क्या हैं मांगें
प्रदर्शन में सुपौल जिले के कोसी पूर्वी तटबंध और पश्चिमी तटबंध/ सुरक्षा बांध गाइड बांध के बीच के गांवों को बाढ़ घोषित कर, निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के तहत कार्य करने , जिन कटाव पीड़ितों के पास बसने को जमीन नहीं है, उन्हे सरकारी जमीन मुहैया कराने तथा पक्के व कच्चे घर का सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति देने की मांग की गई है। इसके अलावा, तटबंध के भीतर जहां गांव कट रहे हैं और जिन-जिन गांवों में जरूरत लग रही है , वहां कम्युनिटी किचन की व्यवस्था, मुफ्त साहायता राशि (G.R.) के तहत सभी बाढ़ पीड़ितों को 7000 रुपये का भुगतान, तटबंध के बीच के खेतों में फसलों की हुई क्षति का आकलन कर किसानों को मुआवजा देने, सभी घाटों पर अनुबंधित नावों पर बोर्ड/ फ्लेक्स लगवाने और जहाँ नावें नहीं हैं वहां नावों की व्यवस्था करने की मांग भी की गई है।
यही नहीं, कोसी तटबंध के बीच के लोगों का सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास देने, कोसी बाढ़ कटाव से विस्थापित होकर तटबंध/बांध या आसपास की जमीन में बसे लोगों का भी सर्वे कराकर पुनर्वासित करने, जिन परिवारों के पुनर्वास स्थलों पर दूसरे का कब्जा है, उन्हें और जिनका परिवार बढ़ने से पुनर्वास छोटा पड़ रहा है, उनको भी पुनर्वास देने की मांग की गई है।
इसके अलावा, तटबंध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए बने कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार की तलाश कर उसमें वर्णित कार्यकमों को धरातल पर उतरने की पहल करने, 4 हेक्टेयर तक के खेत के मालिकों से लगान वसूली नहीं करने, अब तक वसूल की गयी राशि व्याज सहित वापस करने, लगान मुक्ति कानून/आदेश लाकर सम्पूर्ण लगान व सेस माफ करने और साथ ही जमीन का मालिकाना हक किसानों के पास रहने देने की मांग की है।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कोसी की समस्या के निदान के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की मांग भी रखी।
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