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महानंदा बेसिन परियोजना: फ़ेज -2 को लेकर इंजीनियरों की कमेटी का क्षेत्र मुआयना

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में महानंदा बेसिन परियोजना पिछले कई दशकों से अधर में लटकी हुई है।

Syed Tahseen Ali is a reporter from Purnea district Reported By Syed Tahseen Ali |
Published On :
mahananda basin project field inspection by the engineers committee regarding phase 2

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में महानंदा बेसिन परियोजना पिछले कई दशकों से अधर में लटकी हुई है। कुछ वर्षों पहले इस प्रोजेक्ट को सरकार की तरफ से हरी झंडी मिली थी। हालांकि, धरातल पर इस परियोजना को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। बेसिन को लेकर एक कठिनाई यह है कि बांध के निर्माण से कई गांवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा, यही कारण है कि स्थानीय लोगों द्वारा महानंदा बेसिन परियोजना का विरोध हो रहा है।


इस बीच, महानंदा बेसिन फेज़ 2 के कार्यों की जांच के लिए जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता मिथिलेश कुमार दिनकर की अध्यक्षता में वरिष्ठ इंजीनियरों की एक टीम पूर्णिया पहुंची। जांच दल ने बायसी अनुमंडल क्षेत्र का जायज़ा लिया। इस दौरान सीमांचल क्षेत्र के विधायकों ने जांच दल से मिलकर महानंदा बेसिन से उत्पन्न होने वाली समस्याओं और इसके समाधान को लेकर चर्चा की।

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स्थानीय लोगों व जन प्रतिनिधियों का कहना है कि महानंदा बेसिन के निर्माण से करीब 15 लाख की आबादी या तो डूब जाएगी या उन्हें मजबूर होकर विस्थापित होना पड़ेगा।


जन प्रतिनिधियों ने की योजना पर रोक लगाने की मांग

कांग्रेस के कदवा विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि इस योजना से लोग आक्रोशित हैं क्योंकि इससे लाभ की जगह तकलीफ़ बढ़ जायेगी। भूमि अधिग्रहण वाली योजनाओं में जनता की राय बहुत जरूरी होती है। बिना लोगों से पूछे इस परियोजना को हरी झंडी दे दी गई, जिससे मुश्किलें बढ़ीं।

“कुछ भी प्रक्रिया अपनाई नहीं गई। सीधे सीधे जमीनें किसी को आवंटित कर दी गईं। जो काग़ज़ पर नक़्शे हैं, जब वे जमीन पर जाएंगे तो उससे कितना बड़ा विस्थापन होगा, कितनी तकलीफें बढ़ेंगी, जन प्रतिनिधि और तमाम लोग इस बात को उठा रहे हैं। हमलोगों ने कहा कि इस योजना को आप ख़त्म कीजिए, इस इलाके के लोगों को जो राहत देना चाहते हैं उस राहत पर बात कीजिए।”

वहीं, एआईएमआईएम के अमौर विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि करीब 1,200 किलोमीटर में बांध बनाने हैं जिसमें अभी 198 किलोमीटर का टेंडर हुआ है। 75 वर्षों में पहली बार बिहार में इतना बड़ा प्रोजेक्ट दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत को दरकिनार कर परियोजना बनाई गई है।

“यकीनन बाढ़ नियंत्रण का काम होना चाहिए लेकिन यहां सबसे मौलिक मसला है नदियों का धारा परिवर्तन, इस पर इन लोगों ने कोई ध्यान नहीं दिया है और यह बिलकुल गैर-अमली योजना है इसलिए इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। हमारी मांग है कि मौजूदा स्वरूप में संशोधन किया जाए। हमलोगों को संदेह है कि यहां ‘खाओ पकाओ’ अभियान होगा, जन राशि का दुरुपयोग होगा और यहां की जनता को कोई फायदा नहीं होगा, इसलिए इसका विरोध कर रहे हैं।”

बायसी के पूर्व विधायक हाजी अब्दुस सुबहान ने कहा कि पटना से आई टीम को लिखित में ज्ञापन दिया गया है कि कैसे इस परियोजना को लोगों के लिए लाभदायक बनाया जाए।

उन्होंने महानंदा बेसिन परियोजना के वर्तमान स्वरूप में संशोधन कर नदी के दोनों किनारे पर बॉर्डर पिचिंग या आरसीसी वाल के निर्माण की मांग की।

“50 साल पहले यह योजना शुरू हुई थी। हमारे यहां डगरुआ में जो यह बांध बना हुआ है, उस बांध में तीन जगह से कटा हुआ है जो अभी तक नहीं बन सका,” उन्होंने कहा।

“बायसी, कदवा और बलरामपुर में ज्यादा क्षति होने वाली है। हमारे यहां महानंदा से परमान नदी की दूरी 7 किलोमीटर है और 7 किलोमीटर के क्षेत्र में 6 बांध बनाने की योजना है और ये दोनों तरफ बनेंगे। दोनों तरफ बांध बनाने से टोटल गांव बांध के अंदर आ जाएंगे,” हाजी अब्दुस सुभान बोले।

मुख्य अभियंता ने कहा – जनता के हित का रखेंगे ध्यान

जांच के लिए आए मुख्य अभियंता मिथिलेश कुमार दिनकर ने कहा कि महानंदा बेसिन परियोजना का काम 5 फेज में होना है। दूसरे फेज का काम अभी चल रहा है जिसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। महानंदा बेसिन को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई सुझाव दिए हैं। धरातल पर जाकर परियोजना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी जायेगी।

“महानंदा बेसिन में बहुत सारी नदियां हैं, नदियों का पानी यहां आता है और बहुत बड़े इलाके में बाढ़ का खतरा रहता है। लोगों की मांग है कि इसको बाढ़ मुक्त किया जाए। दूसरे चरण में जो प्रस्तावित है उसमें जनता का बहुत विरोध चल रहा है। हम जनता की भावनाओं को समझ रहे हैं कि इस परियोजना से क्या फायदे और नुकसान हैं। इन नुकसानों को कैसे कम किया जाए और इससे जनता के लिए अधिक से अधिक लाभ दिलाने का प्रयास किया जाए तथा उसके अनुसार परिवर्तन की आवश्यकता होती है तो उसे परियोजना में शामिल किया जाए,” मिथिलेश कुमार दिनकर ने कहा।

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सैयद तहसीन अली को 10 साल की पत्रकारिता का अनुभव है। बीते 5 साल से पुर्णिया और आसपास के इलाकों की ख़बरें कर रहे हैं। तहसीन ने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की है।

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