Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

बिहार में फर्ज़ी दस्तावेज़ों से म्यूटेशन का गोरखधंधा चरम पर

हालिया दिनों में म्यूटेशन के लिए आवेदकों द्वारा जमा किए जाने वाले आवेदनों के साथ नत्थी किए जा रहे दस्तावेज़ों की वैधता की पुष्टि बेहद आसान हुई है। इसके बावज़ूद कोशी और सीमांचल के अंचल कार्यालयों से फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर म्यूटेशन किए जाने की सूचना आते रहना आम हो चला है।

Main Media Logo PNG Reported By Main Media Desk |
Published On :
mutation scam due to fake documents at its peak in bihar

फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर म्यूटेशन कराना कोई नई बात नहीं है। तकनीक के अभाव, किसी एक पक्ष की जागरूकता में कमी, दूसरे पक्ष के शातिराना रवैये और अंचल अमला की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर कई म्यूटेशन आवेदन अंचलों में स्वीकृत होते रहे हैं जिसने गैर-कानूनी तरीके से म्यूटेटेड जमीनों पर मार-पीट, हत्या जैसे विवादों को बढ़ाया है।


हालिया दिनों में म्यूटेशन के लिए आवेदकों द्वारा जमा किए जाने वाले आवेदनों के साथ नत्थी किए जा रहे दस्तावेज़ों की वैधता की पुष्टि बेहद आसान हुई है। इसके बावज़ूद कोशी और सीमांचल के अंचल कार्यालयों से फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर म्यूटेशन किए जाने की सूचना आते रहना आम हो चला है।

Also Read Story

विधवा को मृत बता पेंशन रोका, खुद को जिंदा बताने के लिए दफ्तरों के काट रही चक्कर

4 महीनों में बनकर तैयार होगा पूर्णिया एयरपोर्ट का अंतरिम टर्मिनल, टेंडर जारी

किशनगंज: पोठिया में जर्जर भवन गिराने को लेकर संवेदक और बीडीओ के बीच मतभेद का क्या है पूरा मामला?

पूर्णिया IG लाण्डे का तबादला, राकेश राठी को मिली पूर्णिया क्षेत्र की ज़िम्मेदारी

कुल 1261 करोड़ रुपये से 36 महीनों में बन जाऐगा दरभंगा AIIMS

पूर्णिया एयरपोर्ट पर अंतरिम टर्मिनल बनाकर जल्द शुरू हो उड़ान सेवा, मंत्री से मिलकर बोले जदयू सांसद संजय झा

सहरसा में CM नीतीश के कार्यक्रम के बाद मछलियों की लूट, बायोफ्लोक से मछलियां लेकर भागे लोग

IPS शिवदीप लांडे ने दिया इस्तीफा, लिखा, “बिहार में ही रहूँगा, यही मेरी कर्मभूमि रहेगी”

बिहार में 29 IPS ट्रांसफर, कटिहार, पूर्णिया सहित कई जिलों के SP बदले

ताज़ा मामला मधेपुरा जिले के ग्वालपाड़ा अंचल का है। आवेदक राजा राम केशरी ने म्यूटेशन के लिए अपना आवेदन ग्वालपाड़ा अंचल में जमा किया। अंचल अमला ने आवेदन रिसीव किया और उसके बदले एक म्यूटेशन वाद संख्या जारी की गई। आवेदक राजा राम केशरी ने अपने म्यूटेशन आवेदन की स्वीकृति के लिए जो दस्तावेज़ अंचल कार्यालय ग्वालपाड़ा में जमा कराए उसमें उन्होंने निबंधित बँटवारा विलेख का ज़िक्र किया जिसकी संख्या 657497 दिनांक 22.01.2020 होने का दावा किया गया है। एक अन्य मामले में आवेदक संजय केसरी ने भी म्यूटेशन के लिए दिनांक 26.12.2019 को निबंधित एक बँटवारा विलेख का ज़िक्र अपने आवेदन में किया जिसकी संख्या 657497 होने का दावा किया गया।


ठीक इसी तरह के एक तीसरे म्यूटेशन आवेदन की मंजूरी के लिए आवेदक बलराम केसरी ने ग्वालपाड़ा अंचल में 22.01.2000 के एक निबंधित बँटवारा विलेख का सहारा लिया जिसकी संख्या 657496 होने का दावा किया गया। इन सभी आवेदकों द्वारा अपने म्यूटेशन आवेदन के साथ जो दस्तावेज़ नत्थी किए गए उनमें साल 2000, 2019 और 2020 के निबंधित बँटवारा विलेखों को अपने-अपने म्यूटेशन आवेदनों की मंजूरी का आधार बनाया गया। म्यूटेशन के इन मामलों में जहाँ एक ओर आवेदक बँटवारा विलेख के निबंधन का दावा कर रजिस्टर टू में अपना नाम दाखिल कराने में सफल रहे, वहीं दूसरी ओर अनुमंडलीय निबंधन कार्यालय, उदाकिशुनगंज साल 2000, 2019, 2020 में ऐसे किसी बँटवारा विलेखों के अपने यहाँ निबंधन से इन्कार करता है।

