“जब बाढ़ आती है, ना तो पूरे गांव में कोई आदमी नहीं रहता है। सब दिल्ली पंजाब कमाने चला जाता है। हम लोग छोटे-छोटे बच्चे को लेकर किस हालत में रहते हैं, यह सिर्फ़ हम ही जानते हैं। सरकार का आदमी सिर्फ पॉलिथीन देकर चला जाता है। कई बार तो सरकार मानता भी नहीं है कि हमारे क्षेत्र में बाढ़ भी आई है। हम लोग अपने हक के लिए पटना आए हैं,” सुपौल जिला स्थित किशनपुर प्रखंड की प्रियंका अपना दुख बताती हैं।
दशकों से उपेक्षित और अपने मूल अधिकारों से वंचित कोसी नदी के तटबंधों के भीतर रहने वाले लोगों के हक के लिए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट के सभागार में 23 और 24 फरवरी को कोसी नवनिर्माण मंच की पहल पर कोसी कन्वेंशन का आयोजन किया गया। इसमें कोशी नदी घाटी जन आयोग की रिपोर्ट जारी की गई।
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रिपोर्ट जारी करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मंच से ऐलान किया, “हमें उम्मीद है कि इस विधानसभा सत्र में हमारी भी बात होगी। कोसी को बांधों से अगर बांधा गया और रिपोर्ट की अनुशंसा पर काम नहीं होता है, तो सितंबर में सारे कोसी वासी पटना की तरफ कूच करेंगे। कोसी की विभीषिका प्राकृतिक या आमलोगों द्वारा नहीं बल्कि शासन निर्मित है।”
सम्मेलन से एक दिन पहले मेधा पाटकर ने राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी।
“सरकार की भाषा जनता की भाषा से मेल नहीं खाती”
कोसी का क्या है? ये हाल देखो…दुनिया में क्या है? अकाल देखो…कन्वेंशन की शुरुआत बाढ़ पीड़ित बृजेंद्र यादव के इसी जन गीत से की गई। कोसी क्षेत्र स्थित विभिन्न जिलों से आए रामचन्द्र यादव, इंद्र नारायण सिंह, चन्द्रबीर यादव, प्रियंका कुमारी और रोहित ऋषदेव ने अपनी समस्याओं को बताया।
रामचंद्र यादव, जो 49 वर्ष के है, ने बताया कि इतनी उम्र में हम अभी तक सात बार विस्थापित हो चुके है।
वहीं, किशनपुर प्रखंड के अखिलेश के मुताबिक, साल 2022 में हमारे इलाके में 1220 घर कट गया, लेकिन सरकार यह भी मानने को तैयार नहीं हैं कि कोई बाढ़ भी आई थी। झकराही सुपौल से आए चंद्रमोहन कहते हैं कि सरकार की भाषा जनता की भाषा से मेल नहीं खाती है।
इस सम्मेलन में तटबंध के भीतर से 200 लोगों से अधिक पीड़ित एक नई उम्मीद के साथ आए थे।
उन्होंने कोसी के तटबन्ध के बीच और बाहर की अपनी-अपनी समस्या व पीड़ा बताते हुए पीपल्स कमीशन की प्रक्रिया व रिपोर्ट में उनकी बातें आने पर हामी भरी। कोसी पर शोध कर रहे राहुल यादुका के मुताबिक, मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक, 50 साल पहले भारत की तस्वीर आज की कोसी की तस्वीर है।
“आयोग के रिपोर्ट को विधानसभा में मजबूती से उठाएंगे”
समाजसेवी मेधा पाटकर ने मंच पर संबोधन करते हुए कहा, “नदियां एक जीवित इकाई हैं। इस जीवित इकाई के साथ व्यवहार भी ठीक होनी चाहिए। नदियों पर तटबंध बनाना और नदियों को जोड़ना अवैज्ञानिक अन्याय और अत्याचार है। जब यूरोप और अमेरिका में बांधों को तोड़ा जा रहा है, तो भारत में क्यों नहीं। सरकारी नीतियों की वजह से कोसी की भूमि के लोगों को नारकीय जीवन जीने को विवश होना पड़ा है।”
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा माले के विधायक संदीप सौरभ ने कहा, “कोसी के क्षेत्र के मुद्दे को हम लोग विधानसभा में मजबूती से उठाएंगे।” वहीं, कांग्रेस के संदीप सिन्हा भी कोसी जन आयोग की रिपोर्ट पर मजबूती के साथ दिखे।
युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम कहते हैं, “जब कोसी क्षेत्र को देखने का सरकारों का नजरिया ही गड़बड़ है, तो नीयत कैसे अच्छी हो सकती है और जब नीयत अच्छी न हो तो नीति कैसे बेहतर होगी।”
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर विद्यार्थी विकास ने कहा, “सरकार को अलग से कोसी के लिए बजट बनाना चाहिए। इसके अलावा विधानसभा में अलग से कमेटी का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि कोसी के मुद्दे पर सतत कार्यक्रम चल सके।”
कोसी जन आयोग की रिपोर्ट में क्या है?
