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2017 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुआ किशनगंज का मझिया पुल दे रहा हादसों को दावत

पुल का निर्माण नहीं होने के कारण स्थानीय लोग लंबे समय से परेशान हैं। बारिश का मौसम शुरू होते ही लोगों की कठिनाइयां काफी बढ़ जाती हैं और नदी के उस पार वाले गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। क्षतिग्रस्त पुल और भारी जलजमाव के कारण मरीज़ों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में बहुत कठिनाई होती है।

Avatar photo Reported By Amit Singh |
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majhiya bridge damaged in flood of 2017 is inviting accidents

बिहार के किशनगंज नगर परिषद वार्ड संख्या 34 का मझिया पुल पिछले सात सालों से जर्जर हालत में है। 2017 में आई बाढ़ में मझिया को पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाला यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। रमजान नदी पर बने इस पुल के दो पिलर नदी में धंस चुके हैं और रेलिंग भी नदारद है।


पुल का निर्माण नहीं होने के कारण स्थानीय लोग लंबे समय से परेशान हैं। बारिश का मौसम शुरू होते ही लोगों की कठिनाइयां काफी बढ़ जाती हैं और नदी के उस पार वाले गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। क्षतिग्रस्त पुल और भारी जलजमाव के कारण मरीज़ों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में बहुत कठिनाई होती है।

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खतरों के बीच रोज़ पुल पार करते छात्र

जर्जर पुल होने के कारण सैकड़ों बच्चे रोज़ जोखिम उठाकर स्कूल जाते हैं। साइकिल पर स्कूल जा रहे रेहान और आतिफ ने कहा कि बरसात के दिनों में इलाके के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। बिना रेलिंग का यह जर्जर पुल आम दिनों में भी खतरों से खाली नहीं है। पिछले दिनों रेहान का मित्र तबरेज़ पुल से नीचे गिरते गिरते बचा था।


“2017 से हमलोगों को परेशानी है। आने जाने में बहुत दिक्कत हो रही है। पुल टूटा हुआ है, बरसात के समय हमलोग स्कूल नहीं जा पाते हैं। पुल पर जाते समय गिरने का बहुत डर रहता है। मेरा एक दोस्त है तबरेज़ नाम का, वह बच गया, उस दिन पुल के नीचे गिर जाता। बहुत परेशानी हो रही है हमलोग को इसलिए जल्दी से जल्दी पुल बनाने की कोशिश करना चाहिए,” साइकिल पर स्कूल से लौटते रेहान आलम ने कहा।

एक और स्कूली छात्र आतिफ़ ने कहा कि जर्जर पुल से गुजरने में काफी डर लगता है। पुल के रेलिंग टूट जाने से यहां से गुज़रना जोखिम भरा है। “डेली यहां से हमलोग स्कूल जाते हैं। पुल पूरा टूट रहा है, आने जाने में डर लगता है। रेलिंग भी टूटा हुआ है। बहुत मुश्किल से पुल क्रॉस करते हैं,” आतिफ़ बोला।

रात में पुल से गुज़रना हो सकता है जानलेवा

मझिया निवासी मुजीबुर रहमान ने कहा कि पुल में कई गड्ढे हैं और सड़क भी जर्जर है। रात के अंधेरे में पुल से गुज़रना काफी खतरनाक होता है।

उन्होंने कहा, “पुल झुक गया है, यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा। बरसात में बच्चे लोगों को आने जाने में, पढ़ने लिखने में मुश्किल होता है। हमलोग को मार्केट जाने में मुश्किल होता है। बरसात के वक्त में बहुत तकलीफ होती है। (सांसद) डॉक्टर जावेद साहब आज तक कुछ नहीं किया। पुल के दोनों तरफ गड्ढा है, उतर के जाना पड़ता है। रात के समय दिखाई नहीं देता, जिसको पता नहीं है वो तो गिर जाता है। हमारी मांग है कि पुल और सड़क बना दे हमलोग का।”

मझिया और आसपास के लोगों ने पुल निर्माण की मांग को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन किया। हर बार प्रशासन ने आश्वासन दिया लेकिन पुल का निर्माण नहीं हुआ। ऑटो चालक रुईद आलम ने कहा कि पुल की सतह जर्जर है और उसपर काफी गड्ढे हैं जिससे हादसों का डर बना रहता है। रात में कोई सवारी गाड़ी दुर्घटना के डर से पुल पार करने से परहेज़ करती है।

“ऑटो चलाने में दिक्कत होती है, जर्किंग होता है तो सवारी सब बोलता है। धीरे धीरे आराम से जाते हैं, क्या कीजियेगा चलना तो पड़ेगा ना। रात को इधर नहीं आते हैं, सोचे कि गड्ढा है गिर-विर जाएंगे तो गाड़ी खराब हो जाएगा,” ऑटो पर सवारी ले जा रहे रुईद आलम ने कहा।

“देश आज़ाद है, मझिया वासियों को आज़ादी नहीं मिली है”