म्यूटेशन स्वीकृति से पूर्व राजस्व कर्मचारी की जरूरी जाँच संदेह के घेरे में

बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम में यह प्रावधान है कि, “बँटवारा के आधार पर म्युटेशन के आवेदन केवल तभी स्वीकृत किए जाएँगे जब बँटवारा न्यायालय के जरिये किया गया हो अथवा निबंधित हो।” इसके अतिरिक्त बँटवारे के लिए हिस्सेदारों की सहमति आवश्यक है। म्यूटेसन एक्ट में फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर म्यूटेशन आवेदनों को मंजूर किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है।

राजाराम केसरी का म्यूटेशन आवेदन 14 जुलाई 2023 को अंचल कार्यालय, ग्वालपाड़ा में रिसीव किया गया। सुनवाई के क्रम में 12 अक्टूबर 2023 को ग्वालपाड़ा अंचल के राजस्व कर्मचारी ने अपना रिमार्क केस रिकॉर्ड में दर्ज़ किया। करीब एक महीने बाद 09 नवम्बर 2023 को राजस्व कर्मचारी द्वारा समर्पित जाँच प्रतिवेदन के अस्पष्ट होने का हवाला देते हुए राजस्व कर्मचारी, ग्वालपाड़ा से दोबारा स्पष्ट प्रतिवेदन की माँग की गई।

सुनवाई की प्रक्रिया में आम व खास सूचना पर अंचलाधिकारी ग्वालपाड़ा द्वारा 09 जनवरी 2024 को हस्ताक्षर करने के बाद 30 जनवरी 2024 को म्यूटेशन आवेदन स्वीकृत कर रजिस्टर-टू अपडेट कर दिया गया।

इस तरह से राजस्व कर्मचारी ग्वालपाड़ा ने आवेदक द्वारा समर्पित बँटवारे के फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर म्यूटेशन की प्रक्रिया को अपने अधूरे जाँच-प्रतिवेदन के जरिए पोषित किया जिसे राजस्व अधिकारी व अंचलाधिकारी ने एक-दूसरे के कंधे पर बंदूक रख स्वीकृत कर दिया।

फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर स्वीकृत होने वाला यह कोई पहला म्यूटेशन आवेदन नहीं था। इससे पहले जालसाजों द्वारा जाली केबाला के आधार पर कसबा अंचल में एक रिटायर्ड प्रोफेसर की जमीन का म्यूटेशन अपने नाम कराने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। इस मामले में अंचलाधिकारी कसबा ने जाली दस्तावेज़ों पर आधारित म्यूटेशन आवेदन को स्वीकृति दे दी।

बाद में डीसीएलआर सदर पूर्णिया ने फर्जीवाड़े की सभी जानकारियाँ होते हुए भी अपीलीय कोर्ट में दायर म्यूटेशन अपीलवाद को भी जालसाजों के पक्ष में स्वीकृत कर दिया जिससे प्रश्नगत जमीन पर लॉ एंड ऑर्डर की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई थी। अपर समाहर्ता पूर्णिया के न्यायिक हस्तक्षेप के बाद जालसाजों के स्वीकृत म्यूटेशन आवेदन को ख़ारिज़ किया गया।

बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली, 2012 (संशोधन नियमावली 2017) संख्या 5(10) में राजस्व कर्मचारी के द्वारा जाँच के ढंग, भूमि के अंतरण का लिखत यथा लिखत के ब्यौरे के साथ बँटवारानामा की सभी विवरणी और दाखिल-खारिज के सन्दर्भ में अर्जी के साथ उपलब्ध पूर्व विलेख अथवा आदेश का विवरण देना अनिवार्य है।

इस मामले में ग्वालपाड़ा अंचल के राजस्व कर्मचारी ने अपनी जाँच रिपोर्ट में विस्तृत ब्यौरे की जगह सिर्फ चुनिंदा जानकारी अपने अधिकारियों को प्रेषित की। राजस्व अधिकारी और अंचलाधिकारी ने भी आवेदन में उल्लेखित निबंधित बँटवारा विलेख की वैधता की पुष्टि करने की कोशिश नहीं की।

केबाला और बंटवारानामा निबंधन के आंकड़े

बिहार सरकार के निबंधन कार्यालयों में बीते सालों में निबंधित दस्तावेज़ों का ब्यौरा आम लोगों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है। अवर निबंधक, अनुमंडलीय निबंधन कार्यालय, उदाकिशुनगंज ने बताया कि, “बँटवारा विलेख संख्या 657496 और 657497 अनुमंडलीय निबंधन कार्यालय, उदाकिशुनगंज में निबंधित ही नहीं हुए। साल 2019 में कुल 9660 केबाला निंबधित हुए। उस साल निबंधित हुए बँटवारानामा की संख्या मात्र 10 है। इसी तरह अनुमंडलीय निबंधन कार्यालय, उदाकिशुनगंज में साल 2020 में निबंधित केबाला की संख्या 6920 और निबंधित बँटवारानामा की संख्या मात्र 4 है।

