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बिहार में पंद्रह साल से नहीं हुई लाइब्रेरियन की बहाली, इंतज़ार कर रहे अभ्यर्थियों की निकल गई उम्र

राज्य में क़रीब पांच लाख अभ्यर्थी पुस्तकालयाध्यक्ष, लाइब्रेरी सहायक और लाइब्रेरी अटेंडेंट के पदों के लिये विज्ञापन निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से कई छात्र ऐसे हैं, जिनकी इंतज़ार करते-करते उम्र 40 के क़रीब पहुंच गई है। ऐसे में छात्रों को डर है कि अगर जल्दी बहाली नहीं निकली तो उनकी उम्र बहाली की अधिकतम सीमा के पार पहुंच जायेगी।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
librarian has not been recruited in bihar for fifteen years

बिहार में पंद्रह सालों से पुस्तकालयाध्यक्षों (लाइब्रेरियन) की बहाली नहीं हुई है। आख़िरी बार 2008 में लाइब्रेरियन पदों पर बहाली हुई थी। उसके बाद से अभ्यर्थी बहाली का इंतज़ार ही कर रहे हैं। इस बीच कई अभ्यर्थियों की उम्र ही निकल गई तो कई अभ्यर्थियों ने दूसरे रोज़गार अपना लिये। राज्य में लाइब्रेरियन के अलावा पुस्तकालय सहायक और पुस्तकालय अटेंडेंट के पद भी रिक्त हैं।


राज्य में लाइब्रेरियन के लगभग 10 हज़ार पद रिक्त हैं, जिसमें प्लस टू स्कूल से लेकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी के रिक्त पद भी शामिल हैं। लाइब्रेरियन के पद ख़ाली रहने से लाइब्रेरी में किताबें धूल फांक रही हैं। तृतीय-चतुर्थीय श्रेणी कर्मी लाइब्रेरी में पुस्तक इश्यू करने का काम देख रहे हैं।

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लाइब्रेरियन के पदों पर बहाली के लिये लाइब्रेरी साइंस में स्नातक (बी.लिब) होना आवश्यक है। आख़िरी बार जब 2008 में बहाली हुई थी, बिना किसी पात्रता परीक्षा के ही बहाली हुई थी। लेकिन, 2020 में सरकार ने एक नयी नियमावली बनाई है, जिसके तहत अब इन पदों पर बहाली के लिये भी पात्रता परीक्षा का आयोजन किया जायेगा।


शिक्षा मंत्री ने दिया था आश्वासन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के ऐलान के बाद भी इस पर कोई पहल नहीं हुई, जिस वजह से अभ्यर्थी सरकार से मायूस हैं। दरअसल, तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने 26 सितंबर 2021 को सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्वीटर) के माध्यम से जानकारी दी थी कि जल्द ही राज्य में पुस्कालयाध्यक्षों की नियुक्ति की जायेगी।

पोस्ट में उन्होंने लिखा था, “सर्वप्रथम हमने शिक्षा के सार्वजनिकीकरण की दिशा में काम किया और हमें उसमें सफलता भी मिली। शिक्षा के साधनों को बढ़ाने की आवयश्कता है। पुस्तकों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ाने के लिए सरकार अपने स्तर से पुस्तकालयों को सुदृढ़ करेगी और पुस्तकालयध्यक्षों की भी शीघ्र नियुक्ति की जाएगी।”

वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय ने दो साल पहले फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से बताया था कि राज्य के 500 से अधिक किताबों वाले सभी पुस्तकालयों में लाइब्रेरियन के रिक्त पद भरे जायेंगे। पोस्ट में बताया गया था कि राज्य के 6421 प्लट टू स्कूलों में लाइब्रेरियन के 7000 रिक्त पदों को भरा जायेगा। लेकिन, मुख्यमंत्री कार्यालय के ऐलान के दो साल बाद भी इस पर कोई पहल नहीं हुई।

हालांकि, यह पोस्ट नीतीश कुमार के आधिकारिक पेज के बजाय सीएम बिहार नीतीश कुमार (CM Bihar Nitish Kumar) पेज से किया गया था। उस समय यह पेज मुख्यमंत्री कार्यालय, बिहार (CMO Bihar) के नाम से दर्ज था।

विधानसभा में भी उठा नियुक्ति का मुद्दा

फरवरी 2023 में बिहार विधानसभा में विधायक मनोज मंज़िल द्वारा पूछे गये एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने बताया था कि पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति के लिये वर्ष 2020 में नई नियमावली बनायी गयी है। नियमावली के अनुसार, शिक्षक पात्रता परीक्षा के तर्ज़ पर ‘पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा’ उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी ही पुस्तकालयाध्यक्ष पदों पर बहाल किये जायेंगे।

