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बिहार में अब नौका घाटों की बंदोबस्ती करेंगे स्थानीय प्राधिकार

मंगलवार को बिहार विधानसभा में बिहार नौका घाट बंदोबस्ती व प्रबंधन विधेयक 2023 पारित हुआ। इस बिल को राजस्व व भूमि सुधार विभाग के प्रभारी मंत्री आलोक कुमार मेहता ने सदन में पेश किया जिसके बाद ध्वनिमत के माध्यम से इस बिल को पास किया गया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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People with bikes crossing a river on a boat

मंगलवार को बिहार विधानसभा में बिहार नौका घाट बंदोबस्ती व प्रबंधन विधेयक 2023 पारित हुआ। इस बिल को राजस्व व भूमि सुधार विभाग के प्रभारी मंत्री आलोक कुमार मेहता ने सदन में पेश किया जिसके बाद ध्वनिमत के माध्यम से इस बिल को पास किया गया। बिहार नौका घाट बंदोबस्ती व प्रबंधन विधेयक 2023, राज्य में नौका घाटों की बंदोबस्ती, नियंत्रण और प्रबंधन की शक्ति सरकार द्वारा स्थापित स्थानीय प्राधिकार को सौंपता है।


मोटे तौर पर अगर समझा जाए तो इस बिल में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को लोगों, जानवरों और सामानों के आवागमन और प्रबंधन विनियमित करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। इससे पहले नौकाघाट के सारे कार्य 138 वर्ष पुराने बंगाल फेरीज़ एक्ट 1885 के तहत हुआ करते आ रहे थे। राज्य सरकार इस नए बिल को नौकाघाटों के बेहतर प्रबंधन के लिए उठाया गया कदम बता रही है।

इस बिल को पेश करने के बाद राजस्व व भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने इस बिल की आवश्यकता के बारे में बताया कि इससे नौका घाटों को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से न केवल टोल व्यवस्था की प्रणाली बनेगी, बल्कि नौका सवारों के लिए सुरक्षा मापदंड भी तय किए जाएंगे।


अपने भाषण में राजस्व व भूमि सुधार के प्रभारी मंत्री ने कहा, “नौका घाटों का प्रबंधन और बेहतर बनाने के लिए इस व्यवस्था को लाया गया है। बिहार राज्य में नदियों, जल निकायों इत्यादि के अधीन लोगों, मवेशियों, मालों, सामग्रियों इत्यादि के आवागमन के लिए नौका-नाव का परिचालन, प्रबंधन, बंदोबस्ती व व्यवस्थित करने तथा स्थानीय निकायों के प्राधिकारों को शक्तियां प्रदान किये जाने के उद्देश्य से बिहार नौकाघाट बन्दोबस्ती व प्रबंधन विधेयक 2023 के प्रारूप का गठन किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस बिल के प्रावधान के अधीन नौका घाटों की बंदोबस्ती, नियंत्रण और प्रबंधन स्थानीय निकायों के स्थानीय प्राधिकार में सरकार द्वारा स्थापित किया जाएगा। इसमें नौका घाटों की बंदोबस्ती और टोल की वसूली सरकारी प्रक्रिया के अधीन होगी।

विपक्ष का संशोधन प्रस्ताव खारिज

इस बिल को मंज़ूरी मिलने से पहले सदन में विपक्ष के नेताओं ने कुछ संशोधन प्रस्ताव रखे, जिसे बारी बारी से ध्वनिमत से नामंज़ूर कर दिया गया। भाजपा नेता जनक सिंह ने इस बिल के सिद्धांत पर विमर्श करने की अपील की।

उन्होंने कहा, “अध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों से देखा जा रहा है कि कोई भी विधेयक एक सत्र में आता है और अगले ही सत्र में उस पर संशोधन भी आ जाता है। इससे सशक्त प्रक्रिया यह हो सकती है कि वेबसाइट तथा अखबारों में प्रकाशित कर लोगों से मन्तव्य प्राप्त किया जाए। एक पौधा भी जब बीज की स्थिति में रहता है, तो किसान उस बीज को धरती में लाता है और नमी के फल स्वरूप वह ऊपर आता है और फूल-फल देता है।”

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“ठीक उसी प्रकार से इस विषय पर सरकार को समझना चाहिए, लेकिन सरकार आनन-फानन में यह कदम उठाया है। इसलिए मैंने इस पर विमर्श का प्रस्ताव दिया है,” उन्होंने कहा।

जनक सिंह के इस प्रस्ताव को स्वीकृत नहीं मिली।

संजय सरावगी का जल संसाधन की जगह स्थानीय प्रशासन लिखने का प्रस्ताव

भाजपा के एक अन्य नेता संजय सरावगी ने इस बिल के खंड-4 की पहले पंक्ति में लिखे “जल संसाधन विभाग” के स्थान पर “स्थानीय प्रशासन” लिखने की मांग की, लेकिन सदन में इस प्रस्ताव को भी हरी झंडी नहीं मिली।

सदन सदस्य संजय सरावगी ने इस प्रस्ताव को रखने का कारण बताते हुए कहा, “अध्यक्ष महोदय, यह संशोधन करने का मेरा उद्देश्य है कि स्थानीय प्रशासन तो सब जगह रहता है और जल संसाधन विभाग के अधिकारी कितने रहते हैं? ऐसे में अगर कोई घटना हो गई तो लोग जल संसाधन विभाग को खोजेंगे कि जल विभाग के अभियंता कहाँ हैं? इसलिए अध्यक्ष महोदय मेरा प्रस्ताव यह था कि ‘जल संसाधन’ विभाग के स्थान पर ‘स्थानीय प्रशासन’ प्रतिस्थापित किया जाए।”

संजय सरावगी ने इस बिल के खंड-6 को हटाने की मांग की। खंड-6 में निजी नौका घाट की व्यवस्था का प्रावधान है।

संजय ने इसे हटाने करने की मांग करते हुए कहा, “अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में निजी नौका घाट की व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन प्रश्न आता है कि कैसे अवैध खनन हो रहा है, अवैध नौका चल रही है, तो अगर सरकार से आदेश लेकर जगह जगह निजी नौका घाट बन जाएगा, तो इससे माफियाओं को प्रश्रय मिलेगा और अवैध वसूली, अवैध नौका परिचालन होने लगेगा इसलिए निजी नौका घाट का जो प्रस्ताव है उसे विलोपित किया जाए।”

इस प्रस्ताव को भी सदन में मंज़ूरी नहीं मिली। इसके जवाब में राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि संजय सरावगी जी ने जो प्रश्न उठाये हैं इसमें तो ख़ुशी की बात है कि सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो रहा है। सत्ता का विकेंद्रीकरण यानी शक्ति का विकेन्द्रीकरण।

उन्होंने यह भी कहा कि इस माध्यम से नौकाघाटों के प्रबंधन को और बेहतर बनाने और विभिन्न तरह के ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में मदद लेने के लिए निजी घाट बनाने का निर्णय लिया जा सकता है। इस बिल में निजी नौका घाटों का प्रावधान आवश्यकता अनुसार लचीला रहेगा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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