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न सड़क, न पर्याप्त क्लासरूम – मूलभूत सुविधाओं से वंचित अररिया का यह प्लस टू स्कूल

पथराबाड़ी पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय में तीन वर्ष पहले ग्यारवीं और बाहरवीं की पढ़ाई शुरू की गई। हालांकि दो नई कक्षाओं के जुड़ने के वर्षों बाद भी नए कमरों का निर्माण नहीं किया गया है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
plus two school of araria is deprived of basic facilities

बिहार के अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय व उच्च माध्यमिक विद्यालय पथराबाड़ी पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है। स्कूल से मुख्य सड़क के बीच वाले रास्ते की जमीन निजी है जिस कारण वहां सड़क नहीं बन सकी है।


नौवीं कक्षा की छात्रा दिलशान परवीन ने बताया कि सड़क न होने के कारण बरसात के दिनों में विद्यालय आने जाने में बहुत कठिनाई होती है। स्कूल के सामने काफी जलजमाव रहता है जिससे कपड़े भीग जाते हैं। कई बार छोटे बच्चे गिर भी जाते हैं।

उसने कहा, “रास्ता कच्चा है, जब बारिश होती है तो पैर और कपड़े में कीचड़ वगैरह लग जाता है। रास्ता बनना चाहिए, आने जाने में हमें बहुत दिक्कत है।”


2 कमरों में चल रहा है उच्च माध्यमिक विद्यालय

पथराबाड़ी पंचायत के उच्च माध्यमिक विद्यालय में तीन वर्ष पहले ग्यारवीं और बाहरवीं की पढ़ाई शुरू की गई। हालांकि दो नई कक्षाओं के जुड़ने के वर्षों बाद भी नए कमरों का निर्माण नहीं किया गया है।

नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले अज़्मतुल्लाह ने बताया कि सड़क न होने के अलावा स्कूल में कमरों की भी कमी है। अज़्मतुल्लाह कहता है, “कच्चे रास्ते के कारण बारिश के मौसम में बहुत दिक्कत होती है। समस्या बहुत है, सड़क बनना चाहिए। क्लास का भी दिक्कत है। और रूम बनना चाहिए।”

जगह की कमी के कारण स्कूल में लैब और कंप्यूटर कक्ष भी मौजूद नहीं हैं। स्कूल के बच्चों के लिए बड़ी मुश्किल से बैठने का बंदोबस्त हो पाता है। कई बार कक्षा में जगह न होने से छात्रों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जाता है।

दसवीं के छात्र रहमतुल्लाह ने बताया कि स्कूल में ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्रों के बैठने के लिए कोई कमरा नहीं है। नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बाहरवीं कक्षाओं के बच्चों के लिए केवल दो रूम ही उपलब्ध हैं जिसमें छात्रों को किसी तरह से समायोजित कर पढ़ाया जा रहा है।

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रहमतुल्लाह कहता है, “कंप्यूटर और लैब नहीं होने के कारण बहुत दिक्कत होती है। हम जिस क्लास में बैठे हैं यह स्मार्ट क्लास है। यहां स्मार्ट क्लास चालु नहीं है, इसी को सामान्य क्लास बनाया गया है। यहीं हमलोग पढ़ते हैं। स्कूल आने का रास्ता भी नहीं है। दूसरे की जमीन में रास्ता पड़ता है। बारिश के समय यहां चलने में दिक्कत होती है, पूरा पानी रहता है इधर।”

दसवीं में पढ़ने वाली चांद सुल्ताना ने कहा कि कमरों की कमी के कारण पढ़ाई पर असर पड़ता है। कमरे नहीं हैं इसलिए लैब और कंप्यूटर कक्ष भी स्कूल में मौजूद नहीं है। लैब न होने के कारण ठीक से पढ़ाई नहीं हो पाती है। ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के लिए जल्द क्लासरूम बनाना चाहिए।

शौचालय की कमी, नए टाइम टेबल से छात्र असंतुष्ट

उच्च माध्यमिक विद्यालय पथराबाड़ी की कुछ छात्राओं ने स्कूल में शौचालय की कमी और दुर्दशा की शिकायत की। नौवीं की छात्रा नाज़िया ने बताया कि पथराबाड़ी उत्क्रमित मध्य विद्यालय और उच्च माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के लिए स्कूल में केवल दो ही शौचालय हैं जिससे छात्राओं को काफी दिक्कतें होती हैं।

“स्कूल में शौचालय अच्छा नहीं है। स्कूल में शौचालय की बहुत जरूरत है। केवल दो शौचालय है स्कूल में, बच्चे काफी हैं। शौचालय होना चाहिए,” नाज़िया बोली।

शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय के नए टाइम टेबल के बारे में भी छात्राओं ने असंतुष्टि जताई। नाज़िया की सहपाठी ज़ेबा नाज ने स्कूल के समय के बारे में कहा कि सुबह 6 बजे से 2 बजे तक स्कूल में रहना होता है। सुबह सुबह ठीक से भोजन नहीं हो पाता है। कमज़ोरी के कारण कुछ दिनों पहले स्कूल में उसकी तबीयत भी खराब हो गई थी।

