“यहां पर एक लेडी प्रिंसिपल हैं जिन को पूरा कार्यभार दे दिया गया है, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति सही नहीं है। बहुत टॉर्चर करती हैं सारे स्टूडेंट्स को।”
यह कहना है कटिहार के जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (GNM) पैरा मेडिकल प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ने वाली एक छात्रा शकुंतला (बदला हुआ नाम) का।
Also Read Story
दरअसल जीएनएम मेडिकल स्कूल में एक लेडी प्रिंसिपल है। उनके अलावा और कोई शिक्षक कॉलेज में मौजूद नहीं है। यहां तक कि छात्राओं के साथ हॉस्टल में भी वही रहती हैं। छात्राओं का आरोप है कि प्रिंसिपल अदिति सिन्हा की मानसिक स्थिति बिगड़ चुकी है जिस कारण वह छात्राओं को दिन-रात टॉर्चर कर रही हैं।
छात्राओं ने कई बार लिखित रूप से सिविल सर्जन से शिकायत भी की है लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
शकुंतला ने आगे बताया कि कॉलेज में किसी भी विषय के शिक्षक के ना होने के कारण पिछले 4 महीने से उनकी पढ़ाई शुरू तक नहीं हो पाई है।
प्राचार्य अदिति सिन्हा की मानसिक स्थिति के बारे में बात करते हुए शकुंतला कहती हैं कि उनकी मानसिक स्थिति को देखते हुए कुछ दिन पहले उनकी मां रात 2 बजे उन्हें हॉस्टल से ले गई हैं। जब छात्राओं ने उनकी मां को उन्हें कॉलेज में ना रखने की सलाह दी तो उन्होंने बात को टाल दिया।
शकुंतला ने मैं मीडिया को आगे बताया कि प्राचार्य का इलाज भी चल रहा है और वह कभी-कभी दवा भी खाती है, लेकिन जब दवा नहीं खाती है तब ऐसी स्थिति बन जाती है कि वह दिन रात पूरे हॉस्टल में चीखती चिल्लाती हैं और बात बात पर छात्राओं का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने और उन्हें फेल करने की धमकियां देती हैं।
अन्य छात्राओं ने ‘मैं मीडिया’ को प्राचार्य की कुछ वीडियो भी शेयर की, जिसमें कथित तौर पर वह लड़कियों के हाथ से खाने की प्लेट छीनते हुए और चिल्लाते व धमकाते हुए दिख रही हैं। मैं मीडिया उक्त वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
फिलहाल 48 छात्राओं ने फिर से CS डीएन झा और कटिहार सांसद दुलाल चंद्र गोस्वामी को शिकायत पत्र लिखा है। साथ ही डीएम ऑफिस जाकर छात्राओं ने एक आवेदन दिया है। इस आवेदन पर कार्रवाई करते हुए डीएम उदयन मिश्रा ने एक कमेटी गठित की है।
इन्हीं छात्राओं में से एक अन्य छात्रा सुमन (बदला हुआ नाम) ने मैं मीडिया को बताया कि प्राचार्य रात में किसी भी समय उनका दरवाजा खटखटा कर कमरा खुलवाती हैं और उनकी तस्वीरें खींचना शुरू कर देती हैं। साथ ही टॉयलेट, बाथरूम में भी जबरदस्ती उनकी फोटो लेती हैं और सीएस को तस्वीरें दिखाने की धमकी देती हैं।
“वह तड़के 4-5 बजे कभी भी रूम का दरवाजा खटखटाती हैं। गेट खोलने पर या तो फोटो खींचती हैं या फिर अगर कोई लड़की वॉशरूम गई है या कहीं भी गई है बाथरूम वगैरह, तो वह अंदर जाकर उसका फोटो खींचती है और बोलती हैं कि यही फोटो सीएस सर को दिखाएंगे रुक जा,.. तू रुक जा,” सुमन ने कहा।
उक्त छात्रा ने बताया कि उन्हें एक कैदी की तरह पूरे समय ताले में बंद कर रखा जाता है। बिजली की कोई सही व्यवस्था नहीं है, कोई जनरेटर भी नहीं है। बिजली जाने पर वे लोग अंधेरे में कमरे में ही बंद रहते हैं। उन्हें अपने कमरे से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं होती।
