Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

बिहार बिना अधूरे राम!

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ बिहार के बक्सर में स्थित महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में शस्त्रनीति, धर्मनीति, कर्मनीति और राजनीति की विशेष शिक्षा ग्रहण की थी।

Utkarsh Kumar Singh Reported By Utkarsh Kumar Singh |
Published On :

दशकों के लंबे इंतज़ार के बाद अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न हो गया। वैसे तो राम देशभर के हिन्दुओं के लिए पूजनीय हैं, मगर बिहार देश का इकलौता राज्य है जहां राम की पूजा के साथ ही उन्हें गालियां भी दी जाती हैं।

चौंक गए न, तो चलिए भगवान राम की बिहार से जुड़ी यादों को ताज़ा करते हैं।

शायद आपको यह जानकर हैरानी हो कि बिहार से श्री राम का रिश्ता उनके जन्म से भी पहले से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ की कोई संतान नहीं हो रही थी। परेशान होकर वह बिहार के लखीसराय जिले में मौजूद ऋषि ऋंगी के आश्रम आए और ऋषि विभांडक के पुत्र ऋषि श्रृंग को अपनी परेशानी बताई। इसके बाद ऋषि श्रृंग ने घोर तपस्या की जिससे अग्निदेवता प्रसन्न हुए और प्रकट होकर दशरथ की तीनों रानियों को प्रसाद के तौर पर खीर दिया। इस यज्ञ के बाद ही श्री राम सहित चारों पुत्रों का जन्म हुआ।


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ बिहार के बक्सर में स्थित महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में शस्त्रनीति, धर्मनीति, कर्मनीति और राजनीति की विशेष शिक्षा ग्रहण की थी। इस दौरान उन्होंने ताड़का और सुबाहु समेत कई राक्षसों का वध भी किया था।

मान्यताओं के मुताबिक मिथिला राज्य में प्रवेश करने से पहले राम ने अहिल्या का भी उद्धार किया था। दरभंगा जिले में मौजूद अहियारी गाँव को अहिल्या स्थान के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि न्याय दर्शन के प्रवर्तक गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का देवराज इंद्र ने शीलहरण किया था। जिससे नाराज़ होकर गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी को पत्थर बन जाने का श्राप दिया था। भगवान राम ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाने के दौरान गौतम ऋषि के आश्रम पहुंचे, जहां उनके चरण स्पर्श मात्र से ही अहिल्या श्रापमुक्त हो गईं।

अब आपको बताते हैं कि बिहार में राम को गालियां क्यों पड़ती हैं। इसकी वजह है कि मिथिला में भगवान राम का ससुराल होना। वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर को मिथिला और विदेह नगरी के नाम से भी जानते हैं। यहां के राजा जनक हुआ करते थे।

कहते हैं कि एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा जिससे राजा जनक काफी चिंतित थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक ऋषि ने उन्हें यज्ञ कराने और खुद जमीन पर हल जोतने की सलाह दी। राजा जनक ने यज्ञ करवाया और फिर बिहार के सीतामढ़ी के पुनौरा नामक स्थान पर खेत में हल चलाया। हल चलाने के दौरान ही उन्हें स्वर्ण सज्जित एक संदूक में सुंदर कन्या मिली। चूंकि राजा जनक की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। इसीलिए मां सीता को जानकी भी कहा जाता है।

Also Read Story

किशनगंजः “दहेज में फ्रिज और गाड़ी नहीं देने पर कर दी बेटी की हत्या”- परिजनों का आरोप 

सहरसा में गंगा-जमुनी तहजीब का अनोखा संगम, पोखर के एक किनारे पर ईदगाह तो दूसरे किनारे पर होती है छठ पूजा

“दलित-पिछड़ा एक समान, हिंदू हो या मुसलमान”- पसमांदा मुस्लिम महाज़ अध्यक्ष अली अनवर का इंटरव्यू

