Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

कार्रवाई का डर, न आदेश का सम्मान, खुले में हो रही मीट की बिक्री

पूर्णिया के खुदरा दुकानों से लेकर माँस-मछली की खरीद-बिक्री के इन बाजारों में जानवरों के रख-रखाव, कटाई और खरीद-बिक्री में स्वच्छता संबंधी मानकों, जानवरों के वध संबंधी नियमों के अनुपालन के प्रति लापरवाही दिखती है।

Novinar Mukesh Reported By Novinar Mukesh |
Published On :
पूर्णिया जंक्शन के पास मछली आरहत की दशा

खुस्कीबाग, पूर्णिया के एक पॉल्ट्री शॉप में रखे बाड़े से एक देसी मुर्गा बच निकला। उस सुस्त से मुर्गे पर राह चलते गली के एक कुत्ते की नज़र पड़ी। कुत्ते ने मुर्गे को अपनी दाँत से घायल कर दिया। कुत्ता जीवित मुर्गे को अपना आहार बना पाता, उससे पहले ही सामने के घर से निकल रहे एक व्यक्ति की नज़र उस पर पड़ी और उसने कुत्ते को डराना शुरू किया। आदमी के डर से कुत्ते को घायल मुर्गा छोड़ भागना पड़ गया। वह व्यक्ति ज़मीन पर पड़े घायल मुर्गे को अपने साथ ले गया और उसका माँस बना कर खाने की तैयारियों में जुट गया। अपने घर की खिड़की से यह सब देख रहा घर का मालिक बाहर आया और अपने घरेलू सहायक से उस घायल मुर्गे को बाहर फेंकने को कहा।

मालिक ने अपने घरेलू सहायक की दलील न सुनते हुए घायल मुर्गे को अपने घर की चारदीवारी से बाहर करवा दिया।

मीट खरीदने और खाने की प्रक्रिया के दौरान लापरवाही बरतना आम है और लोग इसके आदी हो चुके हैं। ये आम धारणा है कि मीट को पका देने मात्र से उसके सारे दुष्प्रभाव खत्म हो जाते हैं। सीमांचल में यही धारणा बिना इंसानी सेहत की फ़िक्र के मीट की धड़ल्ले से खुले में बिक्री का व्यापक आधार है।


देश के दूसरे हिस्सों की तरह सीमांचल के पूर्णिया व अन्य जिलों में मछली, खस्सी (बकरे) और पॉल्ट्री का मीट लोगों के खान-पान का हिस्सा हैं। पोषण तत्व और क्रय-क्षमता के दायरे में होने के कारण मछली, खस्सी के उत्पाद लोगों के किचन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इसीलिए अक्सर मछली, खस्सी और पॉल्ट्री के बाड़े से थाली तक आने की प्रक्रिया में जानवर और अपनी सेहत से जुड़ी कुछ महीन बातों को लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं।

पूर्णिया में स्थित मांसाहार बाजार

बड़े पैमाने पर मछलियों की खरीद-बिक्री पूर्णिया रेलवे जंक्शन के नज़दीक और खुश्कीबाग ओवरब्रिज के नीचे होती है। वहाँ काम करने वाले संजोक हेम्ब्रम के अनुसार उस आरहत में रोज़ाना लाखों रुपए की खरीद-बिक्री होती है। थोक में पॉल्ट्री की खरीद-बिक्री मरंगा और आस-पास के कुछ स्थानों पर की जाती है। खुस्कीबाग के दुर्गा मंदिर से चंद कदमों की दूरी पर स्थित बेहद संकरी गलियों में माँस की खरीद-बिक्री की जाती है। यहाँ ज़िन्दा और मृत मछली, मटन और पॉल्ट्री आसानी से मिल जाती है। ऐसा ही एक माँस बाजार मधुबनी में भी है।

बाजार व खरीद-बिक्री के स्थानों की दशा

पूर्णिया के खुदरा दुकानों से लेकर माँस-मछली की खरीद-बिक्री के इन बाजारों में जानवरों के रख-रखाव, कटाई और खरीद-बिक्री में स्वच्छता संबंधी मानकों, जानवरों के वध संबंधी नियमों के अनुपालन के प्रति लापरवाही दिखती है। पूर्णिया रेलवे जंक्शन से सटे मछली आरहत में जिन्दा और मृत मछलियों की खरीद-बिक्री के लिए पर्याप्त सुविधाओं का घोर अभाव है।

यहाँ आने वाले लोगों में दूर-दूर के खुदरा मछली विक्रेता, आम खरीददार, आरहत के स्थायी दुकानदार और मछली बाजार से अस्थायी तौर पर रोजगार पाने वालों में खोमचे वाले, रिक्शे वाले और टेम्पू वाले हैं। जिस सड़क के किनारे यह मछली आरहत है, वह टूटी तो है ही, ओवरब्रिज बन जाने के कारण उपेक्षित भी है।

