पूर्णिया: पूर्णिया में लौह व इस्पात से बनी भवन-निर्माण सामग्रियों जैसे पाइप, चादर, ऐंगल्स, पत्ती, सरिया आदि की ढुलाई के लिए पारंपरिक ठेलों और अलग-अलग आकार में आने वाली जुगाड़ गाड़ियों (लॉरी) का बेरोकटोक इस्तेमाल हो रहा है।
जिले में इस्तेमाल होने वाली मौजूदा सबसे लम्बी जुगाड़ गाड़ी की लम्बाई साढ़े उन्नीस फीट से कम होती है, जबकि लोहे की एक सरिया की अनुमानित लंबाई 39 फीट के आस-पास होती है। लोहे की सरिया(टीएमटी बार्स) की ढुलाई के समय उसे बीचोंबीच इस तरह मोड़ा जाता है कि एक सरिया के दोनों हिस्से करीब 19 से साढ़े 19 फीट के होते हैं। सरिया के अलावा ढुलाई के दौरान न मोड़े जा सकने वाले उत्पाद जैसे पोल, पाईप, ऐंगल्स को जस का तस ठेला, जुगाड़ गाड़ी, ट्रैक्टर की ट्रॉली पर रख ढुलाई कर ली जाती है। अक्सर ढुलाई की जाने वाली सामग्री ओवरलोडेड होती है। इसके अलावा विभिन्न गाड़ियों पर लादी गयी सामग्रियाँ गाड़ी की शारीरिक संरचना से ज्यादा लम्बी होने के कारण बाहर लटकती रहती हैं। सड़क पर दौड़ती गाड़ियों पर लौह-इस्पात की लटकी हुई सामग्रियाँ न सिर्फ चालक बल्कि राहगीरों की जान व माल के लिए जोखिम भरा माहौल बनाती है।
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बीते साल अक्टूबर में जिले के कसबा थाना क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में एक गाड़ीवान की मौत हो गयी। यह मौत प्राकृतिक नहीं थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ओवरलोडेड गाड़ी के अनियंत्रित होकर पलट जाने के कारण चालक की मौत हुई।
इस संबंध में कसबा थाना द्वारा एक राहगीर के लिखित आवेदन को आधार बनाकर प्राथमिकी संख्या 349/22 दर्ज की गई। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मृतक गाड़ीवान की पहचान स्वर्गीय वासुदेव पासवान के बेटे और कुल्ला खास के रहने वाले नाथो पासवान के रूप में हुई। प्राथमिकी में मृतक के नाम के अलावा, उनके पिता का नाम, पता व पेशे का उल्लेख मिलता है। मृतक गाड़ीवान की शारीरिक विशेषताएँ, विरूपता और अन्य विवरण के संबंध में प्राथमिकी मौन है।
इस सड़क दुर्घटना के सूचनादाता के आवेदन के अंश हैं- “मैं ड्यूटी कर अपने घर जा रहा था कि रास्ते में धनखनिया पुल के निकट काफी भीड़ जमा थी जिसे देखने के लिए मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि एक व्यक्ति मृत पड़ा था। पूछताछ करने पर पता चला कि मृत व्यक्ति अपनी जुगाड़ गाड़ी पर छड़ लोड कर तेजी व लापरवाही से चलते हुए जा रहा था। अचानक रोड पर जानवर आ जाने पर उनको बचाने के क्रम में जुगाड़ गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई जिससे जुगाड़ गाड़ी चालक की मृत्यु हो गयी।“
पुलिस की प्राथमिकी में भारतीय दंड विधान की दो धाराओं 279 और 304(ए) का जिक्र है। धारा 279, उन अपराधों से संबंधित है जिसमें सार्वजनिक रास्तों पर जल्दबाजी या लापरवाही से वाहन चलाने के कारण मानव जीवन के संकट में आने की सम्भावना होती है। ऐसे कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं जिसके लिए छह माह के कारावास या 1000 रुपए के आर्थिक दंड या दोनों का प्रावधान है। वहीं, भारतीय दण्ड विधान की धारा 304(ए), लापरवाही के कारण हुई मौत से संबंधित है। लापरवाही युक्त काम करके किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनने पर दो वर्ष तक की अवधि के लिए कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।
