एक तरफ जहां देश में बुलेट ट्रेन की बात बड़े धूमधाम से होती है वहीं इसी देश में कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहां आज तक रेल नहीं है। शिवहर और अरवल बिहार के ऐसे ही दो ज़िलें हैं, जहाँ अब तक रेल की पहुँच नहीं हो पाई है।
12 वर्षीय मोहम्मद फवाद आठवीं क्लास का छात्र है। बिहार के शिवहर ज़िले का रहने वाला फ़वाद पढ़ लिख कर एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहता है। लेकिन, वह अभी तक रेल नहीं देख पाया है। वजह ये है कि ये ज़िला अब तक रेल से महरूम है। उसने किताब और मोबाइल से ही रेल को देखा है।
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अरवल जिले के लोगों का भी अनुभव कुछ ऐसा ही है।
विगत दिनों शिवहर में रेलवे सेवा के लिए पटना उच्च न्यायालय में इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश पार्थसारथी के बेंच ने मध्य – पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक को चार हफ़्तों में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि रेलवे ये बताए कि इस संबंध में पूर्व के फैसले को लागू करने में क्या बाधाएं हैं। कोर्ट ने भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को भी इस मामले को स्वयं उपस्थित होने को कहा है, ताकि स्थिति और साफ हो सके। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
याचिकाकर्ता मुकुंद प्रकाश इस संबंध में कहते हैं, “यह दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के 70 साल बाद भी शिवहर में रेल नहीं पहुंच सका। देश का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है, जहां रेल नहीं होगा।”
“मैंने सभी पार्टियों के नेताओं से इस संबंध में लगातार संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है। इसका साफ मतलब है कि राजनीतिक पार्टियां इस पर गंभीर नहीं हैं। शिवहर लोकसभा से भाजपा लगातार तीन बार से जीतती रही है, फिर भी कुछ नहीं हुआ। इसी सब को देखते हुए कोर्ट की शरण में जाना पड़ा है,” उन्होंने कहा।
आपको लगता है कि न्यायालय इस दिशा में कुछ कर पाएगा, इस सवाल पर वह कहते हैं, “मुझे पूरी उम्मीद है और इसके सकारात्मक परिणाम भी आए हैं। इस केस को स्वयं मुख्य न्यायाधीश संजय करोल साहब देख रहे हैं। इससे पता चलता है कि कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है।”
रेल लाइन होने से बढ़ेगा शिवहर का बाजार
शादान खान युवा उद्यमी हैं। स्थानीय नवाब हाईस्कूल से पढ़ाई करने के बाद भोपाल से इंजीनियरिंग की पढाई की है। अब शिवहर में ही अपना कारोबार शुरू किया है। उनकी कपड़ा और हार्डवेयर की दुकान है। वह कहते हैं, “आप इस मुद्दे पर पूछ रहे हैं तो ये मेरे लिए और शिवहर के लिए शर्म के अलावा कुछ नहीं हैं। जब मैं भोपाल पढ़ने गया, तो दोस्त ये कह कर मज़ाक करते थे कि शिवहर में रेल नहीं है। आज भी जब मुझे दुकान का माल लाने दिल्ली जाना होता है, तो मुजफ्फरपुर या पटना से ट्रेन लेना होता है। समान महंगा पड़ जाता है। कोई विकल्प नहीं है शिवहर के कारोबारियों के सामने।”
वह आगे कहते हैं, “रेल नहीं होने की वजह से शिवहर का बाज़ार भी बढ़ नहीं पाया है। यहां युवाओं के सामने रोजगार के कम अवसर हैं। रेल आने से नए मौके ज़रूर विकसित होंगे। हम जैसे नए कारोबारियों का हौसला भी बढ़ेगा।”
स्थानीय युवा रणधीर कुमार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और पढ़ाते भी हैं। स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले रणधीर कहते हैं, “रेल के मुद्दे को बस यहाँ के युवा ही उठाते रहे हैं। दुर्भाग्य है कि चुनाव में कभी ये मुद्दा नहीं बन पाता। रेल नहीं है इसी कारण शिवहर का हर जगह मज़ाक उड़ाया जाता है, इसका फायदा- नुकसान क्या गिनाएं? जब आपको इस बात से पहचाना जाए कि हम वैसी जगह से आते हैं, जहाँ रेल नहीं है, तो इससे बड़ा मज़ाक क्या हो सकता है। पहले कोई बोलता था, तो खराब लगता था। अब फर्क नहीं पड़ता।”
“रेल आ जाने से सामान का दाम थोड़ा कम होगा, यही आम आदमी को फायदा होगा इससे,” आगे रणधीर कहते हैं।
40 वर्षीय खलीक़ुर रहमान कहते हैं कि रेल न होने से दिल्ली, मुंबई जाने वाले को मुजफ्फरपुर, पटना जाकर गाड़ी पकड़ना पड़ता है। साल 1998 में जब हम मुंबई गए थे, तब पटना से गाड़ी लेना पड़ा था। आज भी वही हालात हैं। रेल नहीं है इसी वजह से शिवहर के बाजार का विकास नहीं हुआ है। रेल सेवा इधर होने से लोगों को कारोबार में भी आसानी होगी।
लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुआ था प्रयास
इस संबंध में बिहार विधान परिषद सदस्य खालिद अनवर कहते हैं, “पिछली यूपीए सरकार में लालू प्रसाद रेल मंत्री थे, तब मोतिहारी- शिवहर- सीतामढ़ी रेलवे लाइन का काम शुरू हुआ था। कई जगह इसके लिए भूमि अधिग्रहण भी किया गया। फंड के अभाव में ये अब तक पूरा नहीं हो सका है। मौजूदा भाजपा सरकार नहीं चाहती कि बिहार में रेलवे का विस्तार हो। केंद्र की भाजपा सरकार ने बिहार को मिलने वाली केंद्रीय सहायता में लगातार कटौती की है। इसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। मैं केंद्र सरकार से मांग करता हूँ कि मोतिहारी- शिवहर – सीतामढ़ी रेलवे लाइन को अविलंब पूरा किया जाए।”
वह आगे कहते हैं, “मैं खुद चंपारण की धरती से आता हूँ। हमारी दिली ख्वाहिश है कि शिवहर को रेलवे के मानचित्र पर देखें। अब इस काम को पूरा तो केंद्र सरकार ही करेगी, हम लोग आवाज़ उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे।”
लोक जनशक्ति(रा) प्रमुख चिराग पासवान द्वारा इस सम्बन्ध में रेल मंत्री को भी लिखा गया है।
अंत में याचिकाकर्ता मुकुंद कहते हैं, “चलिए हम लोग अपने बचपन में रेल नहीं देख पाए, कम से कम आने वाली पीढ़ी तो ट्रेन देखे। मैं आश्वस्त हूँ, न्यायालय का फैसला शिवहर की जनता के पक्ष में होगा। यह लोकतंत्र में एक दुखद पहलू ज़रूर है कि जो काम कार्यपालिका को करना चाहिए था, उसमें न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। यही सच्चाई है। आगे भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
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