Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

ओवैसी और मांझी के बीच पक रही है सियासी खिचड़ी

मांझी और ओवैसी की पार्टी का बिहार में एक-एक विधायक है। इतिहास गवाह है कि मांझी पलटी मारने से बिल्कुल भी नहीं हिचकेंगे। तो ऐसे में सवाल ये है कि क्या 1 और 1 मिलकर 11 बनाने की मांझी और ओवैसी की कोशिश कामयाब हो पाएगी?

Main Media Logo PNG Reported By Main Media Desk |
Published On :
Owaisi Manjhi talks for alliance Bihar Elections

बिहार की राजनीति से इस वक्त बड़ी खबर आ रही है, जहां HAM पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के बीच विधानसभा चुनाव को लेकर मांझी के सरकारी आवास पर शुक्रवार को बैठक हुई है। इस बैठक के बाद बिहार में एक नए राजनीतिक समीकरण के आने की चर्चा ज़ोर पकड़ चुकी है। इस बैठक को लेकर हमारे पास मौजूद जानकारी के मुताबिक इस मीटिंग के लिए पिछले एक हफ्ते से कोशिशें हो रही थी लेकिन किसी न किसी वजह से इसे टाला जा रहा था लेकिन आखिरकार 7 अगस्त को दोनों पार्टी के नेताओं के बीच बैठक हो चुकी है।


Also Read Story

किशनगंज में कनकई और महानंदा नदी पर दो पुलों के निर्माण के लिए टेंडर जारी

अररिया में अपराधी को गिरफ्तार करने गए ASI की मौत, ‘पीट-पीटकर हत्या नहीं’

स्लोवेनिया जाने की फिराक में दो बांग्लादेशी नागरिक किशनगंज से गिरफ्तार

पूर्णिया एयरपोर्ट बाउंड्री वॉल की निविदा प्रक्रिया पूरी, जल्द शुरू होगा निर्माण

पूर्णिया में महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट के खिलाफ विशाल आमसभा, लाखों की आबादी प्रभावित होने का खतरा

किशनगंज: दो सप्ताह से गायब ट्रेक्टर चालक का मिला शव, 5 गिरफ्तार

बिहार के लाल शम्स आलम ने स्विमिंग में बनाया रिकॉर्ड, अंतरराष्ट्रीय खेल में जीते 6 मैडल

किशनगंज में एनएच 27 पर तेज़ रफ़्तार बाइक पर सवार 3 छात्रों की मौत

पूर्णिया में डीजे वाहन की चपेट में आने से महिला की मौत, दर्जन भर लोग घायल


इस बैठक को लेकर दोनों ही पार्टियों की तरफ से आधिकारिक बयान सामने आ चुका है। फिलहाल कोई भी दल गठबंधन को लेकर कुछ भी कहने से बच रहा है लेकिन अंदर खाने की खबर यही है कि महागठबंधन में हो रही उपेक्षा से परेशान मांझी का हृदय परिवर्तन हो रहा है।

ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इस मुलाकात को अनौपचारिक बताया और कहा कि मांझी से उनके ताल्लुकात काफी पुराने हैं और उनसे मुलाकात होती रहती है।

[wp_ad_camp_1]

इस बैठक को लेकर मांझी की पार्टी HAM के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि मांझी जी से कई लोग मुलाकात करने आते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हमारा उनके साथ गठबंधन होने जा रहा है। हालांकि इसके बाद दानिश रिजवान ने जो कुछ कहा, वो ये बताने के लिए काफी है कि मांझी और ओवैसी के बीच गठबंधन को लेकर क्या खिचड़ी पक रही है।

दोनों ही पार्टियां फिलहाल गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे लेकिन सच्चाई यही है कि मांझी और ओवैसी दोनों ही एक दूसरे के लिए सॉफ्ट कार्नर रखते हैं।

Owaisi Manjhi Alliance for Bihar Elections

इसके लिए हम आपको पिछले साल की दो घटनाएं याद दिलाना चाहेंगे क्योंकि जीतन राम मांझी और ओवैसी के बीच नजदीकियां पिछले साल से ही दिखाई पड़ रही हैं। अक्टूबर, 2019 में हुए किशनगंज विधानसभा उपचुनाव में AIMIM की जीत के बाद जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि AIMIM की इस जीत से राष्ट्रीय स्तर पर दलित-मुस्लिम एकता के नए रास्ते खुलेंगे।

[wp_ad_camp_1]

