नारदा घूसखोरी मामले में 17 मई को गिरफ्तार हुए ममता के चार नेताओं फिरहाद हाकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को उनकी बेल के सिलसिले में बुधवार को भी कलकत्ता हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल सकी है। 19 मई बुधवार को कोर्ट में हुई कार्यवाही में कोई नतीजा नहीं निकल सका इसलिए सभी की न्यायिक हिरासत जारी रहेगी। कोर्ट ने केस की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है जिससे सुनवाई अब अगले दिन गुरुवार को 2 बजे से फिर शुरु होगी।
सोमवार और मंगवार को क्या हुआ था?
आपकों बता दें कि 8 मई के इन नेताओं से पूछताछ के लिए बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकर ने सीबीआई को मंजूरी दी थी। जिसके बाद 17 मई को 2016 नारदा घूसखोरी मामले में टीएमसी के चार नेताओं को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद स्पेशल कोर्ट से चारों को बेल मिल गई थी लेकिन सीबीआई बेल के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गई। जहां से हाईकोर्ट ने सीबीआई की मांग को मानते हुए चारों को बुधवार तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। लेकिन अगले दिन मंगलार की सुबह गिरफ्तार हुए दो नेताओं में मदन मित्रा और शोभन चटर्जी ने शिकायत की उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही। जिसके चलते दोनों को बाद में एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया और दोनों को ऑक्सीजन सर्पोट भी दिया गया था।
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क्या है नारदा केस?
नारदा केस असल में नारदा न्यूज के द्वारा किया गया एक स्टिंग ऑपरेशन था जिसके वीडियों 2016 में बंगला चुनाव से पहले सामने आए थे। इन वीडियों में 12 नेताओं को घूस लेते हुए पकड़ा गया था जिसमें फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, शोभन चटर्जी, सौगत रॉय, काकोली घोष, प्रसून बनर्जी, सुल्तान अहमद, इकबाल अहमद, मुकुल रॉय, सुवेंदु अधिकारी और सीनियर पुलिस ऑफिसर अहमद मिर्जा शामिल थे। इस घूसखोरी के ऑपरेशन को नारदा न्यूज के संस्थापक मैथ्यू सैमुअल ने कैमरे में कैद किया था। जिसका वीडियों बीजेपी ने खुद भी शेयर किया था।
नई बात क्या सामने आई?
सुवेंदु अधिकारी और मुकल रॉय इन दोनों नेताओं का नाम भी घूसखोरी के आरोपियों में शामिल है, लेकिन दोनों अब बीजेपी में शामिल हो चुके है। जिसके बाद बीजेपी ने जो वीडियों शेयर किया था उसे डिलीट कर दिया। यहाँ तक की कहानी आप जानते हैं, लेकिन आज The Indian Express में खबर छपी है कि इन दोनों बीजेपी नेताओं ने अपने चुनावी affidavit में नारदा घूसखोरी मामले की पूरी जानकारी नहीं दी थी। Narada sting operation case में सामने आये नामों में से पांच ने इस बार चुनाव लड़ा था।
अग्रेंजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने पता लगाया है कि टीएमसी नेताओं ने इस केस के बारे में अपने चुनावी affidavits में जानकारी दी है। लेकिन, सुवेंदु अधिकारी ने अपने हलफनामें में केवल अपना केस नंबर बताया हुआ है। मुकुल रॉय ने तो इस मामले में शामिल होने का हलफनामें में कोई ज़िक्र ही नहीं किया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या रॉय ने जानबूझकर ऐसा किया है या फिर सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे थी?
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