शराबबंदी कानून से जुड़े तीन साल पुराने एक मामले, जिसमें पुलिस ने आरोपी के घर से शराब के साथ ही 2.24 लाख रुपये जब्त कर लिये थे, में पटना हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के खिलाफ बताया है।
पटना हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को गलत करार देते हुए जहानाबाद कोर्ट के उस आदेश की भी आलोचना की है, जिसमें उसने आरोपी की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने नकदी वापस करने की अपील की थी।
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याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दलील दी कि शराबबंदी कानून के तहत नकद की जब्ती नहीं की जा सकती है और साथ ही शराबबंदी कानून में इस बात पर भी चुप्पी है कि नकदी, आरोपी को वापस की जानी चाहिए या नहीं। ऐसे में इसको लेकर कोर्ट से स्पष्ट दिशानिर्देश की दरकार है।
सरकार की तरफ से इस मामले में कोई दलील नहीं दी गई, बल्कि उनकी तरफ से भी कोर्ट को यही कहा गया कि इसको लेकर एक दिशानिर्देश दिया जाए, जैसा निर्देश केस नंबर – 19300/2018 में दिया गया था।
उल्लेखनीय हो कि केस नंबर 19300/2018 भी शराबबंदी से जुड़ा एक मामला है, जिसमें दरभंगा जिले के लोहारपुर निवासी छेदी महतो के पास से 1.52 लाख रुपये इसलिए जब्त कर लिये गये थे, क्योंकि उन पर अवैध तरीके से शराब बेचने का आरोप था।
ये मामला जब पटना हाईकोर्ट में पहुंचा था, तो कोर्ट ने नकद जब्ती को अवैध करार देते हुए कहा था कि उक्त एक्ट की धारा 58, अथॉरिटी को नकदी जब्त करने की शक्ति नहीं देती है और एक्ट में नकद कोई प्रतिबंधित चीज नहीं है, इसलिए इसे जब्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आदेश जारी होने के 48 घंटों के भीतर नकदी वापस करने को कहा था।
पटना हाईकोर्ट ने कहा, “दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हमारा मत है कि काको थाना द्वारा 2,24,200 रुपए की जब्ती तथा उक्त केस में आबकारी न्यायाधीश-1, जहानाबाद द्वारा पारित आदेश, कानून के अनुरूप नहीं है।”
कोर्ट ने आगे कहा, “जिला मजिस्ट्रेट, जहानाबाद को निर्देश दिया जाता है कि वह जब्त की गई राशि अर्थात 2,24,200 रुपये को निर्णय की प्रति प्राप्त होने/पेश होने की तिथि से तत्काल याचिकाकर्ता को जारी करें।” इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता (आरोपी) से समान राशि अर्थात 2,24,200 रुपये की जमानत बांड के साथ एक वचनबद्धता जमा करने को भी कहा है।
क्या था मामला
मामला जहानाबाद जिले के टिकुलिया गांव के रहने वाले 55 साल के बृजलाल यादव से जुड़ा हुआ है, जिनके घर पर 12 दिसम्बर 2021 की दोपहर काको थाने की पुलिस ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी में पुलिस ने उनके घर से कथित तौर पर शराब और साथ ही नकद 2.24 लाख रुपये भी जब्त कर लिया था।
नकदी रकम की वापसी के लिए वह लगातार जिला मजिस्ट्रेट, जहानाबाद एसपी से लेकर जहानाबाद कोर्ट का चक्कर काटते रहे, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली।
पिछले साल 12 मई को उन्होंने जहानाबाद के डीएम को एक पत्र लिखकर कहा कि पुलिस ने उनके रुपये जब्त कर रखा है, जिसके लिए वे काफी परेशान हैं, लेकिन डीएम की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
इस मामले को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने पिछले साल 25 अगस्त को विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में हमने बताया था कि पुलिस की यह कार्रवाई क्यों गलत है और कोर्ट में अगर यह मामला जाता है तो फैसला आरोपी के पक्ष में क्यों जाएगा।
‘मैं मीडिया’ ने इस स्टोरी के सिलसिले में जब बृजलाल यादव से मुलाकात की थी, तो उन्होंने बताया था कि 2.24 लाख रुपये उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए रखे थे और उक्त रकम के जब्त रहने से उनकी बेटी की शादी नहीं हो पा रही है।