प्राथमिकी इस बात पर भी मौन है कि मृतक गाड़ीवान नाथो पासवान की गाड़ी ओवरलोडेड होने के साथ-साथ प्रोट्रूडिंग संबंधी मौजूदा नियमों की भी धज्जियां उड़ा रही थी। परिवादी/सूचनादाता नेमानी ऋषि ने बताया कि वह कसबा थाने में चौकीदार हैं।
उनकी जानकारी के अनुसार ऊंची होने के कारण धनखनिया पुल पर मृतक गाड़ीवान नाथो पासवान अपनी गाड़ी चढ़ा नहीं पाए। धनखनिया पुल पर लॉरी चढ़ाने के दौरान सरिया लदी गाड़ी पीछे की ओर खिसकने लगी। लॉरी पर लदे सरिया के बारे में पूछे जाने पर सूचनादाता सह चौकीदार ने बताया कि, “जिनका सरिया था, वो उसे उठा कर ले गए।“ कसबा थाने में उनकी लिखित सूचना में दर्ज हैं कि मृत व्यक्ति अपनी जुगाड़ गाड़ी पर छड़ लोड करके तेजी व लापरवाही से चलाते हुए जा रहे थे। अचानक रोड पर जानवर आ जाने व उनको बचाने के क्रम में जुगाड़ गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई, जिससे जुगाड़ गाड़ी चालक की मृत्यु हो गई। यह बताने पर उन्होंने अपने विभिन्न वक्तव्यों को मिलाने की कोशिश की ताकि पैदा हुए अंतर को कम किया जा सके।
वहीं, मामले के अनुसंधान अधिकारी पुलिस अवर निरीक्षक अशोक कुमार यादव ने चौकीदार के बयान के आधार पर केस दर्ज़ होने की बात दोहराई। उन्होंने भी मृतक की लॉरी पर लदे लौह-सरिया की जब्ती न होने की बात कही। उन्होंने कहा, “जिसका सरिया था, वह अपना सरिया लेकर जा चुका था। सिर्फ जुगाड़ गाड़ी लाई गई थी।”
आईआरएडी को सूचित करने के मसले पर अनुसंधान अधिकारी ने कहा, “उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है।”
लॉरी में प्रोट्रूडिंग अपराध
प्रोट्रूडिंग से आशय गाड़ी के ढुलाई वाले हिस्से (बॉडी फ्रेम) का आकार कम होने के कारण उस पर ढोये जाने वाले उत्पादों के बाहर लटके रहने की अवस्था से है। राहगीरों के लिए जोखिमपूर्ण होने के कारण लॉरी या ठेला की बॉडी फ्रेम से ज्यादा लम्बे लौह सरिया, ऐंगल्स, पत्ती व इस तरह के इस्पात से बनी उत्पादों की ढुलाई मोटर व्हीकल्स अधिनियम, 1988 की धारा 190(3) के तहत दंडनीय अपराध है। लॉरी चालक को ओवरलोडिंग और प्रोट्रूडिंग की मनाही है।
यहाँ तक कि ऐसे उत्पादों की ढुलाई के दौरान उत्पाद के पिछले हिस्से को तिरपाल से ढकना अनिवार्य है। पहले सेन्ट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 के नियम 93 के उप-नियम 8 के तहत वाहन की बॉडी फ्रेम की अंतिम बिन्दु के बाद एक मीटर तक की लम्बाई तक ऐसे उत्पादों को लटकते हुए ढुलाई की अनुमति थी। इस प्रावधान को सड़क हादसों में कमी लाने और जान बचाए जा सकने की आशा में सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना के जरिये वर्ष 2014 में विलोपित कर दिया गया।
इसके बावजूद जिले में सरेआम लौह व इस्पात के ऐसे उत्पादों की ढुलाई मौजूदा यातायात व ढुलाई नियमों की सिरे से अनदेखी के साथ बेरोकटोक जारी है।
