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स्टेट हाईवे-99 चौड़ीकरण: भूदाताओं ने की बाजार दर पर मुआवजे की मांग

किशनगंज जिले के भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के दिघलबैंक से बहादुरगंज के रास्ते बायसी तक बनने वाले स्टेट हाइवे-99 के चौड़ीकरण को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।

Md Akil Alam Reported By Md Akil Aalam |
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विमान विश्वास और गौतम विश्वास की 90% जमीन स्टेट हाईवे-99 के चौड़ीकरण के लिए ली जा रही है। वे सरकार से पुनर्वास की जगह नकद मुआवजा चाहते हैं, ताकि वे अपनी पसंद की जगह जाकर जमीन खरीद सकें।

वे कहते हैं, “हम ऐसी जगह पर पुनर्वास नहीं चाहते हैं, जहां हमारे मित्र और रिश्तेदार नहीं हैं। सरकार जहां पुनर्वासित करेगी, वहां हमें बाहरी समझा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर किसी से मदद नहीं मिलेगी।”

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पुनर्वासन की जगह मुआवजे की मांग के अलावा उनकी एक और मांग है। वे बाजार दर पर जमीन का मुआवजा चाहते हैं, लेकिन सरकार ने जो मुआवजा तय किया है, वह बाजार दर से काफी कम है।


सरकारी मुआवजा प्रति एकड़ लगभग 6 लाख रुपए है जबकि स्थानीय लोगों के साथ बातचीत में जमीन का भाव फिलहाल 5 से 6 लाख रुपए प्रति कट्ठा चल रहा है।

एक एकड़ में 32 कट्ठा होता है यानी कि सरकार ने जो मुआवजा तय किया है, वह प्रति कट्ठा 18750 रुपए है।

बाजार दर पर मुआवजा देने की मांग एक दो परिवार नहीं कर रहा है, बल्कि  अपनी जमीन देने वाले कमोबेश सभी 1308 परिवारों की मांग यही है।

गौरतलब हो कि किशनगंज जिले के भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के दिघलबैंक से बहादुरगंज के रास्ते बायसी तक बनने वाले स्टेट हाइवे-99 के चौड़ीकरण को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। सड़क के विस्तार में दिघलबैंक प्रखण्ड अंतर्गत जनता हाट, तुलसिया नया बाजार, तुलसिया पुराना बाजार, टप्पू हाट, हरवाडांगा में सैकड़ों दुकान, मकान और स्कूल हटाना होगा। लेकिन, मुआवजे को लेकर अब भी गतिरोध बना हुआ है।

state highway 99 at dighalbank

क्या है परियोजना

स्टेट हाइवे-99 के चौड़ीकरण के लिए किशनगंज जिले के बहादुरगंज अंचल में 18.3580 एकड़ और दिघलबैंक अंचल में 27.0932 एकड़ अर्थात कुल 45. 4512 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है।

फिलहाल, यह सड़क लगभग 3.75 मीटर चौड़ी और किशनगंज जिले में इसकी लंबाई 65.580 किलोमीटर है। वाहनों की बढ़ती संख्या और स्टेट हाइवे–99 के महत्वपूर्ण संपर्क पथ होने के चलते बिहार सरकार ने इसकी चौड़ाई बढ़ाने का निर्णय लिया है।

1308 परिवार होंगे प्रभावित

सामाजिक प्रभाव आकलन प्रतिवेदन पर जन-सुनवाई रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व में किशनगंज पूर्णिया जिलान्तर्गत अनुमंडल था, कालांतर में 14 जनवरी 1990 को जिला घोषित हुआ।

किशनगंज जिले की 90.32 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 9.68 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। जिले में कुल मिलाकर 802 गांव हैं, वहीं, परियोजना वाले बहादुरगंज एवं दिघलबैंक प्रखंड में कुल 202 गांव हैं, जहां (2011 की जनगणना के अनुसार) कुल 60705 परिवार रहते हैं।

स्टेट हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर मंगुरा पंचायत सरकार भवन में बीते 29 सितम्बर को शिविर का आयोजन किया गया था। मुआवजे को लेकर उप महा निदेशक अभिषेक कुमार, डीजीएम मुकेश कुमार ने बताया कि सड़क चौड़ीकरण के रास्ते में आने वाली निजी जमीन, मकान, पेड़ पौधे, चापाकल आदि पर सरकार मुआवजा देगी। अगर कोई व्यक्ति सरकारी जमीन में मकान या दुकान बनाकर अपनी रोजी रोटी चला रहा है, तो ऐसे लोगों को भी सहायता के रूप में मुआवजा राशि दी जाएगी ताकि व्यक्ति को रोजगार का विकल्प मिल सके।

अधिग्रहित होने वाली जमीन खेतिहर है या फिर अवासीय, यह सर्वे के आधार पर तय होगा और उसी के अनुसार अलग-अलग मुआवजा राशि तय की जाएगी।

