देश में मुसलमानों की आबादी 14 प्रतिशत है, लेकिन, लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या इस बार भी पांच प्रतिशत से कम ही है। लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ़ 24 मुस्लिम सांसद लोकसभा पहुंचे हैं, जो कि सिर्फ 4.4 प्रतिशत होता है। हालांकि, देश की मुख्य पार्टियों ने इस बार मुसलमानों को टिकट भी कम दिया था।
NDA गठबंधन में शामिल भाजपा और जदयू ने एक-एक मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया था।
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वहीं, INDIA गठबंधन में शामिल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, CPI(M) और NCP शरद गुट ने इस बार सिर्फ 78 मुस्लिम उम्मीदवार बनाए थे, जबकि, 2019 में इन पार्टियों ने कुल 115 मुसलामानों को टिकट दिया था।
इस बार कांग्रेस के 7 मुस्लिम उम्मीदवार, तृणमूल कांग्रेस के 5, समाजवादी पार्टी के 4, इंडियन मुस्लिम लीग के 3, जम्मू कश्मीर नेश्नल कांफ्रेंस के 2, निर्दलीय 2 और AIMIM के एक मुस्लिम उम्मीदवार सांसद बने हैं।
किस राज्य से कितने मुस्लिम एमपी?
सबसे ज़्यादा मुस्लिम सांसद पश्चिम बंगाल से चुने गये हैं। पश्चिम बंगाल से 6 मुस्लिम सांसद बने हैं। टीएमसी के टिकट पर बहरमपुर से पूर्व क्रिकेटर युसूफ़ पठान (Yusuf Pathan), बशीरहाट से नूरुल इस्लाम (Nurul Islam), जांगीपुर से ख़लीलुर्रहमान (Khalil Ur Rahman), उलुबेड़िया से साजदा अहमद (Sajda Ahmad) और मुर्शिदाबाद से अबु ताहिर ख़ान (Abu Taher Khan) सांसद बने हैं। मालदा दक्षिण सीट से कांग्रेस के टिकट पर ईशा ख़ान चौधरी (Isha Khan Chaudhary) सांसद चुने गये हैं।
सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश से इस बार सिर्फ़ 5 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। समाजवादी पार्टी के टिकट पर ग़ाज़ीपुर से अफ़ज़ाल अंसारी (Afzal Ansari), कैराना से इक़रा हसन चौधरी (Iqra Hasan Chaudhary), रामपुर से मोहिबुल्लाह (Mohibullah) और संभल से ज़ियाउर रहमान (Zia Ur Rahman) चुनाव जीते हैं। साथ ही कांग्रेस के टिकट पर सहारनपुर से इमरान मसूद (Imran Masood) सांसद निर्वाचित हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर और केरल से तीन-तीन मुस्लिम सांसद
लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर और केरल से तीन-तीन मुस्लिम जीते हैं। जम्मू कश्मीर की बात करें तो नेश्नल कांफ्रेंस के टिकट पर श्रीनगर से आग़ा सैयद रुहुल्लाह मेहदी (Agha Syed Ruhullah Mehdi) और अनंतनाग-रजौरी सीट से मियां अलताफ़ अहमद (Mian Altaf Ahmad) एमपी बने हैं। बारामूला से निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद (Engineer Rashid) एमपी चुने गये हैं।
केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के टिकट पर मलप्पुरम से ईटी. मो. बशीर ( E.T Md. Basheer) और पोन्नानी से डॉक्टर एम.पी अब्दुस्समद समदानी (Dr. MP Abdus Samad Samdani) एमपी बने हैं। वडकरा सीट से कांग्रेस के शफ़ी परम्बिल (Shafi Parambil) सांसद निर्वाचित हुए हैं।
इसी प्रकार, बिहार से दो मुस्लिम सांसद चुने गये हैं, दोनों ही कांग्रेस पार्टी से हैं। किशनगंज सीट से मो. जावेद (Md Jawaid) और कटिहार सीट से तारिक़ अनवर (Tariq Anwar) एमपी बने हैं।
इनके अलावा तेलंगाना, तमिलनाडु, असम, लक्षद्वीप और लदाख़ से एक-एक मुस्लिम एमपी चुने गये हैं।
तेलंगाना की हैदराबाद सीट से AIMIM के टिकट पर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi), तमिलनाडु की रामनाथपुरम सीट से मुस्लिम लीग के टिकट पर कानी के. नवास (Kani K. Navas), असम की धुबरी सीट से कांग्रेस के टिकट पर रक़ीबुल हुसैन (Rakibul Hussain), लक्षद्वीप से कांग्रेस के टिकट पर मो. हमदुल्लाह सईद (Md Hamdullah Sayeed) और लदाख़ से निर्दलीय उम्मीदवार मो. हनीफ़ा (Md Haneefa) सांसद चुने गये हैं।
दो मुस्लिम महिला पहुंचीं लोकसभा
इस बार सिर्फ दो मुस्लिम महिला सांसद बनी हैं, जिसमें एक उत्तर प्रदेश से और एक पश्चिम बंगाल से चुनाव जीतने में सफल रहीं।
समाजवादी पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश के कैराना से इक़रा हसन चौधरी (Iqra Choudhary) और तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पश्चिम बंगाल के उलुबेरिया से साजदा अहमद संसद पहुंची हैं।
