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अररिया का वह शिव मंदिर, जहां पांडव ने किया था जलाभिषेक

अररिया के सुंदरनाथ धाम शिव मंदिर की, जो अररिया जिले के कुर्साकाटा प्रखंड की डुमरी पंचायत में स्थित है। इस मंदिर में रोजाना भारी संख्या में नेपाली श्रद्धालुओं के साथ भारतीय लोग भी जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।

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अररिया: बिहार और इसका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व काफी पुराना है। बिहार कभी सबसे अमीर और विविध जातीयता का केंद्र था। चाहे रामायण हो, महाभारत हो, या बौद्ध धर्म, इन सभी की बिहार की समृद्ध संस्कृति के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिहार में आज भी बौद्ध काल और महाभारत काल के मंदिर मौजूद हैं, जो अत्यंत लोकप्रिय हैं।

आज हम आपको महाभारत काल के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे दो देशों के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। हम बात कर रहे हैं अररिया के सुंदरनाथ धाम शिव मंदिर की, जो अररिया जिले के कुर्साकाटा प्रखंड की डुमरी पंचायत में स्थित है। इस मंदिर में रोजाना भारी संख्या में नेपाली श्रद्धालुओं के साथ भारतीय लोग भी जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।

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जानकारी के अनुसार इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। अज्ञातवास में पांडव और माता कुंती नेपाल के राजा विराट के यहां रुके थे और उन्होंने इसी मंदिर में जलाभिषेक कर शिव की आराधना की थी। महाभारत में भी इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि पांडवों का अज्ञातवास राजा विराट के इन्हीं क्षेत्र में गुजारा था इसलिए यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास है।


सुंदर नाथ धाम मंदिर के न्यासधारी महंत सिंघेश्वर गिरी ने भी इस बात की पुष्टि की कि यह मंदिर काफी पुराना है और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।

बताया जाता है कि पहले यह मंदिर एक झोपड़ी में था, जहां शिव की पूजा की जाती थी। साल 1935 में तत्कालीन पूर्णिया जिला के गढ़ बनेली के राजा कुलानंद सिंह ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था। उसके बाद साल 2003 में विराटनगर के उद्योगपति आसकरण अग्रवाल ने इस मंदिर का भव्य निर्माण कार्य शुरू करवाया था। लेकिन, किन्हीं कारणों से यह कार्य पूरा नहीं हो पाया। फिर 2005 में सिकटी के विधायक सह सुन्दरनाथ धाम के अध्यक्ष विजय कुमार मंडल ने लोगों के सहयोग से दोबारा मंदिर का निर्माण शुरू करवाया।

महंत सिंघेश्वर गिरी के अनुसार, इस मंदिर की एक मान्यता है कि यहां अमावस पर मंदिर से एक प्रकाश निकलता है जिसको यदा-कदा लोग देखते रहते हैं, साथ ही यहां बहुत बार जहरीले सांप शिवलिंग में लिपटे देखे गए हैं। इसके अलावा यहां अनगिनत लोगों की कामनाएं पूरी हुई हैं।

इस सुंदरी नाथ धाम से एक और इतिहास जुड़ा हुआ है कि सन् 1935 के पहले इस मंदिर पर नागा साधुओं का कब्जा हुआ करता था। लेकिन धीरे धीरे स्थानीय लोगों ने नागा साधुओं से मंदिर को मुक्त कराकर अपने कब्जे में ले लिया और इसमें भव्यता लाना शुरू किया। इसके पहले यह मंदिर फूस की झोपड़ी में था। इस मंदिर से एक और इतिहास जुड़ा हुआ है कि सैकड़ों साल पहले अपने भ्रमण काल के दौरान आदि गुरु शंकराचार्य भी इस धर्मस्थल से होकर यात्रा कर चुके हैं।

सुंदरनाथ मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता और भव्यता के कारण नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मंदिर के दर्शन किये थे। बता दें कि एक चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अररिया के फारबिसगंज पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भी सुंदरी नाथ मंदिर की चर्चा करते हुए की थी। उन्होंने कहा था, ,”इस मंदिर की जानकारी मुझे मिली है और यह मंदिर अपने आप में एक इतिहास है।”

इस प्रांगण में एक भव्य शिव मंदिर है, साथ ही माता पार्वती का भी मंदिर है। मंदिर से करीब एक बड़ा तालाब है, जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं और जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं। इस मंदिर के पास दूर से आए हुए अतिथियों के ठहरने के लिए अतिथि गृह भी बनाया गया है। मंदिर की भव्यता को देखकर लगता है कि किसी दूसरे प्रांत में आ गए हैं। क्योंकि अररिया के सबसे पिछड़े इलाके में इस तरह का भव्य मंदिर अपने आप में एक अपवाद है। मंदिर में सुरक्षा के भी के इंतजाम को देखते हुए सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं।

मंदिर में मौजूद आभास झा बताते हैं, “यहां उपनयन, मुंडन से लेकर विवाह तक कराया जाता है और जो श्रद्धालु यहां एक बार आता है, वह जीवन भर इस मंदिर के दर्शन करता ही रहता है।

शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भव्य मेला लगता है। तकरीबन 1 महीने तक चलने वाले इस मेले में आपको सिर्फ नेपाल के ही श्रद्धालु नजर आएंगे। मेले की खासियत है कि इसमें सारी नेपाल की करेंसी चलती है। नेपाली श्रद्धालु यहां नेपाली रुपए से सारी खरीदारी करते हैं। यहां तक कि मंदिर में चढ़ावे के रूप में भी नेपाली रुपये से लिये जाते हैं।

इससे प्रतीत होता है कि यह मंदिर भारत और नेपाल, दोनों देशों की आस्था का केंद्र है, जहां लोग बिना रोक-टोक के अंतरराष्ट्रीय सीमा के बंधन को तोड़ते हुए मंदिर में आते हैं और अपनी मनचाही मुराद पूरी करवाते हैं।

नेपाल सीमा क्षेत्र से सटे कुर्साकांटा में बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने इस एतिहासिक शिव मंदिर सुंदरधाम में जलाभिषेक किया था। साथ ही डिप्टी सीएम ने दो सप्ताह से अधिक दिनों तक चलने वाले मेले का भी उद्घाटन किया था। इस मौके पर डिप्टी सीएम ने कहा था कि इस मंदिर को शिव सर्किट से जोड़ा जाएगा और पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि बिहार समेत अन्य राज्यों और दूसरे देश के लोग भी इस मंदिर के इतिहास को जान सकें। पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने से इस इलाके में व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा।

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