“6 बजे स्कूल नहीं आ सकते हैं, टाइम बदल देना चाहिए। सुबह 5 बजे या उससे पहले ही जाग जाते हैं। घर का काम कर के स्कूल आते हैं। उतनी सुबह नाश्ता नहीं कर पाते हैं। बिना नाश्ता किये दोपहर तक स्कूल में रहना कठिन होता है, चक्कर आता है। कुछ दिन पहले हम स्कूल में ही चकरा कर गिर गए थे, कल एक मैम भी गिरी थीं। समय बदलना चाहिए क्योंकि कोचिंग का भी समय होता है,” ज़ेबा ने कहा।

प्रभारी शिक्षक बोले- स्कूल के पास जमीन की कमी है

उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्राधानाचार्य और उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी शिक्षक मोहम्मद शमीम अख्तर ने बताया कि उच्च माध्यमिक विद्यालय के साथ उत्क्रमित मध्य विद्यालय में भी कमरों की कमी है। सरकारी भूमि कम होने के कारण स्कूल के पुराने भवन को विस्तार नहीं दिया जा सका है।

“एक कमरे में दो क्लास को बैठाते हैं। मध्य विद्यालय में भी पूरा कमरा नहीं है। 8 होना चाहिए लेकिन हमारे पास 6 कमरे हैं। उसमें से एक कमरे में हम कार्यालय का काम करते हैं। प्लस टू स्कूल में हमारे पास दो कमरे हैं उसी में किसी तरह मेंटेन करते हैं। कुछ क्लास बरामदे में करवाते हैं। 3 साल पहले यहां प्लस टू स्कूल शुरू हुआ है लेकिन अभी उसके लिए कक्षा नहीं बना है।”

प्रभारी शिक्षक ने आगे बताया कि विद्यालय में कमरा नहीं होने के कारण लैब और कंप्यूटर की सुविधा नहीं है। स्कूल की जब स्थापना हुई थी तो नौवीं, दसवीं तक ही इसे बनाया गया था। उसी हिसाब से विद्यालय में कमरे बने थे। बाद में सरकार ने हर पंचायत में बारहवीं तक के एक विद्यालय बनाने का निर्देश दिया तो इसे प्लस टू स्कूल बना दिया गया।

भूमालिक सरकारी सड़क के लिए राज़ी नहीं

उच्च माधयमिक विद्यालय पथराबाड़ी का भवन शुरू से ही छोटा बनाया गया था। शमीम अख्तर ने बताया कि स्कूल के पास पहले से ही जमीन की कमी थी इसलिए भवन भी ज़्यादा बड़ा नहीं बनाया जा सका था। आसपास निजी जमीनें हैं जिसके कारण अब तक स्कूल तक सड़क नहीं बन सकी है।

उन्होंने कहा, “भूमि कि कमी है, उतनी भूमि नहीं है कि बड़ा भवन बने और मुख्य सड़क नहीं। इसका कारण है कि सरकारी जमीन के जो रास्ते हैं वो बहुत पहले से ही दूसरे के कब्ज़े में हैं। वे लोग इसको क्लियर होने नहीं दे रहे हैं। अभी हमलोग निजी जमीन से होकर जाना-आना कर रहे हैं। बरसात में दिक्कत तो होती है लेकिन किसी तरह से हमलोग बाइक वगैरह लेकर आ जाते हैं। थोड़ी कठिनाई भी होगी तो क्या करेंगे, स्कूल तो समय पर आना ही है।”

आगे उन्होंने कहा कि समाज के लोग स्कूल के लिए मुख्य सड़क बनाने के लिए सहयोग नहीं करना चाहते हैं। भू-मालिक अपनी जमीन पर सरकारी रास्ते के लिए राज़ी नहीं हैं। सड़क न होने से छात्र और शिक्षक जिन रास्तों से होकर स्कूल आते हैं वहां बरसात के दिनों में जलजमाव की समस्या रहती है। विभाग के पास सड़क के लिए जगह नहीं है, अगर स्थानीय लोग सहयोग देते हैं तो यह काम आसानी से हो सकता है।

मुखिया व पदाधिकारी क्या बोले

स्कूल की सड़क की समस्या पर पथराबाड़ी के मुखिया प्रतिनिधि मुस्तकीम रज़ा ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए भू-मालिकों से बातचीत की जा रही है। उम्मीद है जल्द इसका समाधान निकल आएगा। भूमालिकों को राज़ी कर किसी तरह स्कूल के लिए कुछ जगह निकाल कर सड़क बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

उच्च माध्यमिक विद्यालय पथराबाड़ी में क्लासरूम की कमी को लेकर हमने अररिया के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से फ़ोन पर बात की। उन्होंने बताया कि जिले के किस किस विद्यालय में कमरे की कमी है, इसकी रिपोर्ट जेई से मांगी गई है। जल्द ही ऐसे सभी विद्यालयों में नए क्लासरूम बना दिए जायेंगे।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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