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मिन्हाज हत्याकांड: एक महीने बाद भी फ़रार मुख्य आरोपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार

बीते 28 सितंबर को अल्ताबाड़ी गांव निवासी मिन्हाज को किशनगंज शहर के निकट ब्लॉक चौक भेड़ियाडांगी पुल के पास गंभीर रूप से घायल अवस्था में पाया गया था।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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”जब तक इंसाफ ना मिले, तब तक लड़ते रहिए।” किशनगंज के बहुचर्चित मिन्हाज की मौत पर ‘मैं मीडिया’ की वीडियो रिपोर्ट के कमेंट सेक्शन में एक यूजर ने लिखा। क़रीब एक महीने बाद मिन्हाज के घर वाले इसी जद्दोजहद में लगे हुए हैं।

मिन्हाज के परिवार के अनुसार, बीते 28 सितंबर को अल्ताबाड़ी गांव निवासी मिन्हाज को किशनगंज शहर के निकट ब्लॉक चौक भेड़ियाडांगी पुल के पास गंभीर रूप से घायल अवस्था में पाया गया था, जिसके बाद उन्हें किशनगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें सिलीगुड़ी रेफर कर दिया गया, जहां एक निजी अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिवार वालों की मानें, तो मिन्हाज के सिर में पीछे की तरफ गहरी चोट के निशान थे।

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जीजा के परिवार का ज़मीन विवाद

मृतक मिन्हाज के छोटे भाई मोहम्मद रियाज के अनुसार, एक जमीन विवाद में शकील अख्तर और उसके ‘सेकंड कज़न’ मास्टर मकसूद और उनके भाइयों में कहासुनी हुई थी, जिसके बाद 10 अगस्त को गांव में पंचायत बुलाने की बात तय हुई थी। लेकिन 9 अगस्त की सुबह चूल्हा घर में शकील अख्तर की फंदे से लटकी लाश मिली।


रियाज़ ने ‘मैं मीडिया’ से बातचीत के दौरान आरोप लगाया, “9 अगस्त की सुबह मेरे बहनोई शकील की मौत हुई जिसे मास्टर मक़सूद और उनके भाईयों ने आत्महत्या बताने की भरसक कोशिश की। मेरे जीजा शकील की मां और उनकी पत्नी यानी मेरी बहन ने लाश के पोस्टमार्टम की मांग की, क्योंकि इस घटना से पहले मेरे जीजा शकील को मास्टर मक़सूद द्वारा जान से मारने की धमकियां मिल चुकी थीं।”

मृतक के परिवार का कहना है कि शकील अख्तर की मां और बीवी थाना जा रही थी, लेकिन उन्हें मुख्य आरोपी द्वारा रोक दिया गया और एक पंचनामा लिखने की बात कही गयी ।

Minhaj Alam's broter Reyaz

मिन्हाज के भाई मोहम्मद रियाज़ कहते हैं, “उन लोगों के जोर देने पर मेरे बहनोई को दफना दिया गया। अगले दिन ही पंचायत होनी थी। पंचायत में मास्टर मकसूद और उसके भाई शहरयार ने मेरी बहन से हाथ जोड़े और कहा कि हम माफी मांगेंगे। पंचायत बैठी, तो तय हुआ कि शकील भाई के परिवार को 7 कट्ठा के अलावा घर में 2 कट्ठा सहित 5 लाख नकद मुआवज़े के तौर पर दिया जाएगा, लेकिन उन लोगों ने कागजों पर एक कट्ठा जमीन और 50 हजार लिखवा दिया और कहा कि 5 लाख लिखवाया है।”

रियाज़ ने आगे बताया, “मेरे जीजा शकील की मौत की कोर्ट में शिकायत दर्ज की गई जिसके बाद 29 सितंबर को सुनवाई थी। मिन्हाज़ भाई उसी केस से जुड़े कागजात लेकर घर आ रहा था। ये लोग उसका कोर्ट से पीछा कर रहे थे और उसे रास्ते में मार दिया गया। उसकी गाड़ी की डिग्गी तोड़ कर ज़रूरी कागज़ात हत्यारों ने निकाल लिए। किशनगंज शहर के पास भेड़ियाडांगी पुल के दक्षिण तरफ मिन्हाज की बाइक लगी थी और उत्तर की तरफ उनकी लाश पड़ी थी। बाइक में कोई नुकसान नहीं हुआ था, दुर्घटना होती तो बाइक चकनाचूर हो जाती। सिर के पीछे की तरफ बहुत गहरी चोट थी और उनकी आंख को भी क्षतिग्रस्त कर दिया था।”

मुख्य आरोपी मास्टर मकसूद फरार

इस मामले में मुख्य आरोपी मास्टर मकसूद फरार है, हालांकि, पुलिस ने अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी की है।

