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ज़मीन पर विफल हो रही ममता बनर्जी सरकार की ‘निज घर निज भूमि योजना’

मई 2011 में पहली बार पश्चिम बंगाल में तृणमूल की सरकार आने के करीब पांच महीने बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘निज गृह निज भूमि प्रकल्पो’ यानी ‘अपना घर, अपनी ज़मीन योजना’ की शुरुआत की।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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मई 2011 में पहली बार पश्चिम बंगाल में तृणमूल की सरकार आने के करीब पांच महीने बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘निज गृह निज भूमि प्रकल्पो’ यानी ‘अपना घर, अपनी ज़मीन योजना’ की शुरुआत की। इस योजना को संक्षेप में NGNB कहा जाता है। इस योजना का मक़सद पश्चिम बंगाल के चिन्हित भूमिहीन बेघर खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण कारीगरों और मछुआरों को 5 डिसमिल भूमि प्रदान करना है, जहाँ उन्हें एक कमरे के मकान के साथ-साथ न्यूनतम बुनियादी
सेवाएं प्रदान की जानी हैं।

बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 500 किलोमीटर दूर बसे उत्तर दिनाजपुर के गोआलपोखर – 2 या चाकुलिया ब्लॉक में भी कुछ साल पहले बागडोगरा और कटहलबाड़ी गांव में दो NGNB कॉलोनी बनायी गयी। लेकिन, यहाँ रहने वाले NGNB लाभुकों की मानें तो उन्हें सरकार ने जो ख्वाब दिखा कर यहाँ बसाया था, कॉलोनी उस ख्वाब से कोसों दूर है। आंधी तूफ़ान में मकान की छत उड़ जाती है, नाले बनाए गए हैं लेकिन पानी निकासी का रास्ता नहीं है। बिजली की सुविधा नहीं है। यही वजह है कि सालों बाद भी बागडोगरा के ‘मॉडल NGNB विलेज’ के करीब 50 घरों में से एक दर्जन घर खाली हैं। वहीं, कटहलबाड़ी के ‘मॉडल NGNB विलेज’ में 72 घरों में से 10 में ही लोग रहते हैं, 60 से ज़्यादा घर खंडर में तब्दील हो गए हैं।

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बिजली पानी की सुविधा नहीं

निसंतान विधवा मुह मबदी की आँखें कमज़ोर हो गईं हैं। पांच साल पहले जब उन्हें बागडोगरा NGNB कॉलोनी में घर मिला, तो यहाँ रहने चले आईं। लेकिन इस ‘मॉडल विलेज’ में पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नदारद हैं।


बुज़ुर्ग महादलित मज़दूर अपने पांच लोगों के परिवार के साथ एक ही कमरे में गुज़ारा कर रहे हैं। इस गर्मी में बिजली का न होना, ऊपर से टीन की छत, उनके लिए मुसीबत बनी हुई है। आंधी तूफ़ान में उनके घर की छत अब तक तीन बार उड़ चुकी है।

बिहार से आए पूर्वज

राम ललित सदा की तरह बागडोगरा के मॉडल NGNB विलेज में कई और महादलित परिवार रहते हैं। इनके पूर्वज रोजगार की तलाश में बिहार के दरभंगा से पश्चिम बंगाल आए थे। जंगलु सदा वर्षों से अपना विकलांग सर्टिफिकेट बनाने के लिए परेशान हैं। किसी रोज़ कोई काम मिल जाता है तो उनके पांच लोगों का परिवार कुछ खा लेता है, नहीं तो भूखे ही दिन गुज़रता है।

NGNB colony beneficiary standing infront of the house

पश्चिम बंगाल में आने वाले पंचायत चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ नाम से एक कैंपेन लांच किया है। 60 दिनों तक चलने वाले इस कैंपेन के दौरान टीएमसी के कार्यकर्ता राज्य भर में लोगों तक पहुंचेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हर कोई राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सके। इस कैंपेन में ममता बनर्जी सरकार की 15 कल्याणकारी योजनाओं को शामिल किया गया है, जिसमें ‘निज गृह निज भूमि प्रकल्पो’ भी एक है।

बाल्टी से फेकते है नाले का पानी

मोहम्मद दिन के परिवार को भी बागडोगरा के मॉडल NGNB विलेज में घर मिला है। कॉलोनी में कंक्रीट के नाले बनाए गए हैं, लेकिन नाले की गंदगी घर के पास जमा रहती है, क्योंकि पानी की निकासी का कोई रास्ता नहीं है। 80 वर्षीय मोहम्मद दिन नाले का पानी बाल्टी से उठा कर पड़ोस के खेत में डालते हैं।

बागडोगरा निवासी मोहम्मद हबीब के घर तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। ऊपर से ग्रामीणों ने कच्ची सड़क को काट कर नाले के पानी की निकासी का रास्ता बना दिया है।

छत उड़ गया

इम्तियाज़ आलम के खानदान में चार लोगों को 2018 में NGNB योजना के तहत घर दिया गया। लेकिन, एक-डेढ़ साल के अंदर ही घर की छत आंधी में उड़ गयी। फिलहाल, घर के बीचोबीच खड़े पपीते के पेड़ ममता बनर्जी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का मखौल उड़ा रहे हैं। इम्तियाज़ आलम की तरह मदन सदा भी कॉलोनी में सुविधाओं से खुश नहीं हैं।

शाहपुर – 1 ग्राम पंचायत की कटहलबाड़ी में बने ‘मॉडल NGNB विलेज’ का और बुरा हाल है। ज़्यादातर घर खाली पड़े हैं वे खंडहर में तबदील हो गए हैं। जिन 10 घरों में लोग रहते भी हैं, उन्होंने खुद से उन घरों को रहने लायक बनाया है।

जनप्रतिनिधि व अधिकारी चुप

चाकुलिया में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जीते जनप्रतिनिधि व अधिकारी इसको लेकर आॕन रिकॉर्ड कुछ भी बोलने से बचते हैं। लेकिन, इस बात को लेकर एक मत हैं कि काफी समझाने के बावजूद ज़्यादातर ग्रामीण ‘मॉडल NGNB विलेज’ में आवंटित अपने घरों में शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं। फिर भी सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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