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बंगाल में खेला के बाद दीदी ने तृणमूल में किया भारी बदलाव

पश्चिम बंगाल चुनाव में बंफर सीटों के साथ जीत हासिल करने बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पार्टी में बड़े बदलाव करना शुरु कर दिए है।

Reported By Brijesh Goswami |
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पश्चिम बंगाल चुनाव में बंफर सीटों के साथ जीत हासिल करने बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पार्टी में बड़े बदलाव करना शुरु कर दिए है। शनिवार को तृणमूल कांग्रेस TMC में कई बड़े बदलावों को पब्लिक कर दिया गया। जिसमें ममता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हारबर से सासंद अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) को टीएमसी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया है। अभिषेक इससे पहले टीएमसी युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे लेकिन महासचिव बनने से ये जगह खाली हो गई। लेकिन इस पद के लिए पार्टी ने कलाकार सायनी घोष को चुन लिया। विधानसभा चुनाव में भी सायनी को टिकट मिला था लेकिन वो हार गई थी। ये बदलाव काफी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि आने वाले तीन सालों में कोई बड़ा चुनाव बंगाल से नहीं जुड़ा है इसलिए शायद ममता यह समय युवा नेताओं को भविष्य के चुनावों के लिए तैयार करने में लगाना चाहती है।

अभिषेक ने 100 में से 100 अंक हासिल किया है इसलिए बनाए गए महासचिव

ममता बनर्जी जिस तरह से अभिषेक के लिए राजनीति में जगह बनाती आ रही है, उससे ये चुनाव से पहले से ही स्पष्ट हो गया था कि अभिषेक के कंधों पर पार्टी का भविष्य निर्भर करेगा। इस वंशवाद के मुद्दे पर बीजेपी नेताओं ने दोनों को चुनावी रैलियों में खूब घेरा था। जब चुनाव के परिणाम आए तो ये पक्का हो गया कि अभिषेक को बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। अब जिस तरह से अभिषेक को राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है उस पर पंचायत मंत्री सुब्रता मुखर्जी ने कहा कि ‘अभिषेक ने पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से काम किया है और उनको इसके लिए पूरे नंबर मिलते है। वो इस नए पद के लायक भी है’।

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बताया जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जब टीमएम की सीटे 34 से गिरकर 22 पर आ गई तब पार्टी में बदलावों के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लाने का श्रेय भी ममता के भतीजे अभिषेक को ही जाता है। जिसके बाद प्रशांत ने सलाह दी कि युवा और शिक्षित लोगों को तैयार करे और उनको प्रोजेक्ट करे। जिसकी वजह से कई पुराने नेता पार्टी से बाहर हो गए और बीजेपी ज्वाइन कर ली।


हारने के बाद भी सायनी घोष को मिले पद के क्या है मायने

अभिनेत्री सायनी घोष ने विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही राजनीति में आने के लिए टीएमसी को चुना लेकिन उनका जादू चुनाव में नहीं चला और वो हार गई। हालांकि फिर भी सायनी को युवा टीएमसी का अध्यक्ष पद दिया गया। माना जाता है कि सायनी की भाषण देने की कला बहुत अच्छी है, सायनी घोष पहली महिला होगी जो 1998 में बनी पार्टी टीएमसी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद को संभालेगी। आपको बता दें कि जब ममता ने काग्रेंस छोड़कर 1998 में टीएमसी बनाई थी उससे पहले वो भी कांग्रेस में युवा मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी है। सायनी ने इस बड़ी जिम्मेदारी पर कहा ‘मुख्यमंत्री और अभिषेक बनर्जी की मैं आभारी हूं। मैं उन्हें निराश नहीं करूंगी’। सायनी को जिम्मेदारी देकर माना जा रहा है कि इससे न केवल टीएमसी में युवाओं का उत्साह बढ़ेगा बल्कि महिलाओं का भी राजनीति में उत्साह बढाने में मदद मिलेगी।

कुछ और बड़े बदलावों को समझिए फटाफट अंदाज में

सीपीआईएम के राज्यसभा सदस्य रीताब्रता बनर्जी जिन्होंने 2018 में टीएमसी ज्वाइन करी थी उन्हें पार्टी के ट्रेड युनियन विंग का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। बनर्जी के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने उत्तर बंगाल के जिलों में संगठन की ताकत को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाई है, जहां 2019 में बीजेपी ने गहराई तक पकड़ बना ली थी।

वहीं फेमस फिल्म डायरेक्टर राज चक्रवर्ती जिन्होंने बैरकपोर सीट पर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की उन्हें टीएमसी के सांस्कृतिक मोर्चा का हेड बनाया गया है। काकोली घोष जो तीन बार सासंद रही है उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष पद संभालने को दिया गया है। राज्यसभा सदस्य डोला सेन को ट्रेड युनियन फ्रंट का नेशनल हेड बनाया गया है। दिग्गज नेता पुरनेंदु बोस को चुनाव में नहीं उतारा गया था लेकिन उन्हें किसान मोर्चा का प्रभार सौपा गया है।

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