Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

कटिहार: बारसोई गोलीकांड के एक साल बाद न कोई गिरफ्तारी, न कोई मुआवज़ा

बारसोई गोलीकांड में मरने वाले मो. ख़ुर्शीद के भाई ख़ालिद भी बताते हैं कि एक साल गुज़रने के बाद भी उनलोगों को मुआवज़ा नहीं मिल पाया है। मृतकों के परिजन जनप्रतिनिधि के नामों की लिस्ट गिनाते हुए कहते हैं कि नेताओं ने मुआवज़े का आश्वासन दिया था, लेकिन, कोई मुआवज़ा नहीं दिला पाया।

Md Minarul Reported By Md Minarul |
Published On :
barsoi police firing victim

पिछले साल कटिहार के बारसोई गोलीकांड में जिन व्यक्तियों की मौत हुई थी, उनके परिजन आज भी इंसाफ के लिये दर-दर भटक रहे हैं। एक साल गुज़रने के बाद भी इस मामले में पुलिस द्वारा कोई भी गिरफ़्तारी नहीं की गई है। गोली किसने चलाई थी, इस सवाल का जवाब भी पुलिस के पास नहीं है। जिन दो लोगों की मौत हुई थी, उनके परिजनों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं मिली है। गोलीकांड में मरने वाले सोनू साह के पिता मानिकचंद साह बताते हैं कि एक साल गुज़रने के बाद भी उनलोगों को प्रशासन की तरफ़ से कोई मुआवज़ा नहीं मिला।


आपको बताते चलें कि पिछले साल 26 जुलाई को कटिहार के बारसोई में लोगों ने बिजली की अनियमित सप्लाई को लेकर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान हालात बिगड़ गये और फायरिंग में दो व्यक्ति सोनू साह व मो. ख़ुर्शीद की मौत हो गई थी। साथ ही एक व्यक्ति मोहम्मद नियाज घायल हो गया था, जिसका सिलीगुड़ी में इलाज कराया गया था। नियाज़ के भाई शाहनवाज़ बताते हैं कि उनके इलाज में 20 लाख रुपये ख़र्च हो गये, लेकिन, प्रशासन की तरफ से कुछ भी सहयोग नहीं मिला। इतने ख़र्चीले इलाज के बावजूद इस हादसे में नियाज़ को एक आंख गंवानी पड़ी, क्योंकि गोली उनकी कनपटी पर लगी थी। साथ ही इस हादसे की वजह से वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहे हैं।

Also Read Story

Fact Check: अररिया में कर्ज़ में डूबे परिवार ने 9 हज़ार रुपये में अपने डेढ़ वर्षीय बेटे को बेचा?

बिहार: सजा पूरी होने के बावजूद 8 महीने से बांग्लादेशी नागरिक जेल में बंद

पटना में वक्फ संपत्ति विवाद: ‘पूरा गांव’ नहीं, 21 डिसमिल जमीन का मामला है

जन सुराज ने बिना सहमति के जिला कार्यवाहक समिति में डाले नेताओं के नाम

जहानाबाद के सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में क्यों मची भगदड़

कौन हैं बिहार में 65% आरक्षण ख़त्म करने के लिये हाईकोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ता?

क्या जाति केंद्रित हॉस्टलों के वर्चस्व की लड़ाई में हुई पटना यूनिवर्सिटी के छात्र हर्ष की हत्या?

सरकारी स्कूलों में तय मानक के अनुरूप नहीं हुई बेंच-डेस्क की सप्लाई

हिन्दी अख़बार ‘स्वदेश’ की लापरवाही, कथित आतंकी की जगह पर लगा दी AIMIM नेता की तस्वीर

बारसोई गोलीकांड में मरने वाले मो. ख़ुर्शीद के भाई ख़ालिद भी बताते हैं कि एक साल गुज़रने के बाद भी उनलोगों को मुआवज़ा नहीं मिल पाया है। मृतकों के परिजन जनप्रतिनिधि के नामों की लिस्ट गिनाते हुए कहते हैं कि नेताओं ने मुआवज़े का आश्वासन दिया था, लेकिन, कोई मुआवज़ा नहीं दिला पाया।


बारसोई में रहने वालों के लिये यह गोलीकांड एक पहेली बनकर रह गई है। इस केस में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिजनों का कहना है कि ज़िला प्रशासन वीडियो फुटेज दिखाकर लोगों को गुमराह कर रहा है। एक साल गुज़रने के बाद भी इंसाफ़ नहीं मिलने से पीड़ित परिवार ख़ासा नाराज़ हैं और इस केस में सीबीआई इंक्वायरी की मांग कर रहे हैं। साथ ही मृतकों के परिजनों ने इंसाफ़ की गुहार लगाई है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया कि हादसे के बाद पुलिस ने मृतकों के ख़िलाफ़ भी मुक़दमा दर्ज कर दिया था। साथ ही अनियमित बिजली के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले जनप्रतिनिधियों समेत कई लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। बारसोई प्रखंड मुखिया संघ अध्यक्ष और इमादपुर पंचायत के मुखिया मुअज़्ज़म हुसैन बताते हैं कि प्रशासन ने उनलोगों के ख़िलाफ़ झूठा मुक़दमा दायर किया था। ज़िला परिषद सदस्य गुलज़ार आलम ने इस गोलीकांड को पुलिस द्वारा की गई हत्या बताया और ज़िला प्रशासन को इसका ज़िम्मेदार ठहराया।

मामले को लेकर बारसोई अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि केस का सुपरविजन सदर डीएसपी ने किया है, चूंकि इस केस के इंवेस्टिगेटिव ऑफिसर वहीं हैं, इसलिए केस की सारी जानकारी उन्हीं से मिल पाएगी। सदर डीएसपी को फ़ोन करने पर उन्होंने कहा वो अभी यहां नए हैं, इसलिये उनके पास ज़्यादा जानकारी नहीं है। वहीं, जब हमने कटिहार एसपी जितेंद्र कुमार से इस केस का अपडेट जानना चाहा तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि “गड़ा हुआ मुर्दा क्यों उखाड़ रहे हैं?”

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

मो. मिनारूल कटिहार के रहने वाले हैं। बारसोई की सभी ख़बरों पर नजर रखते हैं।

Related News

बिहारशरीफ दंगे का एक साल: मुआवजे के नाम पर भद्दा मजाक, प्रभावित लोग नहीं शुरू कर पाये काम

बिहार में बढ़ते किडनैपिंग केस, अधूरी जांच और हाईकोर्ट की फटकार

क्या अवैध तरीके से हुई बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सचिव की नियुक्ति?

जमीन के विशेष सर्वेक्षण में रैयतों को दी गई ऑनलाइन सेवाओं की क्या है सच्चाई

राज्य सूचना आयोग खुद कर रहा सूचना के अधिकार का उल्लंघन

“SSB ने पीटा, कैम्प ले जाकर शराब पिलाई” – मृत शहबाज के परिजनों का आरोप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

चचरी के सहारे सहरसा का हाटी घाट – ‘हमको लगता है विधायक मर गया है’

अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर प्रदर्शन – सिर्फ 400 रुपया पेंशन में क्या होगा?

फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

बिहार में पैक्स अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा पाने में कितना सफल है?

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती किशनगंज की रमज़ान नदी