बिहार के पूर्णिया स्थित रुपौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में राजद की बीमा भारती, जदयू के कलाधर प्रसाद मंडल और निर्दलीय शंकर सिंह के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला हो रहा है। रुपौली सीट पर उपचुनाव के लिये 10 जुलाई को मतदान होगा।
रुपौली सीट जदयू की विधायक बीमा भारती के इस्तीफे से खाली हुई है। बीमा भारती ने इस्तीफा देकर राजद के टिकट पर पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उनकी हार हुई थी।
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रुपौली सीट की बात करें तो वर्ष 2000 से ही बीमा भारती इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
रुपौली सीट के बारे में
रुपौली विधानसभा सीट पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आती है। इस विधानसभा क्षेत्र में भवानीपुर और रुपौली प्रखंड शामिल हैं। रुपौली विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की तादाद तीन लाख से ऊपर है।
रुपौली विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक संख्या मंडल वोटरों की है, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते हैं।
अनुमान के मुताबिक़, रुपौली विधानसभा क्षेत्र में क़रीब 25 प्रतिशत मंडल वोटर हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर 12 प्रतिशत, अपर जातियों के वोटर 12 प्रतिशत, यादव वोटर 5 प्रतिशत, एससी वोटर तक़रीबन 12 प्रतिशत और एसटी वोटर 2 प्रतिशत हैं।
बीमा भारती और कलाधर प्रसाद मंडल दोनों ही अतिपिछड़ी गंगोता (मंडल) जाति से आते हैं, जबकि शंकर सिंह राजपूत हैं।
रुपौली सीट का इतिहास
1951 में जब देश में पहली बार चुनाव हुआ तो उस समय रुपौली विधानसभा सीट पर भी चुनाव हुआ था। 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के मोहित लाल पण्डित, 1957 तथा 1962 में कांग्रेस के ब्रज बिहारी सिंह, 1967 में सीपीआई के छविनाथ शर्मा, 1969 तथा 1972 में कांग्रेस के आनन्दी प्रसाद सिंह और 1977 में जनता पार्टी के शालीग्राम सिंह तोमार रुपौली सीट से विधायक चुने गये।
इसी प्रकार, 1980 तथा 1985 में कांग्रेस के दिनेश कुमार सिंह, 1990 में निर्दलीय सर्युग मंडल तथा 1995 में सीपीआई के बाल किशोर मंडल विधायक बने। 2000 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बीमा भारती रुपौली की विधायक बनीं। फरवरी 2005 के चुनाव में लोजपा के टिकट पर शंकर सिंह चुनाव जीते।
नवंबर 2005 के चुनाव में राजद के टिकट पर एक बार फिर बीमा भारती विधायक चुनी गईं। 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में बीमा भारती जदयू के टिकट पर रुपौली सीट से विधायक चुनी गईं।
2020 का विधानसभा चुनाव
2020 के विधानसभा चुनाव में रुपौली सीट पर जदयू (भाजपा समर्थित) की बीमा भारती और लोक जनशक्ति पार्टी के शंकर सिंह के बीच मुक़ाबला हुआ था, जिसमें बीमा बारती की जीत हुई। सिंह से करीब तीन हज़ार वोट कम लेकर सीपीआई (राजद समर्थित) के विकास चंद्र मंडल तीसरे स्थान पर रहे थे।
चुनाव में बीमा भारती को 64324, शंकर सिंह को 44994 और विकास चंद्र मंडल को 41963 वोट हासिल हुए थे।
राजद उम्मीदवार बीमा भारती
उपचुनाव में रुपौली सीट पर विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की तरफ से राजद के टिकट पर बीमा भारती चुनाव लड़ रही हैं। बीमा भारती पहली बार वर्ष 2000 में रुपौली सीट से निर्दलीय विधायक चुनी गई थीं। बाद में उन्होंने राजद का दामन थाम लिया था।
49 वर्षीय बीमा भारती के पास 2 करोड़ 55 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति है। उनके ऊपर 16 लाख 56 हज़ार रुपये का बैंक क़र्ज़ है। वहीं, उनके पति अवधेश मंडल के पास 1 करोड़ 11 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति है। बीमा भारती के खिलाफ रुपौली थाने में एक और भवानीपुर थाने में दो मुक़दमे दर्ज हैं।
जदयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल
रुपौली विधानसभा उपचुनाव में एनडीए गठबंधन की तरफ़ से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर कलाधर प्रसाद मंडल चुनाव लड़ रहे हैं।
कलाधर प्रसाद मंडल 2001 से 2006 तक भवानीपुर प्रखंड की सोनमा पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। सोनमा पंचायत के आरक्षित होने के बाद कलाधर मंडल ने अपनी पत्नी जानकी देवी को बगल की पंचायत वसंतपुर चिंतामनी उसकाबरी से मुखिया पद के चुनाव में उतारा, जिसमें उनकी जीत हुई। जानकी देवी 2016 से 2021 तक मुखिया रहीं। लेकिन, 2021 में वह पंचायत चुनाव हार गईं।
कलाधर प्रसाद मंडल 2020 के विधानसभा चुनाव में रुपौली सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें 6,197 वोट लाकर वह चौथे स्थान पर रहे थे।
वह 2007 से नियोजित शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे। लेकिन, 2020 में शिक्षक के पद से इस्तीफ़ा देकर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा।
59 वर्षीय कलाधार प्रसाद मंडल के ख़िलाफ़ कोई भी आपराधिक मुक़दमा दर्ज नहीं है। उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है। उनके पास 89 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है। वहीं, उनकी पत्नी के पास 3 लाख रुपये की संपत्ति है।
निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह
उपचुनाव में रुपौली सीट के पूर्व विधायक शंकर सिंह भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं। शंकर सिंह वर्ष 2000 से लगातार यहाँ से चुनाव लड़ रहे हैं।
शंकर सिंह फ़रवरी 2005 में रुपौली विधानसभा से लोजपा के टिकट पर विधायक बने थे। हालांकि, नवंबर 2005 में उनकी हार हो गई थी। वह छह बार रुपौली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
2010 के विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह राजद समर्थित लोजपा के उम्मीदवार थे। चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, 2015 में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा, जिसमें वह तीसरे स्थान पर आये थे।
इसी तरह, बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में लोजपा ने उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया, जिसमें 44,994 वोट लाकर वह दूसरे स्थान पर थे।
रुपौली विधानसभा उपचुनाव से ठीक पहले उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से इस्तीफा दे दिया।
शंकर सिंह के विरुद्ध पटना और पूर्णिया के विभिन्न थानों में कुल 9 मुक़दमे दर्ज हैं। उन्होंने 9वीं तक पढ़ाई की है। शंकर सिंह के पास 36 लाख 62 हज़ार रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति है। उनकी पत्नी जिला परिषद सदस्य प्रतिमा सिंह के नाम पर क़रीब 2 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति दर्ज है।
13 उम्मीदवारों ने किया है नामांकन
रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिये 10 जुलाई को मतदान होगा। रुपौली सीट पर हो रहे उपचुनाव में कुल 13 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है, जिसमें सात निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं। एक निर्दलीय प्रत्याशी नीलम देवी का नामांकन रद्द हो गया है।
निर्दलीय प्रत्याशियों में लालू प्रसाद यादव, अरबिन्द कुमार सिंह, शंकर सिंह (पूर्व विधायक), दीपक कुमार, खगेश कुमार और शंकर सिंह शामिल हैं।
इनके अलावा आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर रवि रौशन, भारतीय सार्थक पार्टी के टिकट पर राजीव कुमार, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के टिकट पर मो. शादाब आज़म और राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के टिकट पर चंद्रदीप सिंह ने नामांकन दाख़िल किया है।
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