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SDRF की एक टीम के भरोसे सीमांचल के 1.08 करोड़ लोग

Reported By Umesh Kumar Ray |
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बिहार के सीमांचल यानी किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और अररिया जिलों में नदियों का जाल बिछा हुआ है। हर जिले में कम से कम आधा दर्जन नदियां बहती हैं, जिनमें से कुछ नदियां नेपाल से भी आती हैं।

किशनगंज जिले में महानंदा कनकई, मेची, डोंक, रतुआ, समेत आधा दर्जन नदियां बहती हैं। वहीं, लोअर गंगा बेसिन में स्थित कटिहार में कोसी, महानंदा, पमार, धार, कमला, सौरा, फरियानी जैसी नदियों का जाल है। वहीं, अररिया के कुल 9 ब्लॉकों में से 6 ब्लॉक में तो कोसी नदी ही दर्जनों धाराएं बह रही हैं। इसके अलावा परमान, कटुआ धार, रतुआ समेत अन्य नदियां तो बहती ही हैं। यही हाल पूर्णिया में भी है।

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इन नदियों में अक्सर बच्चों के डूबने की घटनाएं होती हैं, लेकिन शायद ही कोई मामला ऐसा हो, जिसमें बच्चे को जिंदा सुरक्षित निकाल लिया गया हो। ज्यादातर मामलों में 24 घंटे के बाद लाशें बरामद की जाती हैं। पिछले एक हफ्ते में सीमांचल में कम से कम आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की नदी व तालाब में डूबने से मौत हो चुकी है।


flood time visual from araria

9 जून को अररिया जिले के मरौना थाना क्षेत्र के एक पोखर में डूबने से एक बच्चे की मौत हो गई थी। बच्चे की शिनाख्त रोहन कुमार के रूप में की गई थी। बच्चा आंगन में खेलते खेलते पास के पोखर के पास चला गया था। वहां पोखर में डूबने से उसकी मौत हो गई।

इसी तरह 12 जून को अररिया के रामपुर मोहनपुर पूर्वी पंचायत में बकरा नदी में डूबने से सात साल के एक बच्चे की जान चली गई थी।

11 जून को किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड के तेघरिया पंचायत में एक तालाब में डूबने से दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी।

इसी तरह इस साल अप्रैल में कटिहार जिले के बारसोई की बलतर पंचायत के चौखरिया गांव में तालाब में नहाते वक्त डूबने से एक बच्चे की जान चली गई थी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि डूबने की घटनाएं होने के 24 घंटे बाद एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) की टीम घटनास्थल पर पहुंचती है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

ताजा मामला कटिहार का है। बुधवार (15 जून) की शाम 4 बजे कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत कुजिबाना घाट पर नाव से फिसल कर महानंदा नदी में गिर जाने के बाद से 18 वर्षीय छात्र मोहम्मद शाद फैसल लापता हो गया, लेकिन उसे खोजने के लिए एसडीआरएफ की टीम एक दिन बाद यानी गुरुवार दोपहर को पहुंची और शुक्रवार की सुबह 09.40 बजे यानी लगभग 41 घंटे बाद शव को बरामद किया गया।

sdrf team searching missing student mohammad shad faisal in kadwa block of katihar

मोहम्मद शाद फैसल जामिया मिलिया इस्लामिया का पूर्व छात्र था। वह बड़ा होकर वकील बनना चाहता था। इसी के लिए 16 जून को दिल्ली में एंट्रेंस परीक्षा देने के लिए जाने वाला था। जाने से पहले वह अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए महानंदा नदी के पार जा रहा था। लेकिन नाविक नहीं रहने की वजह से खुद से नाव चलाने के क्रम में नदी में गिर गया और पानी में समा गया।

उसके रिश्तेदार इजहार आलम, जो रेस्क्यू टीम के साथ मौजूद थे, ने बताया कि घटना की जानकारी तत्काल स्थानीय प्रशासन को दे दी गई थी लेकिन एसडीआरएफ की टीम दूसरे दिन कदवा अंचल अधिकारी के साथ दोपहर लगभग 12.30 बजे पहुंची। इस वजह से सर्च ऑपरेशन देर से शुरू हुआ।

जाजा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मो. शाकिर रेजा ने बताया कि घटना की जानकारी तत्काल स्थानीय प्रशासन को देने के बाद भी प्रशासन देर से हरकत में आया। घटना के दूसरे दिन दोपहर लगभग 12 बजे के आसपास पूर्णिया से एसडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची और 1 बजे के आसपास सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।

मो. शाकिर रजा ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने लाश को खोजने में हर संभव प्रयास किया और आखिर में लगभग घटना के 41 घंटे बाद खोज निकाला।

सीमांचल में कितनी है एसडीआरएफ की टीम

गौरतलब हो कि बिहार के सीमांचल के चार जिलों में कुल 1.08 करोड़ आबादी रहती है, लेकिन इस पूरी आबादी के लिए सीमांचलन में एसडीआरएफ की सिर्फ एक टीम काम कर रही हैं और वह भी सिर्फ पूर्णिया में। इस टीम में कुल 40 सदस्य हैं।

