कटिहार में खरगोश पालने के शौकीन एक शख्स को उसके इसी शौक ने घर बैठे एक कारोबारी बना दिया।
ये फिल्मी कहानी है जिले के हसनगंज के रहने वाले नौजवान सीताराम केवट की। दरअसल, सीताराम केवट खरगोश पालने के शौकीन हैं। इसी शौक़ के चलते एकदिन वे दो खरगोश ले आये। दो खरगोश से कई बच्चे हो गये, तो आसपास के लोग सीताराम से खरगोश खरीदने लगे। खरगोश बेचकर उन्हें कमाई होने लगी, तो उन्होंने इसेही रोजगार बना लिया और खरगोशों की संख्या बढ़ा दी।
इस तरह सीताराम अब तक पांच दर्जन से अधिक खरगोश बेच चुके है जबकि अब भी उनके पास एक दर्जन से अधिक खरगोश उपलब्ध हैं।
सीताराम कहते हैं कि एक जोड़ा खरगोश बहुत आसानी से पांच से छह सौ रुपये में बिक जाता है और इसे पालने में बहुत खर्च भी नहीं है।
सीताराम की ख्यति इतनी बढ़ गई है कि शहर से भी लोग खरगोश खरीदने के लिए उनके घर पहुंचने लगे हैं।
खरगोश की अच्छी बिक्री से उनका उत्साह सातवें आसमान पर है और उनका कहना है कि सरकार से मदद मिले, तो वे गाय और बकरी पालन भी करना चाहते हैं।
इधर खरगोश से सीताराम को हो रही कमाई ने दूसरे लोगों को भी प्रेरित किया है। हसनगंज गांव के कई लोग सीताराम को देखकर खरगोश पालन करने लगे हैं।
बेहद कम खर्च, अति साधारण रखरखाव और आसानी से बाजार में बिक जाने के कारण खरगोश पालन अब इस इलाके में एक नये व्यापार के रूप में विकसित हो रहा है।