इतना ही नहीं, CAA-NRC के खिलाफ दिसंबर, 2019 में किशनगंज के रुइधासा मैदान में पिछले ओवैसी की बड़ी रैली होनी थी, इस रैली में जीतन राम मांझी को ओवैसी के साथ मंच साझा करना था। इस रैली को लेकर तमाम होर्डिंग-बैनरों में ओवैसी और मांझी को एक साथ दिखाया गया था। इसको लेकर उस समय बिहार की सियासत में खलबली मच गई थी, जाहिर तौर पर महागठबंधन में मांझी को लेकर बेचैनी उठना स्वाभाविक था। सूत्र बताते हैं कि उस समय RJD की पहल पर मांझी को उस कार्यक्रम में न जाने के लिए मनाया गया था और उन्हें उसी दिन रांची में हो रहे हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में बुला लिया गया। ओवैसी के साथ मंच न साझा करने को लेकर मांझी ने सफाई भी दी थी कि हेमंत सोरेन बार-बार शपथ नहीं लेंगे, वो एक ही बार शपथ ग्रहण करेंगे। अगर मुझे रांची से न्यौता नहीं आता तो मैं किशनगंज जरूर जाता। उधर मांझी रांची चले गए थे और किशनगंज में ओवैसी ने अपनी सभा को संबोधित किया। हालांकि मंच पर मांझी की तस्वीर भी लगी हुई थी और उसे हटाया नहीं गया था।

मांझी फिलहाल महागठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन गाहे-बगाहे वो महागठबंधन के नेताओं को आंख तरेरना नहीं भूलते। 2019 लोकसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे को लेकर भी मांझी की नाराज़गी खुलकर सामने आई थी। तब लालू यादव ने पहल करके मांझी को मनाया था। लेकिन अब विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर शायद मांझी को एहसास हो गया है और इसी लिए वो दूसरे राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं, वैसे भी मांझी की पार्टी से फिलहाल वो खुद अकेले विधायक हैं।

वहीं दूसरी ओर बिहार के सीमांचल इलाके में AIMIM अपने पांव पसारना चाहती है। किशनगंज में उनका एक विधायक भी है और 2019 लोकसभा चुनाव में किशनगंज की दो विधानसभा सीटों कोचाधामन और बहादुरगंज पर AIMIM ने लीड भी किया था। और वैसे भी ‘जय भीम, जय मीम’ का नारा देने वाली AIMIM हर चुनाव में दलित साथियों की तलाश करती है। और बीते चुनावों में उन्हें दलित-मुस्लिम कॉम्बिनेशन का फायदा भी मिला है। महाराष्ट्र से लेकर किशनगंज उपचुनाव तक ओवैसी ने अपनी पार्टी के लिए नई जमीन तलाशनी शुरू कर दी है, किशनगंज में उनका एक विधायक भी है।

[wp_ad_camp_1]

मांझी और ओवैसी की पार्टी का बिहार में एक-एक विधायक है। इतिहास गवाह है कि मांझी पलटी मारने से बिल्कुल भी नहीं हिचकेंगे। तो ऐसे में सवाल ये है कि क्या 1 और 1 मिलकर 11 बनाने की मांझी और ओवैसी की कोशिश कामयाब हो पाएगी?

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Main Media is a hyper-local news platform covering the Seemanchal region, the four districts of Bihar – Kishanganj, Araria, Purnia, and Katihar. It is known for its deep-reported hyper-local reporting on systemic issues in Seemanchal, one of India’s most backward regions which is largely media dark.

Related News

बिहार: कांग्रेस विधायक शक़ील अहमद खान के इकलौते बेटे ने की ख़ुदकुशी

बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा: देरी से पहुंचने पर नहीं मिला प्रवेश, रो पड़ीं छात्राएं

किशनगंज: ट्रैक्टर समेत ड्राइवर 6 दिनों से गायब, पुलिस पर लापरवाही का आरोप

बिहार: इंटर परीक्षार्थियों के लिए निर्देश जारी, नियम तोड़ने पर होगी कानूनी कार्रवाई

अररिया में बनेगा जिले का पहला मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, सीएम ने की घोषणा

किशनगंज: लूट की फर्जी कहानी बना पैसे गबन करने के आरोप में फाइनेंस कंपनी का शाखा प्रबंधक गिरफ्तार

प्रोफेसर विवेकानंद सिंह बने पूर्णिया विश्वविद्यालय के नए कुलपति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव

क्या पूर्णिया के गाँव में मुसलमानों ने हिन्दू गाँव का रास्ता रोका?

बिहार में जीवित पेंशनधारियों को मृत बता कर पेंशन रोका जा रहा है?

शादी, दहेज़ और हत्या: बिहार में बढ़ते दहेज उत्पीड़न की दर्दनाक हकीकत

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी