शाम के 7 बजे के आसपास का वक्त था। नवादा जिले की भदोखरा पंचायत के देदौर गांव में कृष्णानगर नदी के किनारे स्थित महादलित बस्ती की झोपड़ियों में चूल्हे जल ही रहे थे कि अचानक 150-200 हथियारबंद लोगों ने बस्ती पर हमला कर दिया।
गोलियों की तड़तड़ाहट से बस्ती दहल गई। सचौल देवी भी उस वक्त खाना पका रही थी। बुधवार शाम की उस भयावह घटना को याद करते हुए सचौल देवी कहती हैं, “गोलियों की आवाज से हमलोग दहल गये और जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे। हमला करने वाले लोग हाथों में लाठी-डंडा और बम-पिस्तौल लिये हुए थे।”
Also Read Story
इसके बाद हमलावरों ने बस्ती में आग लगी दी, जिसमें स्थानीय लोगों के मुताबिक, 70-80 घर पूरी तरह जलकर राख गये। उक्त बस्ती में मुख्य तौर पर मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। मुसहर के अलावा कुछेक घर चमार जातियों के भी हैं।
हालांकि पुलिस ने कहा है कि सर्वेक्षण में सिर्फ 21 झोपड़ियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त पाई गई हैं और 13 झोपड़ियों को आंशिक क्षति पहुंची है।
इसी बस्ती में रहने वाले एक युवक राजेश मांझी ने बताया कि हमलावर ज्वलशील पदार्थ साथ लेकर आये थे, जिसे घरों पर छिड़क कर आग लगा दिया। “इस आग में सभी घर जलकर राख हो गये हैं। घरों में रखा अनाज भी जल गया, जिससे लोगों के भोजन पर संकट आ गया है।”
राजेश के मुताबिक, कुछ मुसहर परिवारों ने गाय और बकरियां पाल रखी थीं, आग ने उनकी भी जान ले ली। उसने बताया कि लगभग एक दर्जन गाय व बकरियों की झुलसने से मौत हो गई है।
पीड़ित और आरोपी पक्ष के दावे
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले 70-80 सालों से यह बस्ती बसी हुई है। लेकिन, जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद है।
कुछ पासवान, यादव जातियों के लोगों का आरोप है कि सरकार ने महादलितों को दूसरी जमीन दी थी घर बनाने के लिए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कर उनकी जमीन पर ही घर बना लिया और रहने लगे।
जबकि, मुसहर समुदाय के लोगों का कहना है कि बस्ती, नदी के किनारे सरकारी जमीन पर बसी है, जो सरकार की तरफ से उन्हें रहने के लिए दी गई है। उनका कहना है कि बस्ती के लोगों का आधार कार्ड इसी पते पर है और इस जमीन का वे लोग पर्चा भी कटवाते हैं। उक्त बस्ती के रहने वाले पवन मांझी, जो दूसरे राज्य में काम करते हैं, पूछते हैं, “अगर वह सरकारी जमीन नहीं होती, तो हमारा आधार कार्ड उस पते पर कैसे बना और हम उस जमीन पर रहने का टैक्स कैसे दे रहे हैं?”
पीड़ित परिवारों का कहना है कि इससे पहले भी एक बार बस्ती पर हमला किया गया था और पूर्व में कई बार जमीन खाली करने के लिए दबाव बनाया जा चुका है और जमीन खाली नहीं करने पर बुरा परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है।
दूसरे पक्ष का कहना है कि उक्त जमीन मुस्लिमों की थी, जिनसे यादव व पासवान समुदाय के लोगों ने कुछ जमीन खरीद ली थी, उसी जमीन पर मुसहर बसे हुए हैं।
इस मामले में गिरफ्तार नन्दू पासवान के पुत्र और वार्ड मेंबर नागेश्वर पासवान कहते हैं, “जिस जमीन पर महादलित बस्ती है, उसका कुछ हिस्सा हमारा है। इस आगजनी से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।”
“हमलोग जमीन वापस पाने के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं। वे लोग इस केस में पार्टी हैं। हमलोग शांतिपूर्ण तरीके से हल चाहते हैं, इसलिए कोर्ट का रुख किया है। हम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, भले ही वो किसी के भी पक्ष में जाए,” नागेश्वर पासवान ने कहा।
आगजनी की घटना को नागेश्वर पासवान महादलित बस्ती के लोगों की रचित साजिश बताते हैं। उन्होंने कहा, “जब हमलोग कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, तो इस बीच साजिश करके उन्होंने खुद ये घटना करवाई है। अभी जमीन सर्वे का काम चल रहा है, इसलिए ऐसा किया गया है, ताकि उनके पक्ष में माहौल बन जाए।”
जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई कोर्ट में
नवादा पुलिस ने बताया कि बस्ती जिस जमीन पर बनी हुई है, उसके मालिकाना हक को लेकर नवादा व्यवहार न्यायालय में टाइटल सूट (22/1995) चल रहा है।
नवादा के एसपी अभिनव धीमन ने मीडिया को बताया कि प्राथमिक जांच से पता चल रहा है कि इस घटना की वजह जमीन विवाद है।
पुलिस के मुताबिक, स्थानीय निवासी व्यास मुनि मांझी से घटना के संबंध में पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि नंदू पासवान, पन्नू पासवान, शिबू पासवान, श्रवण पासवान, यमुना चौहान, सोमर चौहान, नुनू प्रसाद, आशीष यादव, दशरथ चौहान, बदरी चौहान, रामशरण चौहान, मिथिलेश चौहान, यदुनंदन चौहान व अन्य लोगों ने बस्ती में आगजनी और फायरिंग की घटना को अंजाम दिया। पासवान अनुसूचित जाति, यादव पिछड़ा वर्ग और चौहान अतिपिछड़ा वर्ग में आते हैं।
स्थानीय लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता, आर्म्स एक्ट और एससी/एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और एसआईटी का गठन कर मामले की छानबीन शुरू की तथा नन्दू पासवान समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया।
पुसिस ने बताया कि गिरफ्तार लोगों के पास से तीन देसी कट्टा, गोलियां, एक पिलेट और छह मोटरसाइकिलें जब्त की गई हैं।
अनिल मांझी की मौत कैसे हुई
आगजनी की घटना के बीच एक स्थानीय निवासी अनिल मांझी की मृत्यु हो गई है।
हालांकि, पुलिस ने अभी तक घटना की पुष्टि नहीं की है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि आगजनी होने पर अफरातफरी का माहौल फैल गया था, तभी अनिल मांझी जान बचाने को भागने लगे और गिर पड़े जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
बताया जा रहा है कि घटना से वह डर गये थे जिससे उन्हें हार्ट अटैक आ गया।
अनिल के दो बेटे और दो बेटियां हैं। अनिल की मां सचौल देवी ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि अफरातफरी फैलने से वह बहुत डर गया था, जिससे उसे हार्ट अटैक आ गया।
बेटे की मौत को लेकर उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की है। उन्होंने कहा, “उसके चार बच्चे और बीवी है। अगर सरकार आर्थिक सहायता नहीं देगी, तो उसके बच्चों और पत्नी का जीवन कैसे चलेगा?”
इधर, झोपड़ियां जल जाने से दर्जनों परिवार बेघर हो गये हैं। उन्हें फिलहाल प्रशासन की तरफ से तिरपाल टांगकर उसमें शरण दी गई है और खाने का भी इंतजाम किया गया है।
पुलिस की टीम बस्ती में कैम्प कर रही है ताकि पीड़ित परिवारों के भीतर बैठा खौफ दूर हो सके।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।