अगर आपको अजगर के डर साये में जीना पड़े, तो आप पर क्या गुजरेगी? और अगर ये सरकार की कारगुजारी से हो रहा हो तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? जाहिर है आप डर और गुस्से में होंगे।
बिहार के सीमांचल के अररिया जिले के कई गांवों के लोग अजगर के डर के साये में जीने को मजबूर हैं और ये काफ़ी हद तक सरकार का किया धरा है।
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अररिया जिले के रानीगंज और कुसियरगांव में अब तक कई बार अजगर सांप देखा जा चुका है, जिससे लोगों में खौफ है।
ज़िले में पहली बार अजगर दिसंबर 2013 में मिला था, जो रानीगंज के मिर्जापुर से वृक्ष वाटिका में लाकर रखा गया था। फिर अजगर की मौजूदगी 17 अगस्त 2018 को फारबिसगंज प्रखंड के झिरूवा पुरवारी दर्ज की गई थी। लोगों ने एक विशालकाय अजगर को देखा था और वन विभाग को इसकी जानकारी दी थी। वन विभाग के वन रक्षी देवेंद्र मेहता की अगुवाई में वनकर्मी प्रदीप मंडल, मो. सैदुल, मो.अफरोज को उक्त सर्प को पकड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। सात फीट से भी बड़े इस सांप को रानीगंज की वृक्ष वाटिका रखा गया।
इसके बाद 2 मई 2019 को रानीगंज की हसनपुर पंचायत में सड़क पर एक 10 फीट का अजगर देखा गया था। इसी तरह 16 जून 2020 को मक्के के खेत में एक अजगर सांप देखा गया था। इसके बाद 30 अक्टूबर 2021 को अररिया के रानीगंज हसनपुर पासवान टोला में धान के खेत में 8 फीट लंबा अजगर सांप मिला था। अजगर का वजन करीब 40 किलो था। यह अजगर भी रानीगंज वृक्ष वाटिका से बाहर निकला था। 30 अक्टूबर की घटना के न दो हफ्ते बाद ही 14 नवम्बर को रानीगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत विस्टोरिया पंचायत के वार्ड संख्या 17 के कमला टोली में एक व्यक्ति ने बांस की झाड़ी में एक विशाल अजगर देखा था। इस सांप की लंबाई तकरीबन 20 फीट थी।
छह दिन बाद 20 नवम्बर 2021 शनिवार को रानीगंज थाना क्षेत्र की विस्टोरिया पंचायत के वार्ड नंबर 15 में भी 20 फीट का अजगर मिला था। यानी कि केवल रानीगंज क्षेत्र में अक्टूबर से नवम्बर महीने के भीतर चार विशाल अजगर गांवों में घुस गये थे। 27 नवम्बर को कुसियारगांव बेल चौक के समीप सड़क पर एक अजगर घायल अवस्था में देखा गया। इस घटना के ठीक दूसरे दिन 28 नवंबर को कुसियरगांव जंगल से एक विक्षिप्त व्यक्ति ने अजगर सांप को बाहर निकालकर डंडे से मार मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।

अररिया में कहां से आया अजगर
अररिया जिले में पूर्व में कभी भी अजगर सांप नहीं देखा गया था, लेकिन हाल के वर्षों में अचानक यहां अजगर की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में सवाल है कि अचानक अररिया में अजगर कहां से आ गये?
स्थानीय लोगों और जानकारों की मानें, तो साल 2008 की कुसहा त्रासदी में नेपाल की तरफ से अजगर के अंडे और बच्चे बहकर आ गये थे। चूंकि, इस त्रासदी के बाद कोसी नदी की एक धारा इस इलाके की ओर बहने लगी, तो अजगर के सपोले भी इधर आ गये। वही अब बड़े होकर रिहाइशी इलाकों में प्रवेश कर रहे हैं।
सरकार की कारगुज़ारी
अररिया में अजगर का ठिकाना बनने में प्राकृतिक आपदा एक किरदार है ही, लेकिन सरकार भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं है। दरअसल, सरकार ने अररिया के रानीगंज में 289 एकड़ में वृक्ष वाटिका बनाया है। इस क्षेत्र को प्राकृतिक वन क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया है। इसका उद्घाटन साल 2008 में तत्कालीन मंत्री रामजी दास ऋषिदेव ने किया था। इलाके से जो भी अजगर निकलता था, उसे इसी वाटिका में छोड़ा जाता था। इस तरह ये वाटिका अजगरों का आधिकारिक ठिकाना बन गया है। लेकिन ये वाटिका इतना खुला हुआ है कि अजगर आसानी से वाटिका से निकलकर गांवों, खेतों में प्रवेश कर जाता है और बकरियों व अन्य पालतू जानवरों को अपना शिकार बना लेता है। छोटे बच्चों और आम लोगों को भी अजगर सांप से खतरा बना रहता है।
रानीगंज वृक्ष वाटिका में अजगरों की संख्या अधिक होने के चलते अब वन विभाग के कर्मचारी अजगर को कुसियरगांव बायोडायवर्सिटी पार्क के सामने 200 एकड़ में फैले जंगल में छोड़ रहे हैं। बायोडायवर्सिटी पार्क और ये जंगल आमने सामने है और बीच से अररिया पूर्णिया मुख्य मार्ग एनएच 57 गुजरती है।
वन विभाग के कर्मचारी राहुल कुमार स्वीकार करते हैं कि अब जो अजगर निकल रहे हैं, वे वृक्ष वाटिका से निकल रहे हैं। उन्होंने बताया कि रानीगंज वृक्ष वाटिका में अजगर की संख्या अत्यधिक हो जाने के कारण लगातार वृक्ष वाटिका से अजगर बाहर निकल जा रहे थे, इसी कारण अब अजगर को वृक्ष वाटिका में न रखकर कुसियारगांव बायोडायवर्सिटी पार्क के सामने वाले जंगल में छोड़ा जा रहा है।
लेकिन वृक्ष वाटिका से अजगर के निकल कर गांवों में प्रवेश करने का खतराअब भी बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वृक्ष वाटिका की अच्छे से घेराबंदी करे, ताकि सांप बाहर न निकले ताकि लोग बेफिक्र होकर रह सकें।
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