चुनाव में साजदा अहमद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अरुणोदय पाल चौधरी को 2,18,673 वोटों से शिकस्त दी। साजदा अहमद तीसरी बार लोकसभा में उलुबेरिया सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
साजदा के पति सुल्तान अहमद भी राजनीति में सक्रिय थे। सुल्तान अहमद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री थे। 2017 में उलुबेरिया सीट से टीएमसी के टिकट पर सासंद रहते हुए ही उनका इंतकाल हो गया था, जिस वजह से इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा।
उपचुनाव में साजदा अहमद टीएमसी के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचीं। साजदा ने 2019 में भी उलुबेरिया सीट से जीतकर लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया।
कौन हैं इक़रा हसन चौधरी
29 वर्षीय इक़रा हसन चौधरी पहली बार लोकसभा पहुंची हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप कुमार को 69,116 वोटों से हराया। वह इस बार लोकसभा पहुंचने वाले उन सांसदों में से हैं, जिनकी उम्र सबसे कम है।
इक़रा चौधरी का संबंध एक राजनीतिक घराने से है। उनके पिता चौधरी मुनव्वर हसन लोकसभा व राज्यसभा सांसद और माता बेगम तबस्सुम हसन सांसद रही हैं। इक़रा के भाई चौधरी नाहिद हसन वर्तमान में कैराना विधानसभा सीट से विधायक हैं।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से इक़रा ने बीए किया है। साथ ही उन्होंने लंदन स्थित स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ (SOAS University) से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स एंड लॉ विषय में एमएससी किया है।
मुस्लिम केंद्रित पार्टियों का प्रदर्शन
देश में मुस्लिम केंद्रित सियासत के लिए मुख्यतः तीन पार्टियां जानी जाती हैं। इसमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) और केरल व तमिलनाडु केंद्रित पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव-2024 में AIMIM हैदराबाद, औरंगाबाद और किशनगंज के अलावा कई अन्य सीटों से चुनाव लड़ी, लेकिन, सिर्फ एक सीट जीत पाई। इसी प्रकार, AIUDF असम की तीन सीटों पर चुनाव लड़ी और तीनों पर 5 लाख से ज़्यादा वोटों के मार्जिन से हार गई।
IUML ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है। गठबंधन के तहत पार्टी को केरल में दो और तमिलनाडु में एक सीट दी गई थी।
तीनों सीटों पर पार्टी बड़े वोटों के अंतर से चुनाव जीती। केरल के मलप्पुरम से ईटी मुहम्मद बशीर तीन लाख से ज़्यादा वोटों से जीते। पोन्नानी सीट से डॉ. एमपी अब्दुससमद समदानी ने 2 लाख 35 हज़ार के मार्जिन से जीत दर्ज की। वहीं, तमिलनाडु के रामनाथपुरम से पार्टी के टिकट पर कानी के. नवास 1 लाख 66 हज़ार वोटों से जीतने में कामयाब रहे।
चुनाव दर चुनाव कम हो रहा प्रतिनिधित्व
चुनाव दर चुनाव देश में मुस्लिम सांसदों की संख्या घट रही है। पिछले तीन दशकों की बात करें तो लोकसभा में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व 5 फीसद के आस-पास रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 की बात करें तो उस वक्त 25 मुस्लिम सांसद जीते थे, जो कि कुल सीटों का सिर्फ 4.6 प्रतिशत होता है, जबकि, मुसलमानों की आबादी 14 प्रतिशत है।
2014 के आम चुनाव की बात करें तो उस समय भी मुस्लिम सांसदों की तादाद पांच प्रतिशत से कम ही थी। 2014 में सिर्फ़ 23 मुस्लिम लोकसभा पहुंच पाये थे।
2009 में जब यूपीए की सरकार थी तब भी स्थिति कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी। हालांकि, 2009 में यह आंकड़ा पांच फ़ीसद से अधिक था। 2009 में 30 मुस्लिम संसद पहुंचे थे। इसी प्रकार 2004 में मुस्लिम सांसदों की संख्या 34 थी।
वहीं, 1999 में जब एनडीए गठबंधन की सरकार थी तो उस वक़्त 31 मुस्लिम एमपी लोकसभा में थे, जो कि कुल सीटों का 5.7 प्रतिशत था।
मुस्लिम सांसदों का अब तक का सबसे अच्छा परफॉर्मेंस 1980 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। उस चुनाव में तक़रीबन दस फ़ीसदी मुस्लिम प्रतिनिधित्व था। 1980 में 49 मुस्लिम चुनाव जीते थे, जो कि अब तक का सबसे अच्छा रिकॉर्ड है।
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