सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर चिलचिलाती धूप में घंटों लाइन में खड़े इन बच्चों ने इसी साल मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की है, लेकिन ये यहाँ खड़े क्यों हैं?
दरअसल बिहार के किशनगंज जिले के शिक्षा पदाधिकारी ने एक पत्र जारी कर सभी हाई स्कूल्, प्लस टू स्कूल और मदरसों को निर्देश दिया है कि मैट्रिक और इंटर पास विद्यार्थियों को मार्कशीट्स और एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) तभी दिया जाये जब बच्चे Kushal Yuva Program यानी KYP में अपना रजिस्ट्रेशन करा लें।
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KYP क्या है?
आगे बढ़ने से पहले समझ लीजिए कि KYP है क्या। बिहार सरकार की सात निश्चय योजना में एक योजना है “आर्थिक हल, युवाओं को बल।” इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार कई स्तरों पर काम करती है। उन्हीं में से एक है “कुशल युवा कार्यक्रम।” इसके तहत कम से कम दसवीं पास और 15 से 28 वर्ष की उम्र सीमा के बीच के युवक-युवतियों को उनके कौशल विकास के लिए कंप्यूटर भाषा और बातचीत की बेसिक जानकारी दी जाती है, ताकि ये बच्चे आसानी से किसी रोजगार से जुड़ सकें। जिला स्तर पर इसकी देखरेख “जिला निबंधन व परामर्श केंद्र” द्वारा की जाती है।
Kushal Yuva Program यानी KYP के तहत कंप्यूटर कोर्स करने के लिए बच्चों को पहले अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है जो किसी भी सेंटर से किया जा सकता है, लेकिन रजिस्ट्रेशन के बाद पहचान पत्र, बैंक के कागजात, शैक्षणिक प्रमाणपत्र लेकर हर विद्यार्थी को जिला स्तरीय निबंधन व परामर्श केंद्र जाकर अपना रजिस्ट्रेशन वेरीफाई करवाना होता है।
यानी कि पूरे जिले के कोने कोने से बच्चों को एक ही जगह आना है। आप जिले के किसी भी कोने से हों अगर आप इस कोर्स को करने में इच्छुक हैं तो इस प्रक्रिया से गुजरना ही होगा। लेकिन किशनगंज शिक्षा विभाग के एक पत्र ने जिले के हज़ारों स्टूडेंट्स को दौड़-धूप करने को मजबूर कर दिया है।
अनिवार्य रजिस्ट्रेशन
साजिद आलम किशनगंज जिले के सुदूर प्रखंड टेढ़ागाछ से वेरिफिकेशन के लिए निबंधन व परामर्श केंद्र आये हुए हैं। वह सुबह से ही लाइन में लगे हैं। KYP के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते और न ही कम्प्यूटर कोर्स करने के इच्छुक हैं। वह सिर्फ स्कूल से मार्कशीट और एसएलसी चाहते हैं और इसके लिए लगभग 80 किलोमीटर का चक्कर लगा रहे हैं।
यज़दान आलम किशनगंज के मारवाड़ी कालेज से इंटर पास कर चुके हैं। आगे की पढ़ाई के लिए उसे कॉलेज से एसएलसी लेना ही होगा, लेकिन कॉलेज वाले KYP वेरिफिकेशन डॉक्यूमेंट मांगने लगते हैं। यजदान को आगे की पढ़ाई करनी है। कंप्यूटर कोर्स से उसे कोई मतलब नहीं, न ही उसे KYP के बारे में कुछ पता है।
लगभग ढाई घंटे से लाइन में खड़े अमन कुमार पानी को तरस रहे हैं, गर्मी से तप रहे बच्चों की परेशानी बता रहे हैं।
ठाकुरगंज का रहने वाला राईस रज़ा साफ़ लफ़्ज़ों में कहता है कि उसे यह कोर्स नहीं करना है, लेकिन स्कूल से अपना प्रमाण पत्र निकालने के लिए वह मज़बूरी में भागदौड़ कर रहा है।
इशरत के गांव के 30 किलोमीटर के दायरे में किसी तरह का KYP सेंटर नहीं है। वह चाहकर भी कंप्यूटर कोर्स नहीं कर सकेगी, लेकिन सिर्फ शिक्षा विभाग के फरमान के डर से रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के पेंच में फंसी हुई है।
NSUI के छात्र नेता अमन कहते हैं कि बिहार सरकार मात्र खानापूर्ति के लिए विद्यार्थियों को परेशान कर रही है, किशनगंज में यह योजना फेल हो चुकी है, लेकिन फिर भी सरकार को खुश करने के लिए बच्चों को परेशान कर जबरदस्ती KYP में संख्या बढ़ाई जा रही है।
क्या कहते हैं शिक्षा पदाधिकारी
इस पूरे मामले को लेकर मैं मीडिया की टीम ने किशनगंज डीएम से बात की तो डीएम ने साफ कह दिया कि ऐसा करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन उन्होंने इसका फायदा गिनाते हुए बताया कि इस योजना का लाभ सभी बच्चों को लेना चाहिये। जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्र को लेकर डीएम से आधिकारिक बयान नहीं मिलने पर मैं मीडिया की टीम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि KYP मामले में जिले की गति काफी धीमी थी, इसलिए ऐसा किया गया है। नतीजतन, लगभग 75% बच्चों ने अब तक अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।
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E galat tarika hai news ka.
Ye तुगलकी फरमान nhi students k favour me hi kiya gya h taki unka skill dvlp ho