पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पुलबाज़ार प्रखण्ड अंतर्गत जोरबंगलो मार्ग्रेट्स होप (Margaret’s Hope) चायबागान में काम करने वाले श्रमिक रोज़ाना जोखिम भरे रास्ते से काम पर जाते हैं। इस चाय बागान में बासघारी गांव और आसपास के 30-35 श्रमिक काम करते हैं।
श्रमिकों ने बताया कि साल 2000 में हुए भूस्खलन के कारण गांव को पक्की सड़क से जोड़ने वाला रास्ता टूट गया था l 23 साल बाद भी यह रास्ता ठीक नहीं कराया गया। रोज़ाना सुबह गांववासी खतरे से भरे पथरीली रास्ते से जाने पर मजबूर हैं। सालों से गांव निवासी पुल नुमा रास्ते की आस लगाए बैठे हैं।
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योगेंद्र राय रोज़ाना इस पथरीले रास्ते से चायबागान मज़दूरी करने जाते हैं। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में यह रास्ता और भयावह और जानलेवा हो जाता है।
उनकी मानें तो उन्होंने कई स्थानीय अधिकारियों से इस समस्या के बारे में बात की लेकिन उन्हें कहा गया कि वह दूसरे रास्ते से जाया करें। योगेंद्र बताते हैं कि मार्ग्रेट्स होप चायबागान जाने के लिए एक और रास्ता तो है लेकिन वहां से जाने पर डेढ़ से दो घंटे अतिरिक्त लग जाते हैं।
योगेंद्र के साथ दर्जनों श्रमिक इसी रास्ते से चायबागान जाकर मज़दूरी करते हैं। महिला श्रमिकों को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 230 रुपय दिहाड़ी पर काम करने वाले ये श्रमिक जान को जोखिम में डाल कर रोज़ी रोटी के लिए घर से निकल पड़ते हैं।
भूस्खलन का दो दशक से अधिक वक्त गुजर गया है लेकिन अब तक सरकार या प्रशासन द्वारा रास्ते की मरम्मत की कोई पहल नहीं की गई है।
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