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रुपौली विधानसभा उपचुनाव पर बोले पप्पू यादव – ‘जनता घिसी-पिटी राजनीति करने वालों के साथ नहीं है’

10 जुलाई को पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिये मतदान होने जा रहा है। यह सीट जदयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफ़े से ख़ाली हुई है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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pappu yadav comments on rupauli assembly by election

“रुपौली समेत अन्य जगहों पर होने वाले उपचुनाव में जनता को ये संदेश देना चाहिए कि अब वे घिसी पिटी राजनीति करने वालों के साथ नहीं है। वे उनके साथ होंगे, जिनका रिश्ता सीधा जनता से हो, ना कि दलाल, माफिया और भ्रष्टाचारियों के साथ। जनता जब इस बात का संकेत देगी, तभी उसका विकास होगा और देश प्रदेश का विकास होगा।”


ये बातें पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पूर्णिया स्थित अपने आवास पर रुपौली विधानसभा उपचुनाव को लेकर एक बैठक के दौरान कहीं। बैठक की तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि रुपौली विधानसभा उपचुनाव को लेकर इलाक़े के लोगों से राय शुमारी की गई है और आगे भी उनसे बातचीत कर ही वह किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।

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बताते चलें कि 10 जुलाई को पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिये मतदान होने जा रहा है। यह सीट जदयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफ़े से ख़ाली हुई है। दरअसल, बीमा भारती ने जदयू से इस्तीफ़ा देकर पूर्णिया से राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन, वह ना सिर्फ़ हारी थीं, बल्कि, तीसरे नंबर पर रही थीं।


माना जा रहा है कि पप्पू यादव का यह तंज़ इशारों-इशारों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की तरफ़ है। दरअसल, पप्पू यादव पूर्णिया से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिये कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन, इंडिया गठबंधन में यह सीट राजद के खाते में चली गई थी। जिस वजह से पप्पू यादव निर्दलीय ही मैदान में उतर गये और जीत हासिल की।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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