सुमन ने पानी को लेकर बताया, “हॉस्टल में पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। पानी लेने के लिए हमें बॉयज हॉस्टल जाना पड़ता है, लेकिन रात में हम वहां भी नहीं जा सकते हैं इसलिए रात भर प्यासे ही रहना पड़ता है। हॉस्टल का वाटर प्यूरीफायर खराब हो गया था तो हम छात्राओं से ही पैसे इकट्ठा कर उसे ठीक करवाया गया था, लेकिन वह कुछ ही दिनों में दोबारा खराब हो गया इसलिए अब हम पीने के पानी के लिए परेशान फिरते हैं।”
वे आगे कहती हैं, “हमारे कॉलेज और हॉस्टल दोनों के ही वॉशरूम की हालत बहुत खस्ता है। यहां पानी के नल काम नहीं करते, सिंक और वाश बेसिन वगैरह भी खराब पड़े हुए हैं।”
एक अन्य छात्रा देविका (बदला हुआ नाम) ने हॉस्टल की सिक्योरिटी को लेकर भी काफी चिंताजनक बातें बताईं। उसने कहा, “यहां पर कोई महिला वॉर्डन या गार्ड नहीं है। पहले दो महिला गार्ड आई थी लेकिन प्रिंसिपल मैडम के रवैए की वजह से वह भी रिजाइन देकर चली गई हैं। सिक्योरिटी इतनी खराब है कि कुछ दिन पहले हॉस्टल में एक लड़का घुस आया था, जो शोर मचाने पर हॉस्टल की ग्रिल से कूदकर भाग गया।”
छात्राएं पहले भी कई बार इसके बारे में सिविल सर्जन से शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन हर बार उनके आवेदन को रद्द किया जाता रहा है। जब छात्राओं ने CS से पहले शिकायत की, तो उनसे बोला गया प्रिंसिपल के बहुत सारे लोग सदर में है, वह बहुत मजबूत बैकग्राउंड से आती हैं। वे लोग प्राचार्य के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते।
उसके बाद दोबारा आवेदन देने पर छात्राओं को कहा गया कि वे अपनी प्रिंसिपल से ही एप्लीकेशन पर साइन करवा कर उसे सिविल सर्जन के पास फॉरवर्ड कराती हैं, तभी उनकी एप्लीकेशन पर कार्रवाई की जाएगी। यानी प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रिंसिपल से ही मंजूरी लेने को कहा गया।
देविका बताती हैं, “पहले हम 5-6 लड़कियां सारे स्टूडेंट से साइन करवा कर गई थी सीएस ऑफिस। उस समय सर ने कहा कि जो वहां के प्रिंसिपल हैं उनको एप्लीकेशन दिया जाए। अगर वह एप्लीकेशन फॉरवर्ड करती हैं, तो ही वह कुछ करेंगे। अब हम लोग प्रिंसिपल के खिलाफ ही तो एप्लीकेशन दे रहे हैं, बोला जा रहा है उन्हीं से साइन करवाने के लिए तो वह कैसे करेंगी?”
मैं मीडिया ने आरोपी शिक्षिका अदिति सिन्हा से भी उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात नहीं की और बीच में ही फोन काट दिया।
इसके बाद मैं मीडिया को जानकारी मिली कि 31 अगस्त को छात्राओं द्वारा दिए गए आवेदन को सिविल सर्जन ने रद्द कर दिया है।
फिर मैं मीडिया ने सिविल सर्जन डीएन झा से भी बात की। उन्होंने कहा, “इस मामले में डीएम के कहने पर हमने एक कमेटी बनाई है। कमेटी के सदस्य मामले की जांच करेंगे और उनके द्वारा सुनाया गया फैसला स्वीकार किया जाएगा।”
छात्राओं द्वारा दिए गए आवेदन को रद्द करने के सवाल पर वे कहते हैं, “इतनी सारी छात्राओं का ग्रुप में निकल कर आवेदन देना सही नहीं लगता है। रास्ते में अगर कोई दुर्घटना घटती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा ? इसीलिए मैंने उनसे कहा कि यह सही तरीका नहीं है।”
पश्चिम बंगाल में इस्लामपुर जिले की मांग क्यों हो रही है?
क्या है मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना, किसान कैसे ले सकते हैं इसका फायदा
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।