बिहार में सड़क हादसे में रोजाना 26 लोगों की मौत
सड़क दुर्घटना, 2021 पर प्रकाशित व जारी रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर हर वर्ष करीब 10 लाख से ज्यादा मौतें होती है। आंकड़ों के अनुसार, भारत की सड़कों पर प्रति घंटे 18 लोगों की मौत हो जाती है। वर्ष 2020 और 2021 के दौरान बिहार में क्रमश: 8,639 व 9553 मौतें दर्ज की गईं। 2021 के आंकड़े देखें तो बिहार में रोजाना 26 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है।
गौरतलब हो कि सड़क दुर्घटनाओं की कुल संख्या के मामले में वर्ष 2017 से लेकर 2021 तक राज्यों की सूची में बिहार 15वें स्थान पर बना हुआ है। पहले स्थान पर तमिलनाडु और दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश हैं। वर्ष 2021 में तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में सड़क दुर्घटना की कुल संख्या बिहार के मुकाबले करीब 45000 अधिक है।
ओवरलोडेड गाड़ियों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटना, कुल दुर्घटनाओं की 6.1 प्रतिशत, मारे गये लोगों की कुल संख्या की 7.2 प्रतिशत और घायलों की कुल संख्या की 6.6 प्रतिशत है।
सड़क हादसों को रिकॉर्ड करने में सीमांचल फिसड्डी
सड़क सुरक्षा में सुधार के नाम पर भारत सरकार का सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक परियोजना चला रहा है जिसे सड़क दुर्घटनाओं के एकीकृत डेटाबेस यानी आईआरएडी के नाम से जाना जाता है। विश्व बैंक द्वारा पोषित इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य आईआरएडी का विकास है जिसमें देश के हर हिस्से में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की ऑनलाइन रिपोर्टिंग की योजना का क्रियान्वयन होता है।
पुलिस विभाग, परिवहन विभाग, एनएचएआई और स्वास्थ्य विभाग इस परियोजना के मुख्य भागीदार हैं।
पूर्णिया जिले की आधिकारिक वेबसाइट की पड़ताल करने पर आईआरएडी से जुड़ी एक वेबपृष्ठ खुलती है जिस पर जानकारी अथवा सहेजने योग्य किसी तरह की सूचना उपलब्ध नहीं है। सीमांचल के दूसरे जिले किशनगंज की आधिकारिक वेबसाइट की स्थिति भी कमोबेश पूर्णिया जैसी ही है। जबकि, कटिहार की आधिकारिक वेबसाइट पर पाइ चार्ट के जरिये 60 प्रशिक्षण सत्रों, प्रशिक्षित मानव बल की संख्या, विभागों की संख्या, बार डायग्राम के जरिये वर्ष 2022 में संसूचित सड़क दुर्घटनाओं की जानकारी सार्वजनिक सूचना के लिए दर्ज है। इसके अतिरिक्त एक मोबाइल संख्या और एक ई-मेल आईडी का विवरण मौजूद है।
अररिया जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर सड़क दुर्घटनाओं की लाइव जानकारी मौजूद नहीं है। हालांकि, एक मोबाइल संख्या व तीन भिन्न ई-मेल आईडी की जानकारी सार्वजनिक सूचना के लिए दर्ज है।
वहीं, महाराष्ट्र के एक जिले परभनी पर आईआरएडी से जुड़ी वेबपृष्ठ खोलने पर परियोजना की जानकारी समेत परभनी जिले में लाइव मामलों की संख्या, परभनी जिले में प्रशिक्षित विभागों की संख्या, हेल्पलाइन नम्बर व सहायता निहितार्थ समर्पित ई-मेल आईडी की लाइव जानकारी सार्वजनिक है।
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