मछली लदी गाड़ियों और आरहत से निकलने वाले गंदे पानी का जमाव सड़क के टूटे हिस्सों में हो जाता है जिससे वहाँ बेमौसम बरसात जैसी स्थिति हो जाती है। सड़क के टूटे हिस्सों से राहगीरों और गाड़ियों का गुजरना जोखिम भरा है।

जानवरों का रख-रखाव व सफाई की व्यवस्था

पॉल्ट्री बिक्री की खुदरा दुकानों में 50 से 100 जिन्दा मुर्गों को एक ही बाड़े में रखा जाता है। अमूमन खुदरा दुकानों में एक से दो बाड़े होते हैं। एक ही बाड़े में क्षमता से अधिक जिन्दा मुर्गों का रहना उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर नकारात्मक असर पैदा करता है।

आम तौर पर दो से चार खस्सी (बकरे) की आवाजाही मोटरसाईकिल पर बँधे बोरे में की जाती है। 40-40 खस्सियों को चार पहिया वाहनों में ठूँस-ठूँस कर भरा जाता है। जिन बर्तनों में जिन्दा मछलियाँ बिक्री के लिए रखी जाती है, उनमें मछलियों की संख्या के हिसाब से पानी कम होता है।

खुदरा दुकानों में साफ-सफाई की व्यवस्था

बिना लाइसेंस के चल रहे दुकानों की तादाद ज्यादा है। ये दुकानें गली-मोहल्ले से लेकर सड़क किनारे चल रही हैं जहाँ खुले में जानवरों को काटा जाता है। उनकी कटाई के दौरान स्वच्छता संबंधी मानकों का पालन करने-कराने में दुकानदार से लेकर ग्राहक तक लापरवाही बरतते हैं। कई खुदरा दुकानों पर पूरे दिन में महज एक बार परकट्टे की सफाई की जाती है। जिन्दा मुर्गें को काट कर उसके मरने तक जिस बर्तन में रखा जाता है, उसे पूरे दिन में बस एक बार धोया जाता है।

Meat shop
परकट्टे पर भिनभिनाती मक्खियाँ

अमूमन बिक्री के लिए मछली और खस्सी का माँस तैयार करने में भी यही लापरवाही दिख जाती है। मछली, माँस और पॉल्ट्री की खुदरा दुकानों में गन्दे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं पायी जाती। इन खुदरा दुकानों और बाज़ारों में जिन्दा और मृत जानवरों की बिक्री के बाद बचे उनके अवशेषों के निपटारे की पर्यावरण-हितैषी व्यवस्था मुकम्मल नहीं है।

बीमारियों के फैलाव का जोखिम

यूँ तो खुले में जानवरों की कटाई और बिक्री की मनाही है। बिना लाइसेंस दुकान खोलना भी अवैध है। इंसान व पर्यावरण की सेहत को देखते हुए कानून में इसके लिए प्रावधान किए गए हैं। महज माँस, मछली का उपभोग बीमारियों के फैलाव के जोखिम को नहीं बढ़ाता। खुदरा दुकान से लेकर बड़ी दुकानों में जानवरों को पिंजड़े में कैद रखने का सलीका, माँस काटने के औज़ारों की साफ-सफाई, परकट (लकड़ी की वस्तु जिस पर जानवरों को काटा जाता है) की साफ-सफाई, जानवर काटने के स्थान की साफ-सफाई, पैक्ड माँस को रखने का तरीक़ा, फ्रीज़र में कटे माँस का रख-रखाव, पानी की निकासी उन कारकों में शामिल हैं जिसके कारण बीमारियों के जन्म लेने और उनके फैलाव का जोखिम बढ़ता है।

कोविड-19 के दौर में चीन के वुहान अवस्थित माँस बाजार को बीमारी का स्रोत-स्थान बताया जा रहा था। इस आधार पर दुनिया भर के कई नेता माँस बाज़ार को बंद करने की पैरवी करते दिख रहे थे।

Also Read Story

पूर्णिया सहित बिहार के 6 नगरों के लिए 400 इलेक्ट्रिक बसों की स्वीकृति

बिहार सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुनिश्चित करें कि गंगा के निकट कोई और निर्माण न हो

किशनगंज : शिक्षा के महत्व को लेकर सीडीपीओ की अध्यक्षता में एकदिवसीय कार्यक्रम

पुलिस ने 17 साल बाद लापता युवक को खोजा, हाथ पर बने टैटू से हुई पहचान

अररिया : नशा मुक्ति दिवस पर नशे के विरोध में मैराथन दौड़

पश्चिम बंगाल: पुलिस ने पांजीपाड़ा के प्रधान मोहममद राही की हत्या के आरोपी की कराई परेड

