“मैं मीडिया” ने जिला अभिलेखागार, पूर्णिया से आवेदकों को जमीन का खतियान और दूसरे जरूरी दस्तावेज़ निकालने की व्यवस्था में पारदर्शिता व सार्वजनिक सूचना देने की उचित व्यवस्था की कमी से जुड़ी एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
इस रिपोर्ट में सीमांचल के दूर-दराज के क्षेत्रों से आनेवाले आम आवेदकों को आवेदन प्रक्रिया से लेकर वांछित दस्तावेज़ों (अभिलेखों) की प्राप्ति के दौरान होने वाली समस्याओं का ज़िक्र किया गया था। रिपोर्ट में लिखा गया था कि आवेदन के लिए आवेदकों को बाहरी दुकानों से फॉर्म 28 खरीदना पड़ता है जिसके लिए उन्हें 10 रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है। टिकट के साथ फॉर्म 28 की लागत 20 रुपए पड़ती है, जो बमुश्किल 12 रुपए की होनी चाहिए। सूचना देने की सार्वजनिक व्यवस्था न करने के कारण दस्तावेज़ पाने के लिए आवेदकों को जिला अभिलेखागार, पूर्णिया के काउंटरों का चक्कर लगाना पड़ता है।
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‘’मैं मीडिया’’ की रिपोर्ट के बाद जिला अभिलेखागार, पूर्णिया ने अपने तीन काउंटरों की नम्बरिंग की है। सभी काउंटर के ऊपर उनकी संख्या, उस पर होने वाले काम, समय, दिन की सूचना चस्पा की है। इसके अलावा अभिलेखागार प्रभारी पदाधिकारी सह लेखापाल का एक बयान चस्पा किया गया है जिसमें उन्होंने अभिलेखों की सर्टिफाइड प्रति पाने के लिए आवेदकों को आगे से ज्यादा परेशानी नहीं होने की बात कही है।
अपनी जमीन का दस्तावेज़ उचित मूल्य पर पाना लोगों का हक़ है। बिहार सरकार इसको लेकर कई प्रयास कर रही है। इसके लिए जिला अभिलेखागार, पूर्णिया को आवेदकों के हित में अनगिनत कदम जैसे कार्यालय की बाहरी दीवारों पर दैनिक आधार पर निर्गत होने वाले अभिलेखों की सूची, आवेदकों को आवेदन के समय नकल प्राप्ति में लगने वाले समय, कोर्ट फीस के रूप में स्टैम्प टिकट जमा करने की तारीख साफ-साफ बताने की दिशा में गम्भीरता से काम किए जाने की जरूरत है।
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