अगर किशनगंज में कोई हादसा हो जाए, तो उसके लिए भी पूर्णिया से ही टीम आती है और अगर अररिया, कटिहार में हो जाए तब भी पूर्णिया से टीम को बुलाना पड़ता है।

rescue operation by sdrf in kishanganj

सीमांचल में एसडीआरएफ की मौजूदगी की यह स्थिति तब है, जब हर साल सीमांचल भीषण बाढ़ झेलता है। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में सिर्फ सीमांचल के चार जिलों में ही डूबने से 562 लोगों की मौत और लाखों रुपए की संपत्ति की नुकसान हो चुका है।

एआईएमआईएम के स्थानीय विधायक अख्तरूल ईमान लगातार सीमांचल में एसडीआरएफ की टीम बढ़ाने की मांग करते रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था, “सीमांचल घनी नदियों का इलाका है और यहां हर साल बच्चे नदियों में डूबते हैं। पूर्णिया से एसडीआरएफ की टीम को आने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं, लेकिन अक्सर यह टीम एक दिन बाद आती है।”

बिहार में एसडीआरएफ

उल्लेखनीय हो कि बिहार में एसडीआरएफ की स्थापना साल 2010 में हुई थी। इसमें पहले चरण में सहरसा, पूर्णिया, भागलपुर, मधुबनी, खगड़िया और सीतामढ़ी में सेंटर खोले गये।

इसके बाद दूसरे चरण में पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा, बेगूसराय, पश्चिमी चम्पारण और सारण में सेंटर स्थापित किये गये। यानी फिलहाल पूरे बिहार के 13 जिलों में एसडीआरएफ की टीमें काम कर रही हैं। हर सेंटर में 40-40 जवान होते हैं।

sdrf carrying out rescue operation in pothia kishanganj

हालांकि ये संख्या बल बिहार में आने वाली वार्षिक बाढ़ विभीषिका के मुकाबले काफी कम है, जबकि कुछ अन्य राज्य जहां इस तरह की आपदाएं आती हैं, वहां एसडीआरएफ की ज्यादा टीमें काम कर रही हैं। मसलन ओडिशा में कुल 20 स्थानों पर एसडीआरएफ की टीमें हैं और हर टीम में लगभग 50 सदस्य हैं, जबकि बिहार में हर टीम में 40 सदस्य ही हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में भी सभी जिलों में एसडीआरएफ की टीमें सक्रिय हैं।

एसडीआरएफ से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि जिलों की तरफ से अगर डिमांड रखी जाती है एसडीआरएफ की टीमों के लिए तो टीम भेजी जाती है और अगर टीम के स्थाई ठिकाने के लिए जमीन मुहैया करवा दी गई, तो टीम वहां स्थाई तौर पर रह कर आपदा के वक्त त्वरित कार्रवाई कर सकती है।

कटिहार और अररिया के लिए टीम तैयार – एसडीआरएफ कमांडेंट

सीमांचल के जिलों में नदियों और डूबने की वारदातों को लेकर एसडीआएफ टीम की जरूरत पर मैं मीडिया ने एसडीआरएफ के कमांडेंट फरुगुद्दीन से बात की। उन्होंने बताया कि कटिहार और अररिया जिले के लिए एसडीआरएफ की टीम तैयार है। इन जिलों से ज्योंही गाड़ियां भेजी जाएंगी, टीम रवाना हो जाएगी।

sdrf during rescue in ganga near katihar

उन्होंने बताया कि हर टीम में 30 से 35 जवान हैं। क्या यह टीमें स्थाई तौर पर इन जिलों में रहेंगी? इस सवाल पर वह कहते हैं, “यह तो आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन पर निर्भर करता है। अगर उन्हें लगता है कि दोनों टीमों को स्थाई तौर पर रखना है, तो रख सकते हैं।”

किशनगंज में एसडीआरएफ की टीम भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारे पास ऐसा कुछ लिखित आदेश नहीं आया है आपदा प्रबंधन विभाग या किशनगंज जिला प्रशासन की तरफ से। अगर आदेश आएगा, तो वहां भी हम टीम भेज देंगे।”

हालांकि, टीमों को स्थाई तौर पर रखने के लिए स्थाई दफ्तर की जरूरत है, लेकिन इन जिलों में अभी तक ऐसा कोई ढांचा विकसित नहीं हुआ है कि टीमों को रखा जा सके।

एसडीआरएफ से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा कि स्थाई ठिकाना बनाने को लेकर अभी जिला प्रशासन से बातचीत चल रही है। दोनों जिला प्रशासनों की तरफ से एक-एक एकड़ जमीन संभवतः चिन्हित कर ली गई है। इस जमीन पर दफ्तर बनाया जाएगा, तो टीमें स्थाई तौर पर रहेंगी।

फरुगुद्दीन कहते हैं, “स्थाई ठिकाना बन जाएगा, तो टीम के साथ साथ उपकरण भी रखे जा सकेंगे और टीम स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी दे पाएगी। साथ ही स्थाई तौर पर वहां रहने पर आपदा के वक्त टीम त्वरित हस्तक्षेप कर सकेगी।”

(कटिहार से आकील जावेद के इनपुट्स)


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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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