बिहार : कार्य बहिष्कार करने वाले चिकित्सकों का एक दिन का वेतन कटेगा

“पैसा मांगता है, नहीं देने से गाड़ी छीन लेता है” पुलिस और परिवहन विभाग पर फूटा ट्रक चालकों का गुस्सा

30 साल में भी नहीं बन सका अररिया डीएम व एसपी के लिए आवास

मौजूदा मानक, कानूनी प्रावधान और उनकी अनदेखी

बिहार सरकार के नगर विकास व आवास विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने सड़क किनारे जगह-जगह पर स्थापित मीट शॉप के प्रचलन को व्यवस्थित और नियंत्रित करने के संबंध में बिहार के सभी नगर आयुक्तों व नगर परिषद अथवा नगर पंचायत के सभी नगर कार्यपालक पदाधिकारियों को साल 2015 में ही दिशा-निर्देश जारी करते हुए उसका अनुपालन सुनिश्चित करने की हिदायत दी थी।

प्रधान सचिव के स्तर से जारी ये दिशा-निर्देश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश के आलोक में गठित राज्य वधशाला कमिटी की बैठक में लिए गए निर्णय से प्रेरित था। इसके तहत संवेदनशील स्थानों जैसे स्कूल व धर्म स्थलों के निकट खुले पशु माँस बिक्री की दुकानों को बंद कराने की जिम्मेदारी सभी नगर निकायों को दी गई थी। नगर निकायों को माँस बेचने वाली दुकानों को नियंत्रित करने और माँस दुकानों के प्रचलन को व्यवस्थित करने का निर्देश भी दिया गया था।

हालांकि, आज सात-आठ सालों के बाद भी प्रधान सचिव द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं कराया जा सका है। बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 245, 250 और 345 पशु माँस उत्पादों को निर्धारित मानकों के अंतर्गत विक्रय व्यवस्था की जाँच की शक्ति नगर निकायों को देती हैं।

बिहार नगर पालिका अधिनियम के तहत नगर निकायों में बगैर लाइसेंस के खुली दुकानों को सील करने की शक्ति निहित है। बावज़ूद इसके नगर निगम क्षेत्र में खुले में माँस, मछली, पॉल्ट्री की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है।

देश में खाद्य सुरक्षा के विनियमन और देख-रेख की जिम्मेदारी भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के कंधों पर है। एफएसएसएआई के अधिनियमों व दिशा-निर्देशों में लाइसेंस व साफ-सफाई से जुड़े मानकों, नियमों का प्रावधान है। पर, ये महज किताबों तक सिमट कर रह जाते दिखते हैं। सीमांचल के जिलों में फार्म से थाली तक आने वाले माँस उत्पादों की गुणवत्ता का अंदाज़ा अनुमान आधारित है। सम्भवत: सीमांचल में ऐसी कोई लैब नहीं, जहाँ माँस उत्पादों की गुणवत्ता जाँची जा सके।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

मधेपुरा में जन्मे नोविनार मुकेश ने दिल्ली से अपने पत्रकारीय करियर की शुरूआत की। उन्होंने दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर , एडीआर, सेहतज्ञान डॉट कॉम जैसी अनेक प्रकाशन के लिए काम किया। फिलहाल, वकालत के पेशे से जुड़े हैं, पूर्णिया और आस पास के ज़िलों की ख़बरों पर विशेष नज़र रखते हैं।

Related News

बिहार के अधिकारी ने पत्नी का किसी और से कराया विवाह, कैबिनेट ने पद से किया बर्खास्त

किशनगंज शहर के सौंदर्यीकरण की प्रक्रिया शुरू, डीएम ने लिया क्षेत्रों का जायज़ा

पूर्णिया और किशनगंज में बनेगा नया सिविल कोर्ट भवन, कैबिनेट से मिली मंजूरी

बिहार सरकार किसानों को खेती के लिए देगी मुफ्त बिजली कनेक्शन

4,000 करोड़ के बजट से राज्य में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करेगी बिहार सरकार

अररियाः बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और जाम से मुक्ति के लिए खुला यातायात (ट्रैफिक) थाना

किशनगंजः डीएम ने किया सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण, अनुपस्थित कर्मियों का कटेगा वेतन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज में हाईवे बना मुसीबत, MP MLA के पास भी हल नहीं

कम मजदूरी, भुगतान में देरी – मजदूरों के काम नहीं आ रही मनरेगा स्कीम, कर रहे पलायन

शराब की गंध से सराबोर बिहार का भूत मेला: “आदमी गेल चांद पर, आ गांव में डायन है”

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

बिहार रेल हादसे में मरा अबू ज़ैद घर का एकलौता बेटा था, घर पर अब सिर्फ मां-बहन हैं