पश्चिम बंगाल 2021 चुनाव के नतीजे घोषित हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन राजनीति है कि रुकने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव नतीजे घोषित हुए तो बंगाल (West Bengal) में हिंसा का दौर चला जिसमें बीजेपी (BJP) और टीएमी (TMC) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, लेकिन कुछ समय बाद ये सब थम गया। फिर आया तूफान ‘यास’, जिस पर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पीएम मोदी के साथ मीटिंग में शामिल नहीं हुई, तो ममता को यहां तक बोलना पड़ा कि ‘मैं प्रधानमंत्री के पैर तक छूने को तैयार हूं, लेकिन मुझ पर गलत आरोप न लगाए, मैं प्रधानमंत्री से पूछकर गई थी’। फिर हाल ही में मुकुल राय और उनके बेटे ने बीजेपी को टाटा बाय-बाय बोलकर टीएमसी में घर वापसी कर ली। हालांकि इन सब के बीच एक मुद्दा है नंदीग्राम (Nandigram) से ममता का सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के खिलाफ बंगाल विधानसभा चुनाव हार जाना, जिस पर राजनीति अभी तक खत्म नहीं हुई है। ममता एक सीट पर सही काउटिंग के लिए कोर्ट गई तो अब बीजेपी बोल रही है कि ऐसी बात है तो हम 50 सीटों के लिए कोर्ट जाएंगे हमें भी काउटिंग पर भरोसा नहीं है।
ममता नंदीग्राम के लिए कोर्ट गई लेकिन जज पर ही नहीं रहा भरोसा
ममता बनर्जी नंदीग्राम में सही नतीजों न जारी किए जाने को लेकर 3 मई चुनाव नतीजे जारी होने वाले दिन से कोर्ट जाने की बात कर रही है। इसके बाद हाल ही में 18 जून को ऐसा हुआ भी वो नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी की जीत को चुनौती देने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट गई, लेकिन इस दौरान ममता की ओर से कहा गया कि मामला को 24 जून तक के लिए आगे बढ़ा दिया जाए। आपको बता दें कि आरोप ये लगे है कि इस ममाले पर न्यायधीश कौशिक चंदा के तार बीजेपी से जुड़े हुए हैं, तो इस ममाले पर निष्पक्ष निर्णय होना मुश्किल है। जिसको लेकर टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने न्यायधीश चंदा की दो तस्वीरें ट्वीटर पर शेयर की, जिसमें न्यायधीश कौशिक चंदा बीजेपी नेताओं के साथ दिख रहे है। हालांकि बंगाल बीजेपी की ओर से ऐसे किसी आरोपों को खारिज कर दिया गया है।
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क्या हुआ था नंदीग्राम चुनाव में
नंदीग्राम की चर्चा चुनाव से पहले हो रही थी, क्योंकि ममता के कभी करीबी नेता रहे सुवेंदु अधिकारी का इसे गढ़ माना जाता है। आपको याद दिला दें कि बीजेपी नेता सुवेंदु ने नंदीग्राम को लेकर तो यहां तक कह दिया था कि अगर वो ‘ममता को 50 हजार वोटों से नहीं हराएंगे तो राजनीति छोड़ देंगे’। चुनाव के नतीजों का समय आया तो पता चला कि सुवेंदु ने ममता को केवल 1956 वोटों से ही हराया है। हालांकि सुवेंदु ने राजनीति तो नहीं छोड़ी, लेकिन ममता ने वोटों की गिनती पर पक्का कर दिया कि वो नतीजों के खिलाफ कोर्ट जरुर जाएंगी।
ममता को एक सीट के नतीजो पर भरोसा नहीं तो बीजेपी को 50 सीटों पर
नंदीग्राम का मामला तो अब 24 जून को दोबारा कलकत्ता हाईकोर्ट में सुना जाएगा, लेकिन इस बीच 20 जून की खबर है कि बीजेपी ने तैयारी कर ली है कि वो 50 सीटों के नतीजों को लेकर कोर्ट जाएगी। बंगाल बीजेपी पार्टी प्रमुख दिलीप घोष का कहना है कि विचार-विमर्श जारी है कि जिन 50 सीटों पर बीजेपी बहुत कम अंतर से हारी है, वहां पर हम दोबारा वोट काउटिंग के लिए हम कोर्ट जाएंगे। उनका कहना है कि नंदीग्राम में वोट काउटिंग के समय पर टीएमसी के पोलिंग एजेंट तैनात थे। फिर भी टीएमसी चुनाव नतीजों के खिलाफ कोर्ट जा रही है। जबकि बीजेपी जहां पर बहुत कम अंतर से हारी है, वहां टीएमसी कार्यकर्ताओं ओर एजेंटों ने गड़बड़ी पैदा करी थी। इसलिए एक तरफ टीएमसी जहां केवल एक सीट नंदीग्राम के लिए कोर्ट आ चुकी है, तो ऐसे में बीजेपी अब 50 सीटों के लिए कोर्ट जाने की तैयारी में है।
नंदीग्राम में क्यों ममता बनर्जी की जान अटकी है
नंदीग्राम में हार बावजूद टीएमसी ने बंगाल में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और ममता तीसरी बार मुख्यमंत्री बन चुकी है। लेकिन एक सवाल ये जरूर उठता है कि नंदीग्राम में ऐसा क्या है जिसके लिए ममता चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कोर्ट तक जाने को तैयार हो चुकी है। असल में नंदीग्राम वो जगह है जिसने ममता को एक नेता से बंगाल के सीएम की कुर्सी तक पहुंचा दिया। नंदीग्राम पूर्व मेदनीपुर में एक छोटा सा टाउन है। जब बंगला में लेफ्ट की सरकार थी तो इंडस्ट्रियल फायदे के लिए भूमी अभिग्रहण को लेकर 2007 में इसके विरोध में यहां पर एक बड़े आंदोलन ने जन्म लिया था। जिसमें कई लोगों को जान गई और आम जनता का लेफ्ट सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ने लगी। ममता ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और जनता के बीच खुद को लेफ्ट के खिलाफ एक विकल्प के तौर पर प्रोजेक्ट किया और उन्हें इसका फायदा मिला। ममता ने 2011 में लेफ्ट के 34 साल के शासन का अंत करके सत्ता हासिल कर ली। ममता का नारा ‘मा, माटी, मानुष’ भी नंदीग्राम से ही निकला है। इन्हीं कारणों से ममता नंदीग्राम सीट को लेकर इतनी आसानी से हार नहीं मनना चाहती है।
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