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लोकतंत्र में लॉटरी आखिर क्यों?

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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बिहार में सितंबर से दिसंबर तक 11 चरणों में हुए पंचायत चुनावों में कई दर्जन सीटों पर दो उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले, ऐसी सूरत में लॉटरी से परिणाम घोषित कर दिया गया। ये लॉटरी कैसे होती है, इस पर हम आगे बात करेंगे।

फिलहाल इतना जानिए कि, इस लॉटरी से चुनाव जीतने वालों में ग्राम पंचायत के सदस्य यानी मेंबर से लेकर मुखिया तक शामिल हैं। बेगूसराय के साहेबपुर कमाल प्रखंड में एक पंचायत है सादपुर पश्चिमी। यहां मुखिया चुनाव के लिए कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे। चुनाव हुआ तो दो उम्मीदवार अमित कुमार और चन्द्रहास चौधरी को 469-469 वोट आ गए। लॉटरी हुआ और अमित कुमार को विजेता घोषित कर दिया गया। लॉटरी से मुखिया चुनाव हारे चन्द्रहास चौधरी का कहना है, पहले उन्हें पता चला वो जीत गए हैं, फिर थोड़ी देर बाद बताया गया, दो उम्मीदवारों को बराबर वोट आएं हैं, उन्होंने रीकाउंटिंग करने को कहा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

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Loktantra Lottery

ठीक इसी तरह पूर्णिया ज़िले के डगरुआ प्रखंड की कोहिला पंचायत वार्ड नंबर 10 में मेंबर के लिए तीन उम्मीदवार मैदान में थे। वोटों की गिनती के बाद कृष्ण कुमार यादव और टुनटुन कुमार मंडल को क्रमशः 195-195 वोट मिले। लॉटरी के ज़रिये कृष्ण कुमार यादव को एक एक्स्ट्रा वोट दिया गया और उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया। टुनटुन ने हमें बताया, बराबर वोट आने के बाद उन लोगों ने रीकाउंटिंग की मांग रखी, लेकिन रीकाउंटिंग के बाद भी वोट बराबर रह गए। लॉटरी से चुनाव हारे टुनटुन इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं और मानते हैं फिर से चुनाव होता, तो अच्छा होता। 


Loktantra Lottery Purnia

ग्राम पंचायत के सदस्य के चुनाव में कुछ ऐसा ही किशनगंज ज़िले के टेढ़ागाछ प्रखंड की कालपीर पंचायत वार्ड नंबर 5 में भी हुआ। ऐसा ही किशनगंज ज़िले के ही पोठिया प्रखंड में परलाबाड़ी पंचायत वार्ड नंबर 8 और बुढ़नई पंचायत वार्ड नंबर 2 में भी इसी तरह बराबर वोट आये जिससे लाॅटरी की प्रक्रिया अपनानी पड़ी। ऐसा ही अररिया के अररिया प्रखंड में मदनपुर पश्चिम पंचायत के वार्ड नंबर 3 और पलासी की पेचैली पंचायत के वार्ड नंबर 12 में हुआ। पुरे बिहार से ऐसे दर्जनों मामले हैं जहाँ लोकतंत्र में लॉटरी का सहारा लिया गया और लिया जाता रहा है। लेकिन, ये लॉटरी होती कैसे है?

Loktantra Lottery Terhagachh
Loktantra Lottery Pothia 1
Loktantra Lottery Pothia 2
Loktantra Lottery Araria 1
Loktantra Lottery Araria 1

अगर निकाय चुनाव में उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलते हैं, तो ऐसी स्थिति में लाॅटरी कराई जाती है। लाटरी प्रक्रिया को लेकर लिखित दिशानिर्देश है, जिसके मुताबिक, जिन प्रत्याशियों के बराबर वोट आते हैं, उनके नाम सफेद पर्ची में लिखकर उन्हें तह किया जाता है और डिब्बे में रखा जाता है। इसके बाद वे सभी प्रत्याशी जिनके नाम की पर्ची डिब्बे में डाले गये हैं, उनकी मौजूदगी में डिब्बा खोला जाता है और ऐसे अधिकारी से पर्ची निकलवाई जाती है, जो पर्ची में नाम लिखने से लेकर डिब्बे में डालने तक की प्रक्रिया का हिस्सा न रहा हो। वो अधिकारी डिब्बे से एक पर्ची निकालता है और उस पर्ची में जिस उम्मीदवार का नाम आता है, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है। 

लेकिन सवाल ये है कि जनता के वोटों से जिस हार जीत का फैसला होना चाहिए, उसक फैसला लाॅटरी से किया जाना कितना सही है? क्या लाॅटरी प्रक्रिया उस जुए जैसी नहीं है, जिसमें तुक्के से हार-जीत का फैसला होता है? सवाल ये भी है कि क्या ये प्रक्रिया सीधे तौर पर जनता के साथ धोखा नहीं है, जिन्होंने ये सोचकर वोट दिया होगा कि उनके वोट से कोई प्रत्याशी जीतेगा? सवाल और भी हैं और इन्हीं सवालों से एक सवाल ये भी निकलता है कि क्या निर्वाचन आयोग के पास लाॅटरी से बेहतर विकल्प नहीं है? बेहतर विकल्प हो सकता है, होगा भी। बस जरूरत है इस पर गंभीरता से विचार करने की।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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