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नीतीश सरकार के दावों का मज़ाक़ उड़ाते चचरी पुल

नीतीश सरकार का दावा है की बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चूका है, लेकिन आज भी किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में चचरी पुल का जाल बिछा है, क्या सरकार किशनगंज को बिहार का हिस्सा नहीं मानती है?

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
Published On :
Nitish government's lies exposed on bamboo bridges in Bihar

नीतीश सरकार का दावा है की बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चूका है, लेकिन आज भी किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में चचरी पुल का जाल बिछा है, क्या सरकार किशनगंज को बिहार का हिस्सा नहीं मानती है?


बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव का दावा है कि बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चुका है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। बिहार के संसदीय क्षेत्र किशनगंज के चैनपुर, मुसलडंगा और निसंद्रा जैसे गावों और पंचायतों तक पहुँचने के लिए आपको चचरी पुल से गुजरना पड़ेगा।


 

नदी का जलस्तर कम होते ही लोग यहाँ घाटों पर बांस का चचरी पुल बना दिया जाता है। हज़ारों बांस और लाखों की खर्च से बना चचरी पुल सरकार की गैरज़िम्मेदाराना बयान के बीच एक अस्थाई उपाय है, लेकिन खतरे से खाली नहीं है।

स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद नासीर बताते है कि

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चैनपुर से निसंद्रा तक जाने के लिए तीन चचरी पुल से गुजरना पड़ता है, लगभग 8-10 पंचायत ऐसे हैं जहाँ जाने के लिए चचरी का सहारा लेना ही पड़ता है।

वृद्ध ग्रामीण मोहम्मद सुलेमान अपने दर्द को बयान करने हुए कहते हैं

बिखरकर पत्तियां फूलों से ये ऐलान करती है, मुझे हँसता ही पाओगे तबाही के आलम में

(Written by Kirti Rawat)

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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