किशनगंजः नाबालिग लड़की के अपहरण की कोशिश, आरोपी की सामूहिक पिटाई

मंत्री के पैर पर गिर गया सरपंच – “मुजाहिद को टिकट दो, नहीं तो AIMIM किशनगंज लोकसभा जीत जायेगी’

अररियाः पुल व पक्की सड़क न होने से पेरवाखोरी के लोग नर्क जैसा जीवन जीने को मजबूर

आनंद मोहन जब जेल में रहे, शुरू से हम लोगों को खराब लगता था: सहरसा में नीतीश कुमार

Bihar Train Accident: स्पेशल ट्रेन से कटिहार पहुंचे बक्सर ट्रेन दुर्घटना के शिकार यात्री

सहरसा: भूख हड़ताल पर क्यों बैठा है एक मिस्त्री का परिवार?

सीता जी के जन्म के कारण ही इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा। जनकपुर में राम ने सीता के साथ एक लंबा समय व्यतीत किया। इसी जनकपुर में मां सीता का स्वंयवर भी हुआ था जिसमें राम के हाथों भगवान शिव की धनुष टूट गई थी। आज जनकपुर नेपाल में पड़ता है जहां सीता का भव्य मंदिर मौजूद है.

चूंकि मिथिला श्री राम का ससुराल है इसलिए उन्हें यहां पाहुन कहकर बुलाया जाता है और परंपराओं के अनुसार लोकगीत गाते हुए यहां की महिलाएं राम को गालियां भी देती हैं।

पिंड दान के लिए प्रख्यात बिहार के गया से भी भगवान राम का पौराणिक रिश्ता है। मान्यता है कि राम अपने पिता दशरथ की मौत के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करने गया आये थे। राम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ गया के अंतः सलीला फल्गु तट पर पिंडदान करने पहुंचे थे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक पिंड दान करने से पूर्व राम ने गया के रामशिला स्थित पर्वत पर विश्राम किया था, जहां उनके चरण चिह्न आज भी मौजूद हैं।

कहते हैं कि राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ पिंड सामग्री लाने के लिए निकले थे, उसी वक्त राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई। जिसमें उन्होंने श्री राम की पत्नी सीता से कहा कि पिंड की बेला समाप्त हो रही है, उन्होंने सीता से ही पिंड देने को कहा। जिस स्थान पर सीता ने राजा दशरथ को पिंड दिया, वह स्थल सीता कुंड के नाम से जाना जाता है।

राम मंदिर भूमि पूजन के लिए बिहार के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी, ईंटें और नदियों का पानी अयोध्या भेजा गया है। रामायण में भगवान राम और देवी सीता के बिहार से पौराणिक संबंधों की और भी कई कहानियां हैं। सीता के छठपर्व मनाने से लेकर वनवास जाने के दौरान की तमाम किंवदंतियां मौजूद हैं। बिहार का श्री राम से सदियों का रिश्ता रहा है।

इसलिए कहा जा सकता है कि बिहार के बिना राम और राम के बिना बिहार अधूरा है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Related News

बिहार के स्कूल में जादू टोना, टोटका का आरोप

किशनगंज: ”कब सड़क बनाओगे, आदमी मर जाएगा तब?” – सड़क न होने से ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर बिहार ने देश को सही दिशा दिखायी है: तेजस्वी यादव

अररिया: नहर पर नहीं बना पुल, गिरने से हो रही दुर्घटना

बंगाल के ई-रिक्शा पर प्रतिबंध, किशनगंज में जवाबी कार्रवाई?

कटिहारः जलजमाव से सालमारी बाजार का बुरा हाल, लोगों ने की नाला निर्माण की मांग

नकली कीटनाशक बनाने वाली मिनी फैक्ट्री का भंडाफोड़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: दशकों से पुल के इंतज़ार में जन प्रतिनिधियों से मायूस ग्रामीण

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?