रियाज़ ने बताया, “हम तो हर दूसरे दिन थाने का चक्कर लगाते हैं। मुख्य आरोपी अगर गिरफ्तार नहीं होगा, तो इस इंसाफ की लड़ाई का क्या मतलब है? पुलिस प्रशासन का कहना है कि आरोपी ज्यादा दिन छुप नहीं पाएगा, वो लोग अपना काम कर रहे हैं। हमको पुलिस और न्याय प्रणाली से बहुत उम्मीद है।”

मोहम्मद रियाज़ ने पिछले दिनों एएमयू से बीएड प्रवेश परीक्षा पास की है। लेकिन भाई की हत्या की वजह से उन्हें वापस गांव आना पड़ा जिस कारण वह काउंसलिंग के लिए नहीं जा सके। वह कहते हैं कि अब उनका भविष्य भी अंधकार में है। “घर को संभालने वाला कोई नहीं है। पढ़ाई करने बाहर निकल जाऊं, तो घर का मामला डांवाडोल हो जाएगा। अभी तो पूरा ध्यान इस पर है कि मेरे भाई और जीजा को इंसाफ मिले। मेरे घर में और मेरी बहन की ससुराल में अब कोई बड़ा नहीं बचा। मैं पढ़ाई भी करना चाहता हूँ लेकिन अब पैसा भी कमाना है, वरना मेरा और मेरी बहन के घर का चूल्हा कैसे जलेगा,” उन्होंने कहा।

क्राउड फंडिंग से आर्थिक मदद

मिन्हाज की मौत के बाद राजनीतिक हस्तियां मिन्हाज़ के परिवार वालों से मिलने अलताबाड़ी गांव पहुंची थीं। कइयों ने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे का ऐलान किया। इसके अलावा क्राउड फंडिंग भी की गई। इस बारे में पूछने पर रियाज़ ने बताया, “हमारे गांव में एक युवा संगठन है, जो शायद कुछ महीने पहले ही गठित हुआ था। इस संगठन ने क्राउड फंडिंग की थी। इसमें प्रोटेस्ट और बाकी चीजों में जो खर्च हुआ उसमें इसी क्राउडफंडिंग की रकम का इस्तेमाल किया गया। उन दिनों किशनगंज आने जाने में काफी खर्च हुआ था, तो गाड़ियों का भाड़ा इसी फंडिंग से दिया गया था।”

मिन्हाज़ की मौत के बाद सोशल मीडिया में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला था। राजनेता और एक्टिविस्ट की एक लंबी लिस्ट है जो उन दिनों मिन्हाज़ के परिवार से मिलने पहुंचे थे। मोहम्मद रियाज़ ने बताया कि राजद विधायक इज़हार असफी ने मिन्हाज़ और शकील के परिवार को 50-50 हजार रुपए दिए। वहीं, विनय दूबे नामक एक एक्टिविस्ट ने दोनों परिवार को 25-25 हजार रुपए दिए।

क्राउड फंडिंग को लेकर रियाज़ ने यह भी बताया कि एक निजी लोकल मीडिया ने उनकी भाभी यानी मिन्हाज़ की पत्नी का बैंक अकाउंट नंबर सार्वजनिक तौर पर फंडिंग के लिए जारी किया है। लेकिन, कितनी रकम अकाउंट में आई है इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “भाभी के अकाउंट में कितना पैसा आया वो पासबुक में देखना होगा।”

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार

मिन्हाज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक परिवार वालों ने नहीं ली है। रियाज़ कहते हैं, “20 अक्टूबर को सिलीगुड़ी से हमारे पास कॉल आया था कि मिन्हाज़ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट किशनगंज भेज दी गई है। पुलिस ने हम से कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है, लेकिन उस दिन किसी कारण से हमें (मिन्हाज के परिवार को) रिपोर्ट नहीं मिल सकी।”

‘मैं मीडिया’ ने इस पूरे मामले पर किशनगंज के एसडीपीओ अनवर जावेद अंसारी से बात की। एसडीपीओ ने कहा कि सिलीगुड़ी से मिन्हाज़ के परिजनों को पोस्टमार्टम व्हाट्सएप पर भेजा गया होगा।

हमने उनसे कहा के मिन्हाज़ के भाई का कहना है कि उनके परिवार को पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं मिली, तो एसडीपीओ ने कहा, “छठ पूजा के कारण ज्यादातर अधिकारी व्यस्त हैं। परिजनों को जल्द रिपोर्ट मुहैया करा दी जाएगी। मिन्हाज़ के परिजन आकर रिपोर्ट ले सकते हैं।”

मिन्हाज़ की मौत को अब एक महीना हो चुका है। घर वाले लगभग रोजाना थाने का चक्कर लगा रहे हैं। शुरू-शुरू में सोशल मीडिया में जिस तरह का आक्रोश देखने को मिला था, अब धीरे-धीरे वह कम हो चुका है। परिवार अब अकेले इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा है।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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