बिहार के किशनगंज जिलानातर्गत पोठिया प्रखंड की फाला पंचायत का कार्यालय महीनों से बंद पड़ा है। मुख्य द्वार पर मवेशी बंधे हैं वहीं कमरों में ताले लटके हैं। पंचायत कार्यालय में सरकारी कर्मी जैसे पंचायत सचिव, राजस्व कर्मचारी, पंचायत रोजगार सेवक, इंद्रा आवास सहायक और कार्यपालक की तैनाती तो की गई लेकिन उनमें से कोई भी कर्मी कार्यालय नहीं आते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लाखों रुपये खर्च कर जिस उद्देश्य से पंचायत भवन का निर्माण किया गया था उसका कोई लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। फाला निवासी गौतम कुमार सिन्हा ने कहा कि फाला का पंचायत भवन शोभा की वस्तु बनकर रह गया है। ग्रामीणों ने कभी यहां किसी कर्मचारी को बैठे हुए नहीं देखा। एक दो बार वरीय पदाधिकारियों को इसकी शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
Also Read Story
स्थानीय ग्रामीण रवि कुमार ने कहा कि 6 महीने से फाला पंचायत कार्यालय बंद पड़ा है। पंचयात स्तरीय जनप्रतिनिधि या सरकारी कर्मी लंबे समय से कार्यालय नहीं आये हैं। ग्रामीणों को छोटे मोटे काम कराने के लिए 15 किलोमीटर दूर पोठिया के प्रखंड मुख्यालय का चक्कर काटना पड़ता है।
बिहार सरकार राज्य की हर पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण करवाती है जिसे लोग मिनी ब्लॉक भी कहते हैं। सरकार का उद्देश्य है कि ब्लॉक स्तर के काम पंचायत सरकार भवन में कराया जाए ताकि ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर न काटना पड़े। पोठिया की फाला पंचायत में मामला इसके उलट है।
स्थानीय ग्रामीण दिवाकर कुमार सिंह ने बताया कि पिछले दो दिनों से वह अपना काम कराने पंचायत कार्यालय आ रहे हैं लेकिन हर दिन कार्यालय बंद मिलता है। कृषि कार्य, जमीन संबंधित कार्य या किसी अन्य दस्तावेज बनवाने के लिए ग्रामीण सोनपुर या पोठिया जाते हैं जहां एक काम के लिए कई दिनों तक दौड़ना पड़ता है। इसमें काफी समय बर्बाद होता है और पैसे भी खर्च होते है।
इस मामले में किशनगंज के अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि उन्हें फाला के पंचायत कार्यालय को समय से न खोलने की जानकारी मिली है। कार्यालय में सरकारी कर्मियों के गैर हाज़िर रहने की शिकायत पर जांच कराई जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच में दोषी पाए जाने पर सरकारी कर्मियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।