साल 2021 में निबंधित केबाला की संख्या 9160 रही जबकि निबंधित बँटवारा विलेख की संख्या मात्र 3 रही। साल 2022 में निबंधित केबाला की संख्या 11220 रही। वहीं, उस साल निंबधित बँटवारानामा की संख्या 2 रही। साल 2023 में निबंधित केबाला की संख्या 12551 रही। वहीं, उस साल निंबधित बँटवारानामा की संख्या बीते साल की तरह 2 रही।

साल 2019 से 2023 तक अनुमंडलीय निबंधन कार्यालय, उदाकिशुनगंज में निबंधित हुए कुल केबाला की संख्या 49511 और बँटवारा विलेख की संख्या 21 है।
ख़बर लिखे जाने तक अंचलाधिकारी, ग्वालपाड़ा का सरकारी मोबाइल नम्बर 8544412640 स्विच्ड ऑफ रहने के कारण उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। वहीं, डीसीएलआर, उदाकिशुनगंज ने बताया, “इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है। हमारा कोर्ट अपीलीय कोर्ट है। ऐसा जो भी मामला अपीलीय कोर्ट में आएगा उसमें विधिवत कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया, “अपीलीय कोर्ट के अधीनस्थ छह अंचल हैं और किसी एक अंचल में एक साल में करीब 2500-4000 केस होते हैं यानी एक साल में तकरीबन 15000 से 25000 म्युटेसन केस। उनमें से अपीलीय कोर्ट में दायर होने वाले केस की हम विधिवत सुनवाई करते हैं।“ फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर म्युटेसन आवेदन मंजूर किए जाने की बाबत पूछे जाने पर एडीएम राजस्व, मधेपुरा द्वारा बताया गया कि जिस्टर्ड दस्तावेज़ों को फर्ज़ी घोषित करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है। इस मामले में अपीलीय प्राधिकार के यहाँ अपील वाद दायर करनी चाहिए।

बिहार सरकार ने म्यूटेशन आवेदनों के निपटारे में अंचल अमला के अनुपालन के लिए कानूनी प्रावधान, नियमावलियाँ, विभागीय दिशा-निर्देश जारी किये हैं। सरकार की इन तमाम सकारात्मक कोशिशों के बाद भी ये गोरखधंधा सरेआम हो रहा है। अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन आवेदनों की मंजूरी की वास्तविकता यही है कि पैसा, पहुँच वाले आवेदकों के म्यूटेशन आवेदन तमाम ख़ामियों के बाद भी आसानी से स्वीकृत होते हैं। इसके विपरीत आम और साधनहीन आवेदकों को अंचल कार्यालयों में बैठे स्टॉफ उनके काम के लिए दौड़ा-दौड़ा कर उनमें सरकार और सरकारी तंत्र के प्रति खीज और गुस्से का भाव पैदा कर देते हैं।

फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर स्वीकृत होते म्यूटेशन आवेदनों के मामले कोशी और सीमांचल के अंचल स्तरीय राजस्व कार्यालयों में सृजित हो रही जमाबंदियों की वैधता, म्यूटेशन प्रक्रिया में अंचल अमलों की जाँच-रिपोर्ट और उसके सुपरविज़न पर गम्भीर संदेह पैदा करता है।

जब फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर म्युटेसन आवेदनों को अंचलों में स्वीकृत करने का प्रावधान भू-राजस्व से जुड़े किसी अधिनियम में नहीं है तो फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर स्वीकृत हो रहे म्युटेसन आवेदन और उस आधार पर अंचल के रिकॉर्ड में की जा रही एंट्रीज़ क्या राज्य में चल रहे स्पेशल भूमि सर्वे के तहत बने नए खतियानों या अधिकार अभिलेखों की सत्यता और तटस्थता को दूषित नहीं करेंगे?

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Main Media is a hyper-local news platform covering the Seemanchal region, the four districts of Bihar – Kishanganj, Araria, Purnia, and Katihar. It is known for its deep-reported hyper-local reporting on systemic issues in Seemanchal, one of India’s most backward regions which is largely media dark.

Related News

मधेपुरा के नए डीएम तरनजोत सिंह ने किया पदभार ग्रहण

अररिया के नए डीएम के रूप में अनिल कुमार ने किया पदभार ग्रहण

विशाल राज ने किया किशनगंज के 28वें DM का पदभार ग्रहण

बिहार में 43 IAS का तबादला, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा के डीएम बदले

अररिया नगर परिषद: तीन बैठकों के बाद भी नहीं पास हुआ बजट, विकास कार्यों पर मंडराया संकट

पूर्णिया: अतिक्रमण ख़ाली कराने पहुंचे मजिस्ट्रेट पर हमला, पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी

क्या राजगीर एयरपोर्ट की भेंट चढ़ जाएगा राजगीर का 800 एकड़ ‘आहर-पाइन’?

बिहार: वर्षों से जर्जर फणीश्वरनाथ रेणु के गांव तक जाने वाली सड़क

निर्माण खर्च से 228.05 करोड़ रुपये अधिक वसूली के बावजूद NH 27 पर बड़े बड़े गड्ढे

विधवा को मृत बता पेंशन रोका, खुद को जिंदा बताने के लिए दफ्तरों के काट रही चक्कर