स्थानीय युवा नेता इम्तियाज़ नसर ने कहा कि किशनगंज नगर परिषद वार्ड संख्या 34 स्थित मझिया में लगभग 10 हज़ार की आबादी है। लोगों को शहर आदि जाने के लिए इसी पुल का सहारा है लेकिन 2017 से अब तक पुल के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। कई बार टेंडर पास हुआ, विभागीय चिट्ठी आई लेकिन पुल का काम शुरू नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, “हमलोगों को लगता है कि देश को आजादी मिली है लेकिन मझिया वासियों को नहीं मिली है। 2017 से लगातर मैंने मुख्यमंत्री से लेकर रोड विभाग, एमपी एमएलए और सब लोगों को आवेदन दिया, मैं भूख हड़ताल पर भी बैठा था लेकिन पुल नहीं बना। यह रास्ता खगड़ा से लेकर बांग्लादेश बॉर्डर तक जाता है। यहां 10,000 की आबादी है इस वार्ड में लेकिन एक भी हाई स्कूल नहीं है मझिया में। जब बरसात का समय आता है तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं।”

इम्तियाज़ नसर ने आगे बताया कि पुल के रास्ते मझिया से स्कूल एक किलोमीटर की दूरी पर है। बरसात में रमज़ान नदी में पानी अधिक होने के कारण पुल से आवाजाही नहीं हो पाती है। दूसरे रास्ते से जाने के लिए 20 किलोमीटर घूम कर जाना होता है ऐसे में स्कूल के छात्र बरसात में पढ़ाई का नुकसान उठाते हैं।

वह कहते हैं, “यहां से 20 किलोमीटर घूम कर मजलिसपुर होकर एक बच्चा साइकिल पर कैसे जाएगा। यहां एक किलोमीटर की दूरी है पर अगर 19 किलोमीटर घूम कर जाना पड़े तो यह दर्द नहीं तो क्या है? पुल की हालत बहुत खराब है। बच्चे इधर से स्कूल जाते हैं, स्कूल की गाड़ियाँ जाती हैं कल कोई दुर्घटना हो जाए तो इसका ज़िम्मेदार कौन है? पुल का रेलिंग टूट चुका है, नगर परिषद बैठा हुआ है। हर बार पुल पास होता है चिट्ठी आती है लेकिन बनता कुछ नहीं है।”

इम्तियाज़ नसर ने आगे कहा कि मझिया पुल न बनने से ग्रामीण काफी मायूस हैं। हर बार आश्वासन देने के बावजूद पुल नहीं बनाया जाता है। किशनगंज नगर परिषद अगर पुल निर्माण नहीं कराना चाहता है तो मझिया को नगर परिषद से निकाल कर पंचायत बना दे।

“हमलोग नगर परिषद में रहते हैं, हर चीज में टैक्स देते हैं लेकिन यहां काम नहीं होता है। हमलोग को पंचायत घोषत कर दीजिए, अलग कर दीजिए शहर से। अगर शहर में रख कर सुविधा नहीं मिल पा रही है तो हमलोग को शहर में क्यों रख रहे हैं,” इम्तियाज़ बोले।

कार्यपालक पदाधिकारी बोले, “नगर परिषद जल्द करेगा पुल निर्माण”

इस मामले में किशनगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि मझिया पुल का निर्माण पथ निर्माण विभाग द्वारा किया गया था जो 2017 की बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गया।

उन्होंने कहा, “2017 में बाढ़ आने के कारण यहां आधारभूत संरचना को बहुत क्षति हुई थी। उसी दौरान माझिया पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया था। आज तक उस पुल का निर्माण नहीं कराया जा सका है। पहले जो सड़क बनी थी उसको नगर परिषद ने बनाया था लेकिन पुल को पथ निर्माण विभाग ने बनाया था। वर्तमान में किशनगंज नगर परिषद के आवंटन से पुल बनाने का निर्णय लिया गया है।”

कार्यपालक पदाधिकारी ने आगे कहा कि वर्तमान में नगर परिषद ने सात करोड़ की लागत से मझिया पुल का पुनः निर्माण कराने का निर्णय लिया है। डीपीआर तैयार कर पूर्णिया के नगर विकास प्रमंडल में भेजा गया है। आचार संहिता खत्म होते ही पल निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा।

“डीपीआर बनाकर हमलोगों ने अधीक्षण अभियंता पूर्णिया में नगर विकास प्रमंडल के पास भेजा है। अभी आचार संहिता लगा है, आचार संहिता ख़त्म होने के बाद उस फाइल पर कार्रवाई की जाएगी। वो लगभग 7 करोड़ की योजना का पुल है। जैसे ही आचार संहिता समाप्त होती है, किशनगंज नगर परिषद के आंतरिक संसाधन से उस पुल का निर्माण कराया जाएगा,” परवीन कुमार बोले।

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Amit Kumar Singh, a native of Kishanganj, Bihar, holds a remarkable 20-year tenure as a senior reporter. His extensive field reporting background encompasses prestigious media organizations, including Doordarshan, Mahua News, Prabhat Khabar, Sanmarg, ETV Bihar, Zee News, ANI, and PTI. Notably, he specializes in covering stories within the Kishanganj district and the neighboring region of Uttar Dinajpur in West Bengal.

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