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पूर्णिया: जिलों को जोड़ने वाली सड़क बदहाल, गड्ढे दे रहे हादसे को दावत

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किसी शहर के विकास की स्थिति वहां की बुनियादी सुविधाओं से ही परखी जाती है और इसमें सबसे ज्यादा महत्व शहर से गुजरने वाली महत्वपूर्ण सड़कों का होता है। लेकिन जब आप बिहार के पूर्णिया जिले में प्रवेश करेंगे, तो आपका स्वागत एक जर्जर व पानी से भरी सड़क से होगा। स्वागत के साथ ही आपको एक दावत भी मिल सकती है, दावत सड़क से गिरकर होने वाले किसी हादसे की।


हम बात कर रहे हैं पूर्णिया को मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा और सुपौल जैसे कोशी के अलग अलग जिलों से जोड़ने वाली एक मात्र सड़क के बारे में। यहां मधुबनी का मंझली चौक एक बेहद खास इलाका है, जहां से पूर्णिया का पूर्वी छोर शुरू होता है। इसी सड़क पर आगे चलकर प्रस्तावित पूर्णिया एयरपोर्ट की जगह है, जिसके निर्माण के लिए ट्विटर पर जंग छिड़ी रहती है। इसी सड़क पर पहला इथोनॉल प्लांट भी लगाया गया है।

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इन सभी महत्वपूर्ण जगहों से होकर गुजरने वाली सड़क की हालत, एक तालाब जैसी दिख रही है, जिसमें बड़े-बड़े गड्ढे हैं और गड्ढों में पानी भरा हुआ है।


स्थानीय विशाल गुप्ता बताते हैं कि इस सड़क से बड़े-बड़े अधिकारी रोज गुजरते हैं लेकिन किसी की भी नजर इस जलजमाव पर नहीं जाती है।

बता दें कि इस सड़क पर एक कोचिंग संस्थान भी है। जहां रोज बहुत से बच्चे पढ़ाई करने और कंप्यूटर सीखने आते हैं। यहां रोज आने जाने वाले छात्रों को पानी भरी सड़क के कारण एक लंबे और ट्रैफिक भरे रास्ते से होकर आना पड़ता है। इसके अलावा यहां दिव्यांग छात्र भी आते हैं जो खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। उनका कहना है कि पानी में ट्राई साइकिल पलटने के कारण वह कई बार गिर चुके हैं।

स्थानीय आशा देवी ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत नगर निगम में की है, लेकिन अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। शिकायत को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं।

सड़क से गुजर रहे एक राहगीर ने कहा कि पूर्णिया के विकास को कोई देखने वाला नहीं है। अगर देखने वाला होता तो तो सड़क की यही हाल होती क्या ?

बता दें कि बिहार सरकार की मंत्री भी इसी सड़क से अपने विधानसभा जाती हैं। इसी सड़क के रास्ते पूर्व मंत्री का भी काफिला गुजरता है। साथ ही पूर्व विधायक अमरनाथ तिवारी का घर भी इसी रोड पर है।

फिलहाल नगर निगम चुनाव की सरगर्मी भी तेज़ है और शहर की जनता अपना मेयर चुने वाली है। अब इस टूटी सड़क से गुजरने वाले मतदाताओं को तय करना है कि सड़क का मुद्दा चुनाव का आधार हो पाएगा या नहीं।


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