कोसी नवनिर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव बताते हैं, “कोसी नवनिर्माण मंच ने तटबंध के भीतर और बाहर के लोगों के रोजमर्रा के सवालों के साथ नदी, पर्यावरण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी भविष्य की चुनौतियों को समझते हुए एक व्यापक पहल करते हुए कोसी नदी घाटी आयोग बनाया है।”
राहुल यादुका कहते हैं, “कोसी जन आयोग की रिपोर्ट में कोसी के इतिहास, नदी के नियंत्रण से उपजी समस्या, नीतियों की आलोचनात्मक समीक्षा के साथ-साथ कोसी की समस्याओं के वैकल्पिक समाधानों पर गंभीर चर्चा के साथ सकारात्मक सुझाव हैं।”
“इस रिपोर्ट को तैयार करने में दोनों पहलू पर ध्यान रखा गया है। एक उन लोगों का अनुभव, जो वर्षों से इस दर्द को सहते आ रहे हैं और दूसरी नदियों-विकास और आयोग के विशेषज्ञ-प्रोफेसर और वैज्ञानिक की सलाह,” उन्होंने कहा।
कोसी जन आयोग की रिपोर्ट बनाने में मेधा पाटकर, देश के जाने-माने पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ रवि चोपड़ा, संयुक्त राष्ट्र संघ में क्लाइमेट चेंज कमेटी के सलाहकार रह चुके जन वैज्ञानिक सौम्या दत्ता, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर और कोसी सहित अन्य नदियों के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव सिन्हा, नेपाल में कोसी के विशेषज्ञ अजय दीक्षित, कोसी और बिहार की नदियों के विशेषज्ञ रंजीव कुमार, युवा शोधकर्ता और एडवोकेट डॉ गोपाल कृष्ण, नेपाल के देव नारायण यादव और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ राजेंद्र रवि ने योगदान दिया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वकील शवाहिक सिद्दीकी, नदी विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश कुमार मिश्र, पूर्व आईएएस और नदी विशेषज्ञ गजानन मिश्र और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीक जी ने भी आयोग की रिपोर्ट बनाने में मदद की।
रिपोर्ट में शामिल मांगें
रिपोर्ट में तटबंधों पर रहने वाले लोगों को आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा घोषित मानक के अनुसार सहायता और मुआवजा, भूमि सर्वेक्षण नियमों में संशोधन, तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने, तटबंधों के मध्य उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने, हर साल मानसून के बाद तटबंध के भीतर सरकार के द्वारा बस्तियों का सर्वेक्षण, तटबंधों के बीच रहने वाले लोगों के लिए एक अलग शिक्षा योजना, तटबंधों के बीच के किसानों की उपज की खरीद की गारंटी आदि की मांग की की गई है।
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