नीतीश सरकार का दावा है की बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चूका है, लेकिन आज भी किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में चचरी पुल का जाल बिछा है, क्या सरकार किशनगंज को बिहार का हिस्सा नहीं मानती है?
बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव का दावा है कि बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चुका है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। बिहार के संसदीय क्षेत्र किशनगंज के चैनपुर, मुसलडंगा और निसंद्रा जैसे गावों और पंचायतों तक पहुँचने के लिए आपको चचरी पुल से गुजरना पड़ेगा।
#बिहार में अब चचरी पुल का जमाना अब खत्म हो गया है….#BiharGovtInitiative #BiharRoadConstructionDept #Bihar #NDANewBihar #BRPNNL pic.twitter.com/LQfrwVXxuE
— Nand Kishore Yadav (@nkishoreyadav) June 12, 2018
नदी का जलस्तर कम होते ही लोग यहाँ घाटों पर बांस का चचरी पुल बना दिया जाता है। हज़ारों बांस और लाखों की खर्च से बना चचरी पुल सरकार की गैरज़िम्मेदाराना बयान के बीच एक अस्थाई उपाय है, लेकिन खतरे से खाली नहीं है।
स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद नासीर बताते है कि
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चैनपुर से निसंद्रा तक जाने के लिए तीन चचरी पुल से गुजरना पड़ता है, लगभग 8-10 पंचायत ऐसे हैं जहाँ जाने के लिए चचरी का सहारा लेना ही पड़ता है।
वृद्ध ग्रामीण मोहम्मद सुलेमान अपने दर्द को बयान करने हुए कहते हैं
बिखरकर पत्तियां फूलों से ये ऐलान करती है, मुझे हँसता ही पाओगे तबाही के आलम में
(Written by Kirti Rawat)
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