सामाजिक प्रभाव आकलन प्रतिवेदन के अनुसार, कुल 1308 जमीन मालिकों से स़ड़क के लिए जमीन ली जाएगी। इन परिवारों में से 791 परिवार अन्य पिछड़ा वर्ग, 453 परिवार सामान्य वर्ग 57 परिवार अनुसूचित जाति और 7 परिवार अनुसूचित जनजाति से आते हैं।

सड़क के लिए जिन परिवारों से जमीन ली जा रही है, उनमें से 913 परिवारों की जमीन पर खेती होती है। इनमें से 894 परिवारों का कहना है कि उनकी जमीन पर कम से कम दो फसलें की खेती होती है। वहीं, 19 जमीन मालिकों ने अपनी जमीन बहू फसली होने की बात कही।

टूटेंगे मकान, स्कूल, दुकान

कुल 1308 परिवारों में से 651 परिवारों के पास मकान हैं। इनमें से 187 परिवारों के पक्के मकान, 194 परिवारों के मिले-जुले मकान और 270 परिवारों के कच्चे मकान हैं। इसके अलावा कई परिवार उक्त जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियां चला रहे हैं। वहीं, 773 अर्थात 50.09 प्रतिशत परिवार बीपीएल राशनकार्ड धारी, 501 यानी 38.30 प्रतिशत एपीएल कार्डधारी जबकि 34 परिवारों के पास कोई कार्ड नही हैं।

सड़क चौड़ीकरण में एक स्कूल भी टूटेगा, हालांकि स्कूल के पास पर्याप्त जमीन है, तो बताया जा रहा है कि स्कूल सड़क से कुछ पीछे ही बनेगी। वहीं, इस प्रोजेक्ट में कुछ धार्मिक स्थल भी आ सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, धार्मिक स्थलों का अन्यत्र निर्माण किया जाएगा।

क्या कहते हैं स्थानीय नेता व जमीन दाता

तुलसिया पंचायत के मुखिया जैद अजीज ने बताया कि तुलसिया जनता हाट से तुलसिया चौधरी बस्ती डोम सड़क तक सड़क के बीच सेंटर से सड़क के दोनों तरफ 7.5 मीटर जमीन ली जानी चाहिए क्योंकि यहां घनी आबादी और मुख्य बाजार है।

Tulsia panchayat mukhiya Zaid Aziz

दिघलबैंक के पूर्व प्रमुख व भूमिदाता ब्रज मोहन झा ने बताया कि सड़क के सर्वे के समय सरकारी कर्मी और जमीन दाताओं में आपसी समन्वय स्थापित कर सड़क चौड़ीकरण पर सहमति बनी थी।

लेकिन, दिघलबैंक प्रखंड मुख्यालय में एक ही बैठक हुई, जिसमें जमीन दाता को आश्वासन दिया गया कि वे सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण बातचीत और समन्वय स्थापित कर करेंगे।

झा का आरोप है कि पूर्व में जितनी जमीन का अधिग्रहण तय हुआ था, उससे ज्यादा जमीन ली जा रही है।

उन्होंने कहा, “मुख्य रूप से जहां बाजार, स्कूल, मंदिर और मस्जिद है, वहां बीच सेंटर से 7.5 मीटर और खुली जगह पर 9 मीटर तक जमीन ली जाए। लेकिन, अभी जानकारी मिली है कि बीच सेंटर से 12 मीटर जमीन ली जाएगी।

मुआवजे को लेकर उन्होंने बताया कि मुख्य सड़क के नजदीक की जो जमीन ली जाएगी, उसका मुआवजा सरकारी दर से नहीं बल्कि बाजार मूल्य के हिसाब से मिलना चाहिए।

land owner ex peamukh brij mohan jha

कुछ परिवारों का यह भी कहना है कि जमीन अधिग्रहण के लिए कोई सरकारी अधिकारी ने अब तक संपर्क नहीं किया है।  

“स्टेट हाईवे के लिए जमीन अधिग्रहण में हमारी भी जमीन जाने वाली है। लेकिन, जमीन अधिग्रहण को लेकर सरकारी अधिकारियों ने आज तक मुझसे संपर्क नहीं किया और ना ही किसी भी प्रकार के कागजात पर हस्ताक्षर करवाए गए।” “जिन खाताधारियों की जमीन स्टेट हाईवे में जा रही है, उनसे मिलकर, बातचीत कर आपसी समहति से मामले का निपटारा किया जाना चाहिए,” प्रणव मिश्रा कहते हैं।

जमीन अधिग्रहण को लेकर हुई जनसुनवाई में प्रभावित परिवारों की मांगों को लेकर अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि प्रभावित परिवार बाजार मूल्य पर मुआवजा चाहते हैं। इस रिपोर्ट पर सरकार का रुख आना अभी बाकी है।

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Md Akil Alam is a reporter based in Dighalbank area of Kishanganj. Dighalbank region shares border with Nepal, Akil regularly writes on issues related to villages on Indo-Nepal border.

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