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हेडमास्टर पद के लिए खींचतान में पिस रहे स्कूली बच्चे

किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दामलबाड़ी में शिक्षकों के बीच के विवाद के बाद जिला शिक्षा विभाग ने विद्यालय की एक महिला शिक्षिका सहित तीन शिक्षकों को अलग अलग विद्यालयों में ट्रांसफर कर दिया है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दामलबाड़ी में शिक्षकों के बीच के विवाद के बाद जिला शिक्षा विभाग ने विद्यालय की एक महिला शिक्षिका सहित तीन शिक्षकों का को अलग अलग विद्यालयों में ट्रांसफर कर दिया है। ये तीनों प्रधानाध्यापिका कुमकुम कुमारी, पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यपक मो. मुशर्रफ हुसैन और गोपाल राय हैं। अचानक हुए इस ट्रांसफर से उत्क्रमित विद्यालय दामलबाड़ी में सन्नाटा पसर गया है। सारा काम काज ठप पड़ा है। अभिभावक आ रहे हैं जा रहे हैं, मगर कार्यालय खाली पड़ा है।

प्रधान शिक्षिका सहित दो अन्य महत्वपूर्ण शिक्षकों के इस ट्रांसफर से सबसे ज्यादा परेशान मैट्रिक कंपार्टमेंटल परीक्षा देने वाले विद्यार्थी हो रहे हैं। ये बच्चे कई दिनों से स्कूल का चक्कर लगा रहे हैं, क्योंकि इनका ऑनलाइन आवेदन स्कूल के पोर्टल से ही किया जाना है लेकिन स्कूल में फ़िलहाल कोई भी हेडमास्टर नहीं होने के कारण स्कूल के बच्चे इधर उधर भटकने को मजबूर हैं। 10 अप्रैल 2023 उनके लिए आखिरी तारीख थी, मगर तब तक हेडमास्टर का कोई अता पता नहीं था और न ही कोई ऐसा व्यक्ति उपलब्ध था, जिससे सही जानकारी मिल सके।

वहीं, कक्षा नौवीं के कुछ बच्चे अपने रजिस्ट्रेशन को लेकर परेशान हैं। इन बच्चों का क्लास लाॅकडाउन के दौरान आगे बढ़ा दिया गया था। चूंकि बच्चे तैयार नहीं थे इसलिए इन बच्चों ने साल 2023 में मैट्रिक की परीक्षा नहीं दी। ये सभी बच्चे 2024 में मैट्रिक की परीक्षा देंगे, लेकिन वे रजिस्ट्रेशन को लेकर असमंजस में हैं और उन्हें रास्ता दिखाने वाला तक कोई नहीं है।


नौवीं कक्षा में नामांकन करने आई रिज़वाना ख़ातून बताती है कि वह अपने दोस्तों के साथ कई दिनों से चक्कर लगा रही है, लेकिन नौवीं में नामांकन को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं दी जा रही है। विद्यालय के शिक्षक बताते हैं कि अभी विद्यालय में कोई भी प्रधान शिक्षक नहीं है, इसलिए नामांकन मुमकिन नहीं है। “ज्यादातर लड़के दूर के हाईस्कूल में नामांकन ले चुके हैं, लेकिन दूर जाकर स्कूल करना हमारे लिए संभव नहीं इसलिए हमें इंतजार करना पड़ रहा है,” वह कहती हैं।

विद्यालय समन्वय समिति के सचिव मो. मुजीबुर्रहमान बताते हैं कि विद्यालय में जो भी बच्चे परेशान हैं, इन सबका जिम्मेदार जिला शिक्षा पदाधिकारी हैं।‌ उनके गलत फैसले के कारण ही बच्चे परेशान हैं।‌ आगे वह कहते हैं कि शिक्षिका कुमकुम कुमारी जबसे विद्यालय से जुड़े हैं, तभी से विद्यालय में विवाद शुरू हुआ है।

वहीं, स्थानीय वार्ड सदस्य के पति सोलित कुमार ने बताया कि प्रधान शिक्षिका के अलावा स्कूल के दो महत्वपूर्ण शिक्षकों का ट्रांसफर किया जाना बिलकुल सही फैसला नहीं है। इसका असर स्कूल पर पड़ता दिख रहा है।

विद्यालय समन्वय समिति के सदस्य अमीम अंसारी ने इस संबंध में 10 अप्रैल को जिला शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क किया, तो करीब दो बजे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर स्कूल पहुंचे और किसी शिक्षक को प्रधानाध्यापक बनाने की कवायद में लग गए।

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मगर, 10 अप्रैल तक उत्क्रमित विद्यालय दामलबाड़ी में कोई भी प्रधान शिक्षक नहीं था। वहीं, एक शिक्षक ने बताया कि यह पूरा विवाद नवंबर 2022 में प्रधान शिक्षक पद को लेकर शुरू हुआ था, जब वरीयता के आधार पर पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यापक मुशर्रफ हुसैन से पद छीनकर नियमों को ताक पर रखकर नवनियुक्त शिक्षक कुमकुम को प्रधान शिक्षिका का पद दिया गया था। “यह नियम के खिलाफ था क्योंकि उप सचिव शिक्षा विभाग पटना के ज्ञापांक 1500 दिनांक 22 – 7 – 2019 की कंडिका 8 में माध्यमिक शिक्षक/स्नातकोत्तर शिक्षक को प्रथम दो वर्ष परीक्ष्यमान अवधि मानते हुए प्रथम दो वर्ष में वरीयता का लाभ नहीं दिया जा सकता है,” उन्होंने कहा।

हालांकि 12 अप्रैल संध्या 6 बजे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विद्यालय पहुंच कर विद्यालय की शिक्षिका निलोफर खानम को को प्रधान शिक्षक के पद पर नियुक्त कर दिया। अब यह देखने वाली बात होगी कि विद्यालय से तीन मुख्य शिक्षकों के ट्रांसफर के बाद शिक्षण कार्य सहित कार्यालय के काम काज किस रफ्तार से की जाती है।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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