पटना उच्च न्यायालय ने गुरूवार को जिला पदाधिकारी पूर्णिया सुहर्ष भगत, नगर आयुक्त, नगर निगम पूर्णिया आरिफ अहसन, अनुमंडल पदाधिकारी राकेश रमण सहित एलेक्ट्रिक सप्लाइ डिवीज़न, ईस्ट एंड वेस्ट पूर्णिया के एलेक्ट्रिकल एक्जेक्युटिव इंजीनियर को अपने समक्ष सशरीर हाज़िर होने का आदेश जारी किया है।
उच्च न्यायालय में सशरीर हाजिरी के साथ इन अधिकारियों को अपने आदेशों और उसके अनुपालन में आनन-फानन में उठाए गए कदमों की वैधानिकता और औचित्य पर जवाब देना होगा। मामला मुख्य रूप से नगर आयुक्त, नगर निगम पूर्णिया द्वारा जेएनजे पनोरमा स्क्वैयर की चौथे तल पर निगरानी वाद के तहत चले मामले में पारित आदेश और उसके अनुपालन में जिला प्रशासन अंतर्गत कुछ विभागों के अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों की प्रकृति और औचित्य से जुड़ा है।
दरअसल, नगर आयुक्त ने जेएनजे पनोरमा स्क्वैयर से जुड़े निगरानी वाद में भवन के चौथे तल को भवन निर्माण उपविधि के प्रावधानों के विपरीत मानते हुए उसके निर्माण को रोकते हुए, अनधिकृत डेविएशन्स (विचलनों) को तोड़ने, एक महीने के अंदर अपने समक्ष संशोधित योजना समर्पित करने का आदेश जारी किया था। अपने आदेश में नगर आयुक्त ने जेएनजे पनोरमा स्क्वैयर के चौथे तल के हितधारियों पर दस लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया था। नगर आयुक्त, नगर निगम पूर्णिया के इस आदेश को ऊपरी प्राधिकार (एमबीटी) में चुनौती दी गई।
यह मामला अपील में प्रक्रियाधीन रहने के दौरान और इसकी जानकारी नगर आयुक्त को दिए जाने के बाद भी अनुमंडल दण्डाधिकारी, पूर्णिया सदर राकेश रमण द्वारा जेएनजे पनोरमा स्क्वैयर के चौथे तल पर रह रहे आठ परिवारों को मात्र तीन दिनों के अंदर घर खाली करने का नोटिस जारी कर दिया गया।
अनुमंडल दण्डाधिकारी, पूर्णिया सदर, पूर्णिया राकेश रमण द्वारा 01 अप्रैल 2023 को नोटिस जारी किया गया जिसका याचिकाकर्ता को तामिला 03 अप्रैल, 2023 को हुआ। नोटिस में घर खाली करने की समय-सीमा 04 अप्रैल, 2023 निर्धारित थी। एसडीएम, पूर्णिया सदर राकेश रमण ने अपने नोटिस में निर्धारित अवधि यानी 04 अप्रैल, 2023 तक घर खाली न करने की स्थिति में परिसर को सील कर देने की बात कही। वहीं, बिजली विभाग ने नगर आयुक्त और जिला पदाधिकारी के आदेश पर चौथे तल पर रहने वाले परिवारों के घरों का बिजली कनेक्शन काट दिया। जबकि इन पर बिजली विभाग का कोई बकाया नहीं था।
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इस मामले में उच्च न्यायालय, पटना के न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा की अदालत ने बिहार सरकार और इसके नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को भी पक्षकार बनाया है। ज्ञात हो कि एक ओर बिहार सरकार का नगर, विकास एवं आवास विभाग म्युनिसिपल बिल्डिंग ट्राइब्यूनल के गठन और उसके सुचारू कार्यान्वयन को लेकर उदासीन है, वहीं कानून तोड़ने के नाम पर पूर्णिया जिला और नगर निगम के अधिकारी मनमाना रवैया अपना रहे हैं जिसके प्रति नगरवासियों में संशय और डर का माहौल व्याप्त है।
गुरूवार को मामले से संबंधित अधिकारियों मसलन नगर निगम, पूर्णिया के नगर आयुक्त, जिला पदाधिकारी पूर्णिया, एसडीएम पूर्णिया सदर, पूर्णिया को हाजिर होकर अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
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