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नारदा केस में सिर्फ TMC नेता गिरफ्तार, BJP वाले क्यों नहीं?

नारदा केस असल में नारदा न्यूज के द्वारा किया गया एक स्टिंग ऑपरेशन था जिसके वीडियों 2016 में बंगला चुनाव से पहले सामने आए थे।

Reported By Brijesh Goswami |
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बंगाल चुनाव को खत्म हुए अभी एक महीना बीता नहीं है कि CBI ने नारदा केस में ममता सरकार के मंत्रियों को गिरफ्तार करना शुरु कर दिया। ताजा ममला है सोमवार 17 मई का जब जांच एजेसी ने फिरहाद हाकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोभन चटर्जी से पूछताछ के लिए उनकों गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के विरोध में कुछ ही घंटों के अंदर मुख्मंत्री ममता बनर्जी खुद कोलकाता में सीबीआई के दफ्तर पहुंच गई। यहां उन्होंने सीबीआई से कहा कि आप मुझे भी गिरफ्तार करिए इस तरह से आप मेरे नेतओं को गिरफ्तार नहीं कर सकते। दिनभर चली इस तनातनी के बाद शाम को सभी नेताओं को सिटी कोर्ट से बेल मिल गई, लेकिन देर शाम ममाले को लेकर जांच एजेंसी कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंच गई। जिसके बाद हाई कोर्ट ने कहा कि सुनवाई बुधवार को होगी और तब तक चारों नेता हिरासत में ही रहेंगे।

राज्यपाल के इशारे पर शुरु हुई थी जांच?

इस केस में चौकने वाली बात यह है कि नारदा केस में जांच एजेंसी ने जनवरी में राज्यपाल से चारों नेताओं से पूछताछ की इजाजत देने के लिए मांग करी थी। इसके बाद अब काफी लंबे समय के बाद पूछताछ के लिए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकर ने 8 मई को सीबीआई को मंजूरी दे दी। जिसके बाद 17 मई को इन चारों को पकड़ने के लिए सीबीआई की ओर से रेड डाली गई। जिसके बाद सभी को पकड़ के पूछताछ के लिए सीआबाई के दफ्तर लाया गया और गिफ्तार कर लिया गया। इन सभी की बेल को लेकर हो रही सुनवाई में सीबीआई ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग की। इसके जवाब में चारों के वकील ने पक्ष रखते हुए कहा कि इस केस में इजाजत देना का राज्यपाल को कोई अधिकार नहीं है। ये केस पांच साल पुराना है और गिरफ्तारी केवल राजनीतिक प्रतिशोध लेने के लिए की गई है।


कौन है ये ममता के चार नेता?

नारदा घूसखोरी मामले में इन चार नेताओं का नाम 12 लोगों की लिस्ट में शामिल हैं। साल 2014 में घूसखोरी का ये ममाला जब सामने आया था तो चारों नेता ममता सरकार में मंत्री थे। चारों नेताओं में सोवन चटर्जी 2019 में बीजेपी के साथ आ गए, फिर 2021 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से उन्होंने बीजेपी का साथ भी छोड़ दिया। फिरहाद हकीम को ममता की नई सरकार में फिर से मंत्री पद मिल गया है और सुब्रत मुखर्जी को अस्थायी सभापति चुना गया है। मदन मित्रा ममता सरकार में खेल और परिवहन मंत्री के पद पर रहे है।

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क्या है नारदा केस?

नारदा केस असल में नारदा न्यूज के द्वारा किया गया एक स्टिंग ऑपरेशन था जिसके वीडियों 2016 में बंगला चुनाव से पहले सामने आए थे। इन वीडियों में 12 नेताओं को घूस लेते हुए पकड़ा गया था, जिसमें फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, शोभन चटर्जी, सौगत रॉय, काकोली घोष, प्रसून बनर्जी, सुल्तान अहमद, इकबाल अहमद, मुकुल रॉय, सुवेंदु अधिकारी और सीनियर पुलिस ऑफिसर अहमद मिर्जा शामिल थे। इस घूसखोरी के ऑपरेशन को नारदा न्यूज के संस्थापक मैथ्यू सैमुअल ने कैमरे में कैद किया था। जिसका वीडियों बीजेपी ने खुद भी शेयर किया था।

CBI पर प्रतिशोध लेने का क्यों लगे है आरोप?

राजनीतिक रुप से प्रतिशोध लेने के आरोप सीबीआई पर मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी की वजह से लग रहे है। इन दोनों नेताओं का नाम भी घूसखोरी के आरोपियों में शामिल है, लेकिन दोनों अब बीजेपी में शामिल हो चुके है। जिसके बाद बीजेपी ने जो वीडियो शेयर किया था उसे डिलीट कर दिया।

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सोमवार को हुई कारवाई पर पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने खुशी जताते हुए कहा कि

ये चौकने वाली बात है कि कुछ लोगों को छोड़ दिया गया जबकि टेपों (वीडियों) में और लोग भी थे।

अब बंगाल चुनाव हो चुके है और ममता की सरकार बन चुकी है तो सीबीआई के इस तरह से गिरफ्तारियों से प्रतिशोध का ममला तूल पकड़ने लगा है। देखने वाली बात होगी कि क्या इन दोनों नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद इन पर भी कोई कारवाई होगी या नहीं।

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