उन्होंने ‘मैं मीडिया’ के साथ बातचीत में बताया था, “छापेमारी जिस दिन हुई, उसके अगले ही दिन मेरी बेटी को देखने के लिए मेहमान आने वाले थे। वह पैसा मैंने उन मेहमानों पर खर्च करने के लिए रखा था।”
पुलिस की कार्रवाई क्यों गलत थी
बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) अधिनियम में कहा गया है कि अगर इस अधिनियम के अधीन किसी परिसर (पूरे परिसर या उसके किसी भाग) में कोई अपराध (शराब से संबंधित) होता हो या किया गया हो, तो अधिनियम की धारा 73 के अंतर्गत कोई पदाधिकारी तुरंत परिसर (पूरे या उसके किसी भाग) को सीलबंद कर सकेगा।
कानून में यह भी लिखा गया है कि अगर किसी वाहन से शराब बरामद होती है, तो उस वाहन को भी जब्त किया जाएगा। कानून में शराब भरी बोतल, शराब बनाने में इस्तेमाल उपकरण आदि को भी जब्त करने का अधिकार पुलिस को है। लेकिन कानून में कहीं भी नकदी जब्त करने का जिक्र नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद पुलिस ने बृजलाल के घर से 2.24 लाख रुपये जब्त कर लिये थे।
बृजलाल ने इसके खिलाफ जहानाबाद कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। मगर कोर्ट से भी उन्हें निराशा ही मिली। कोर्ट ने अपने आदेश में दो टूक लहजे में कहा था कि मामला ‘नॉन मेंटिनेबल’ है, जिसका मतलब है कि उक्त याचिका कानून के प्रावधानों के तहत नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने इस संबंध में थाने से रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें पुलिस ने कहा था कि उन्हें जब्त नकद जारी करने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, जांच अधिकारी ने डीएम को एक प्रस्ताव भेजकर यह कहते हुए नकदी की जब्ती की अपील की थी कि बृजलाल ने यह पैसा शराब बेचकर कमाया है, अतः नकदी केस से जुड़ी हुई है।
इस संबंध में काको थाने के एसएचओ का कहना था कि उन्होंने विधि सम्मत कार्रवाई की है। “हमलोग पैसा देने को तैयार हैं अगर हमें कोर्ट से आदेश मिल जाए।” पुलिस ने नकद जब्ती का बचाव करते हुए कहा था कि पुलिस को लगा कि जो रुपये रखे हुए हैं, वे शराब से कमाये हुए हैं, इसलिए पुलिस ने पैसा जब्त किया। ‘मैं मीडिया’ ने जब पुलिस से पूछा वे कैसे इस नतीजे पर पहुंचे कि जब्त रुपये शराब से ही कमाये गये हैं, तो उन्होंने कहा, “आरोपी को यह साबित करना चाहिए कि जब्त रुपये उन्होंने शराब बेचकर नहीं कमाये हैं।”
नकदी वापस करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश से बृजलाल यादव को तो राहत मिल गई है, लेकिन कानून में नकदी को लेकर अस्पष्टता के चलते आने वाले दिनों में ऐसे और भी मामले आ सकते हैं। ऐसे में वकीलों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह कानून में इसको लेकर स्पष्ट तौर पर दिशा निर्देश दे।
बृजलाल का केस लड़ने वाले वकील संजीव कुमार ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत जब्त गाड़ी और मकान के मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार कलक्टर को दिया गया। उन्होंने कहा, “ऐसे में अगर पुलिस किसी घर या गाड़ी से शराब के साथ नकद या गहने या कुछ और जब्त कर लेती है, तो कलक्टर इस तरह के मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। वे स्पष्ट कहते हैं कि उनके पास गाड़ी और मकान की जब्ती में ही हस्तक्षेप का अधिकार है। इस वजह से पीड़ितों को पुलिस, कलक्टर और कोर्ट के बीच चक्कर लगाना पड़ता है, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिलती।”
“बृजलाल यादव को न जाने कितनी ही बार कलक्टर से लेकर, पुलिस और कोर्ट का चक्कर काटना पड़ा। नकद की जब्ती के चलते उनकी बेटी की शादी नहीं पाई, इसके लिए तो पुलिस पर कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई होनी चाहिए थी,” वह कहते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “जब्ती को लेकर स्पष्टता आनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि इसपर स्पष्ट संकल्पना पत्र लेकर आये, ताकि आइंदा लोगों को परेशान न होना पड़े।”
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