[vc_row][vc_column][vc_column_text]बिहार विधानसभा चुनाव होने में अब ज्यादा समय नहीं। ऐसे में पॉलिटिकल पार्टियों के अंदर उथल—पुथल जारी है। चुनाव नजदीक होने के साथ ही सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। इसी बीच नेताओं में भी दल—बदल करने की होड़ जारी है। बिहार चुनावों में इसकी शुरूआत हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से हुई थी और अब भी जारी है। इस कड़ीे में अब रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद का नाम भी जुड़ गया है।
दरअसल कल रालोसपा ने मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के संग गठबंधन कर लिया। मीडिया के सामने प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होने इस बारे में जानकारी दी। लेकिन इस प्रेस मीट में रालोसपा के महासचिव के और उपेन्द्र कुशवाहा के करीबी माधव आनंद नहीं दिखाई दिए। ऐसे में यह कयास लगने लगे कि माधव आनंद इस नए गठबंधन से खुश नहीं हैं और वो पार्टी छोड़ सकते हैं। वहीं इसी बीच खबर आई कि माधव आनंद राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मिलने पहुंचे हैं। इस खबर के बाद से ही अटकलें तेज हैं कि वो रालोसपा को बाय बोल के राजद में शामिल हो सकते हैं।
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हालांकि इस मुलाकात को लेकर माधव आनंद ने कहा कि तेजस्वी से मेरा व्यक्तिगत संबंध हैं। मेरा आना जाना लगा रहता है। यह बात उपेंद्र कुशवाहा को भी पता है। लेकिन बताया जा रहा है कि माधव आनंद अपना टिकट सेटिंग को लेकर तेजस्वी से मिलने पहुंचे थे। लेकिन इसी दौरान माधव ने कुशवाहा पर हमला भी बोला और कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने सिर्फ उनका इस्तेमाल किया है और वे सिर्फ अपने ही बारे में सोचते रहते हैं। पार्टी के नेताओं के बारे में वह कभी भी नहीं सोचते है। माधव आनंद ने बताया कि यही कारण है कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
आनंद ने इस बारे में संकेत भी दिए कि उनके लिए आरजेडी के साथ ही अन्य दलों में जाने के रास्ते खुले हैं और वो इस बारे में फैसला अगले कुछ दिनों में लेंगे। सूत्रों की मानें तो माधव आनंद आरजेडी जाने की तैयारी में हैं। माधव आनंद अपने लिए आरजेडी में जगह तलाश रहे हैं।
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बता दें कि वो 2019 में मोतिहारी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। उस समय उनके ऊपर टिकट खरीदने के आरोप भी लगे थें। हालांकि उस वक्त वो सीट कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह को यह सीट मिल गई। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि माधव आनंद विधानसभा में चुनाव लड़ना चाहते थे। रालोसपा के महागठबंधन छोड़ने के बाद उन्हें यकीन था कि एनडीए में कुशवाहा जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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