सीमांचल जैसे पिछले इलाके में शिक्षा के स्तर में सुधार के मक़सद से 18 मार्च, 2018 को बिहार सरकार ने पूर्णिया यूनिवर्सिटी बनायी। पूर्णिया यूनिवर्सिटी के अंदर सीमांचल के चारों ज़िले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज के 13 काॅन्स्टीटुएंट कॉलेज आते हैं। ये सभी कॉलेज अपने शुरूआती दिनों में तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी और ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी, दरभंगा का हिस्सा हुआ करते थे।
साल 1992 में जब भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी (BNMU), मधेपुरा बना, तो इन कॉलेजों को BNMU का हिस्सा बना दिया गया। साल 2018 में सीमांचल के सभी 13 कॉलेज पूर्णिया यूनिवर्सिटी में शामिल कर लिये गये। इन्हीं कॉलेज में से एक है बहादुरगंज का नेहरू कॉलेज। 5 जून, 1965 को अस्तित्व में आया यह कॉलेज किशनगंज ज़िले के मात्र दो सरकारी कॉलेजों में से एक है। मारवाड़ी कॉलेज किशनगंज शहर में है, वहीं नेहरू कॉलेज ग्रामीण क्षेत्र में है।
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जर्जर बिल्डिंग
कॉलेज को बने हुए 58 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक यह कॉलेज अपनी हालत पर रो रहा है। 40 साल पुरानी एक जर्जर बिल्डिंग है।
बिल्डिंग बनने की बाद कभी इसका रखरखाव या मरम्मत नहीं किया गया। मकान की छत से प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है। कमरों में न खिड़की है, न दरवाजा। क्लासरूम में बोर्ड ऐसी दिशा में लगा है कि शायद की इसका इस्तेमाल कभी पढ़ाने के लिए हुआ होगा।
मई-जून की गर्मी में बच्चे बिना पंखे के क्लासरूम में एग्जाम की लिए ठूंस दिए गए हैं। जिन बेंचों पर एग्जाम के लिए एक या दो छात्र को बिठाया जाना चाहिए, वहां चार बच्चे बैठ कर एग्जाम दे रहे हैं।
बात बात पर AMU किशनगंज को लेकर घरियाली आंसू बहाने वाले क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद, नेहरू कॉलेज को ज़रूरी मुद्दा तक नहीं समझते। चार सालों में स्थानीय सांसद डॉ. जावेद कॉलेज कैंपस को देखने तक नहीं गए हैं। स्थानीय विधायक अंजार नईमी कुछ दिनों पहले कैंपस आए भी, तो एक क्रिकेट टूर्नामेंट के बहाने।
21 एकड़ कैंपस, चहारदीवारी नहीं
नेहरू कॉलेज के पास 20 एकड़ 87 डिसमिल ज़मीन है, जिसे स्थानीय ज़मींदार शफ़क़त हुसैन ने दान में दी थी। लेकिन आज तक कॉलेज की चहारदीवारी तक नहीं बनी है। अगर एग्जाम का दिन न हो, तो कैंपस में छात्र-छात्रों से ज़्यादा मवेशी नज़र आते हैं। चहारदीवारी न होने से कॉलेज की ज़मीन पर अतिक्रमण का भी खतरा बना रहता है।
बहादुरगंज के पूर्व विधायक तौसीफ आलम ने 2020 में करीब 700 फ़ीट ऊंची चहारदीवारी और एक पीसीसी सड़क कॉलेज के अंदर बनवाया थी। लेकिन, नेहरू कॉलेज को जितनी चहारदीवारी की ज़रूरत है, इस हिसाब से ये ऊंट के मुंह में जीरा बराबर है।
नेहरू कॉलेज के कैंपस में Boys हॉस्टल और Girls हॉस्टल की बिल्डिंग है। Boys हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हालत में है। कुछ दशक पहले यहाँ छात्र रहते भी थे, लेकिन, बाद में इसे नवोदय विद्यालय को इस्तेमाल के लिए दे दिया गया। फिलहाल यहाँ कोई नहीं रहता। वहीं, Girls हॉस्टल की बिल्डिंग 2019 से बनकर तैयार है, लेकिन वीरान है।
सिर्फ Arts की पढ़ाई, वो भी मात्र सात विषय
किशनगंज के ग्रामीण क्षेत्र में इकलौता कॉलेज होने के बावजूद इस 58 साल पुराने कॉलेज में सिर्फ Arts विषय की पढ़ाई होती है। बच्चे यहाँ से I.A और B.A की पढ़ाई कर सकते हैं। फिलहाल, IA में कुल 1,020 और BA में 2,831 छात्र नामांकन हैं। लेकिन, B.A में सिर्फ सात विषय अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, उर्दू, हिंदी, इंग्लिश और फ़ारसी का ही विकल्प है। पूरे किशनगंज ज़िले में Geography विषय के साथ BA और B.Com की पढ़ाई किसी सरकारी कॉलेज में नहीं होती है। पूर्णिया यूनिवर्सिटी बनने के बाद साइंस और कॉमर्स विषय जोड़ा गया। साइंस में 22 और कॉमर्स में 34 छात्रों ने नामांकन भी लिया। लेकिन, एक साल के अंदर ही दोनों कोर्सेज को अवैध बता कर बंद कर दिया गया।
नेहरू कॉलेज में विज्ञान, वाणिज्य, भूगोल, गृह विज्ञान और मनोविज्ञान का पाठ्यक्रम संचालित करने को लेकर बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी ने इसी साल फरवरी में बिहार विधानसभा में सवाल किया था। इसके जवाब में शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि किसी विषय में स्नातक की पढ़ाई शुरू करने के लिए पद सृजन यानी पोस्ट सेंक्शन करने की आवश्यकता होती है। इसके बिना पढ़ाई की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा था कि इस संबंध में पूर्णिया यूनिवर्सिटी से विधिवत प्रस्ताव प्राप्त होने पर निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षक, स्टाफ नाम मात्र
कॉलेज में 13 की जगह सिर्फ छह परमानेंट प्रोफेसर और एक गेस्ट फैकल्टी हैं। वहीं, नॉन-टीचिंग थर्ड ग्रेड के छह स्टाफ होने चाहिए, लेकिन सिर्फ एक क्लर्क है। फोर्थ ग्रेड के 10 स्टाफ होने चाहिए, लेकिन सिर्फ एक चपरासी और एक स्वीपर है।
कॉलेज की हालत ऐसी है, इसलिए छात्र भी सिर्फ एग्जाम देने और फॉर्म भरने ही कैंपस आते हैं। ज़्यादातर छात्रों ने आज तक न तो अपना क्लासरूम देखा है, न अपने क्लास्मेट्स को पहचानते हैं और न ही उन्हें यह मालूम है कि उनके क्लास में कितने बच्चे हैं।
स्थानीय नेता इमरान आलम ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नेहरू कॉलेज की हालत जल्द नहीं सुधरती है, इसको लेकर प्रदर्शन किया जाएगा।
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