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आजादी से पहले बना पुस्तकालय खंडहर में तब्दील, सरकार अनजान

सरस्वती पुस्तकालय देश की आजादी से भी पहले बना था और किसी जमाने में यह पुस्तकालय आसपास के जिलों का शिक्षा व कला के साथ सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का भी केंद्र हुआ करता था।

Aaquil Jawed Reported By Aaquil Jawed | Katihar |
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यह खंडहर हो चुका जर्जर भवन, कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत सोनेरी बाजार के बीच है, जहां फिलहाल आंगनबाड़ी चल रहा है। इस भवन की छत जगह-जगह से टूट चुकी है, सीमेंट झड़ रहा है और दीवार पर पीपल के पेड़ उग चुके हैं।


इस खंडहरनुमा भवन के ऊपर लिखा है, सरस्वती पुस्तकालय। यह पुस्तकालय देश की आजादी से भी पहले बना था और किसी जमाने में यह पुस्तकालय आसपास के जिलों का शिक्षा व कला के साथ सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का भी केंद्र हुआ करता था।

लेकिन आज इस पुस्तकालय भवन के एक कमरे में आंगनबाड़ी चल रहा है और बाकी के हिस्से में कूड़े का अंबार लगा है। किताब रखने वाली अलमारियां सड़ रही हैं। कला प्रेमियों का मन लुभाने वाला ट्रांजिस्टर धूल खा रहा है। पुस्तकालय के बाहरी हिस्से की जमीन को स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है, और इस तरह .. कभी समृद्ध रहा यह पुस्तकालय आज अपनी बर्बादी देख रहा है।


बता दें कि 1946 में स्थानीय निवासी सतीश प्रसाद दास ने अपनी पत्नी सरस्वती देवी की स्मृति में जमीन दान देकर इस पुस्तकालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में बिहार सरकार ने मंजूरी दी। देश की आजादी के बाद प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत पुस्तकालय का भवन एवं कला केंद्र का निर्माण कराया गया था, साथ ही इसमें बच्चों के लिए खेलने और मनोरंजन की भी व्यवस्था थी।

स्थानीय ग्रामीण अब्दुल गफ्फार सिद्दीकी बताते हैं कि अपने समय में वह भी इस पुस्तकालय से किताब लेकर पढ़ा करते थे। लेकिन आज इस पुस्तकालय की हालत देख कर वह काफी निराश हैं। वह कहते हैं कि ना तो कोई नेता, ना मुखिया, और ना ही एमपी से लेकर एमएलए तक इसमें दिलचस्पी लेते हैं।

सुनीता देवी साल 2005 से आंगनबाड़ी शिक्षिका के रूप में इस पुस्तकालय के एक कमरे में बच्चों को पढ़ा रही हैं। बताती हैं कि यह भवन इतना जर्जर है कि आए दिन छत से सीमेंट गिरता रहता है जिसके डर से वे बच्चों को कमरे से बाहर नहीं निकलने देती हैं।

ज्ञात हो, कि पुस्तकालय की प्रसिद्धि के कारण यहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री समेत पूर्व शिक्षा मंत्री भोला दास, और स्थानीय विधायक समेत कई बड़े नेता आ चुके हैं, लेकिन सभी के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिल सका है।

10 वर्ष पूर्व प्रखंड स्तर से लगभग पांच लाख की राशि से पुस्तकालय का जीर्णोद्धार कराया गया था। लेकिन कार्य में अनियमितता बरती गई और जीर्णोद्धार ढंग से नहीं हो पाया इसलिए आज भी पुस्तकालय खंडहर ही है।

इस मामले पर हमने कदवा प्रखंड के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर राजमणि महतो से फोन पर बात की, तो वह इस पुराने पुस्तकालय के बारे में सुनकर चौंक गए और कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब वह इसे देखने जरूर जाएंगे।

वहीं, कदवा विधानसभा के वर्तमान विधायक डॉ शकील अहमद ख़ां ने मैं मीडिया को फोन पर बताया कि उन्होंने पुस्तकालय का कई बार भ्रमण किया है और यह सही बात है कि भवन काफी खस्ताहाल है। उन्होंने आगे बताया कि यह सब चीजें बिहार सरकार के कला व संस्कृति विभाग के तहत आती हैं। उन्होंने पुस्तकालय भवन और कला मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए फंड की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार पैसे देगी तो काम शुरू किया जाएगा।

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Aaquil Jawed is the founder of The Loudspeaker Group, known for organising Open Mic events and news related activities in Seemanchal area, primarily in Katihar district of Bihar. He writes on issues in and around his village.

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