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बिहार में राज्य जलवायु वित्त प्रकोष्ठ बनेगा, नवीकरणीय ऊर्जा नीति शुरू होगी

बिहार सरकार ने अपने जलवायु वित्त और सतत विकास लक्ष्यों को गति देने के लिए कई पहलों की घोषणा की है। इसमें वित्त विभाग के अंतर्गत एक जलवायु वित्त प्रकोष्ठ का गठन और नवंबर में राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा नीति को अंतिम रूप देना शामिल हैं।

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state climate finance cell will be formed in bihar, renewable energy policy will start

बिहार सरकार ने अपने जलवायु वित्त और सतत विकास लक्ष्यों को गति देने के लिए कई पहलों की घोषणा की है। इसमें वित्त विभाग के अंतर्गत एक जलवायु वित्त प्रकोष्ठ का गठन और नवंबर में राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा नीति को अंतिम रूप देना शामिल हैं। ये घोषणाएँ 28 अक्टूबर, 2024 को वित्त विभाग द्वारा डब्ल्यूआरआई इंडिया के सहयोग से आयोजित बिहार जलवायु वित्त शिखर सम्मेलन में की गईं।


बिहार के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने संबोधन में जलवायु वित्त को सुरक्षित करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अविभाजित बिहार में झारखंड का राजस्व में 87% योगदान था, जबकि बिहार का केवल 13%। इसके बावजूद वर्तमान सरकार ने आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए वित्तीय संसाधनों को जुटाने में सफलता पाई है। उन्होंने प्रदेश के हरित आवरण को 10% से बढ़ाकर लगभग 16% करने की उपलब्धि को रेखांकित किया और सौर ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन, तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने का ज़िक्र किया।

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वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने जलवायु वित्त प्रकोष्ठ के गठन की घोषणा की। उन्होंने बताया, “राज्य सरकार की मंजूरी मिलने के बाद हम वित्त विभाग के अंतर्गत जलवायु वित्त प्रकोष्ठ स्थापित करेंगे। इसका उद्देश्य हरित या जलवायु-संबंधित परियोजनाओं की पहचान करना, वित्त पोषण सुनिश्चित करना, अन्य विभागों को जलवायु वित्त तक पहुँचने में सहायता प्रदान करना और इन पहलों का पर्यवेक्षण व मूल्यांकन करना होगा।”


मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार ने इस प्रस्ताव की सराहना की और सरकार की पहलें जैसे गया में फल्गु नदी पर रबर डैम का निर्माण और राजगीर, गया, और नवादा शहरों के लिए गंगा जल लिफ्ट योजना का उदाहरण दिया। उन्होंने भूजल दोहन और पेड़ों की कटाई पर नियंत्रण की आवश्यकता पर भी बल दिया और प्राथमिक शिक्षा में पर्यावरण अध्ययन को शामिल करने की वकालत की।

विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि बिहार उन 25 राज्यों में से एक है, जिनके पास नई राज्य जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना है। उन्होंने हरित बजट घटक को 7% से 10% तक बढ़ाने और जल जीवन हरियाली व बिहार विकास मिशन के तहत हो‌ रहे प्रयासों का उल्लेख किया।

ऊर्जा विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने नई नवीकरणीय ऊर्जा नीति को नवंबर में पेश करने की बात कही और बताया कि कृषि फीडरों का 33% हिस्सा पहले ही सौर ऊर्जा से जोड़ा जा चुका है।

पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने नीति को वित्त पोषण से जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित लेन-देन पर उपकर या शुल्क लगाने पर विचार कर सकती है, जिससे प्राप्त धनराशि हरित परियोजनाओं में निवेश हो सके।

परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने हरित परियोजनाओं के लिए विशेष बजट आवंटन की वकालत की। उन्होंने कहा कि मौजूदा आवंटन से धनराशि निर्धारित करने के बजाय इन परियोजनाओं के लिए एक अलग प्रतिशत निधि निर्धारित करनी चाहिए। उन्होंने निजी क्षेत्र को जलवायु वित्त में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने नेपाल में 27-28 सितंबर को 400 मिमी से अधिक वर्षा की घटना का जिक्र करते हुए जलवायु आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि बाढ़ पूर्वानुमान में उनकी प्रणाली प्रभावी साबित हुई, लेकिन बाढ़ को रोकने के प्रयास और भी आवश्यक हैं।

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के उपाध्यक्ष उदय कांत मिश्रा ने बाढ़ सुरक्षा और शहरी बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए बीएसडीएमए द्वारा इसरो और आईआईएससी के साथ मिलकर किए गए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने ‘डिजिटल ट्विन’ तकनीक का भी उल्लेख किया।

शहरी विकास और आवास विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने वित्त और शहरी विकास विभाग के समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने पटना में अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं, गंगा किनारे सीवेज उपचार संयंत्र, और वर्षा जल संचयन पर भी चर्चा की। उन्होंने ग्रीन बॉन्ड और कार्बन क्रेडिट जैसे वित्तीय उपकरणों के उपयोग में निजी क्षेत्र की सहायता की जरूरत बताई।

पटना के विकास आयुक्त मयंक वरवड़े ने राज्य के नेट ज़ीरो लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रक्रिया का उल्लेख किया और बताया कि जमीनी स्तर पर प्रयास जारी हैं और प्रगति भी देखी जा रही है।

मुख्य वन संरक्षक एस चंद्रशेखर ने हरित आवरण बढ़ाने के प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने वन क्षेत्रों में वनरोपण और कृषि वानिकी को बढ़ावा देने पर जोर दिया।

डब्ल्यूआरआई इंडिया की उल्का केलकर ने आगामी अज़रबैजान CoP 29 के संदर्भ में इस कार्यशाला की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने इसे बिहार के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप जलवायु वित्त की पहल को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच बताया।

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