उत्तर में बताया गया कि पुस्तकालयाध्यक्षों की आवश्यकता का आकलन करते हुए ‘पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा’ का आयोजन करने के उपरांत पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रारंभ की जायेगी। लेकिन, इस बात के डेढ़ साल गुज़रने के बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ।

पांच लाख डिग्रीधारी कर रहे इंतज़ार

राज्य में क़रीब पांच लाख अभ्यर्थी पुस्तकालयाध्यक्ष, लाइब्रेरी सहायक और लाइब्रेरी अटेंडेंट के पदों के लिये विज्ञापन निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से कई छात्र ऐसे हैं, जिनकी इंतज़ार करते-करते उम्र 40 के क़रीब पहुंच गई है। ऐसे में छात्रों को डर है कि अगर जल्दी बहाली नहीं निकली तो उनकी उम्र बहाली की अधिकतम सीमा के पार पहुंच जायेगी।

‘मैं मीडिया’ ने इसको लेकर ‘पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा’ की तैयारी कर रहे कई अभ्यर्थियों से बात की। नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होने से वे बहुत निराश हैं। लंबे समय से नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे छात्र आनन्द ने बताया कि सरकार को चाहिये कि जल्द से जल्द बहाली निकाले, ताकि जो पांच लाख छात्र डिग्री लेकर बैठे हैं, उनकी डिग्री बेकार ना चली जाये। उन्होंने कहा कि जब स्कूलों में लाइब्रेरी ही नहीं होगी तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कहां से मिलेगी?

“नियुक्ति के संबंध में जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया जाता है तो बोला जाता है कि रोस्टर बन रहा है, रोस्टर बनने के बाद ही वैकेंसी आयेगी। अब रोस्टर कब तक बनेगा उनका, कोई नहीं जानता है?…लगभग पांच लाख स्टूडेंट बी.लिब डिग्रीधारी हैं, जो आशा लगाये हुए हैं कि जल्दी ही वैकेंसी आयेगी,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “सरकार भी अपने स्तर से आश्वासन दे रही है कि वैकेंसी आयेगी, लेकिन, 16 साल हो गये इंतज़ार करते-करते। कितने लोगों की उम्र पार हो गयी। कोई बेरोज़गार है तो कोई कुछ काम कर रहा है… शिक्षा मंत्री और नीतीश कुमार जितनी वैकेंसी की बात किये थे कम से कम उतना वैकेंसी दे दें, ताकि छात्रों की डिग्री बेकार ना हो।”

“सरकार नियुक्ति करना ही नहीं चाहती है”

परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अन्य अभ्यर्थी नवलेश ने बताय कि शिक्षा विभाग में बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की भर्ती की जा रही है, पहले अतिथि शिक्षकों की भी भर्ती की गई है, लेकिन, शिक्षा विभाग पुस्तकालयाध्यक्ष पदों पर भर्ती नहीं निकाल रहा है।

“16 साल हो गये लेकिन, नीतीश सरकार बहाली नहीं निकाल रही है। हमलोग कई सालों से डिग्री लेकर बैठे हुए हैं। सरकार अतिथि शिक्षकों की बहाली कर रही है। लाइब्रेरी किसी भी स्कूल या कॉलेज का महत्वपूर्ण अंग होती है। वहीं शिक्षा ग्रहण होता है और वहीं से शिक्षा का प्रसार होता है। उसके बावजूद (नियुक्ति) करना ही नहीं चाहती है सरकार,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हमलोग संगठन भी बनाये हुए हैं और हाइकोर्ट भी गये हैं नियुक्ति के लिये। सरकार हमारी बात सुनने के लिये तैयार नहीं है। हालांकि, यही सरकार अतिथि शिक्षकों की बात सुनने के लिये तैयार है। हमलोग सरकार से यही मांग करते हैं कि किसी भी तरह पुस्तकालयाध्यक्ष की बहाली करे।”

छात्र मुख्यमंत्री को भी लिख चुके हैं पत्र

पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा की तैयारी कर रहे उत्कल राज गौरव ने बताया कि वे लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नियुक्ति के लिये पत्र लिख चुके हैं, लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हर तरफ से थक हार कर उनलोगों ने हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। उत्कल ने बताया कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में लगभग दस हज़ार पुस्तकालयाध्यक्ष के पद रिक्त हैं।

“हमलोग परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं और केस कोर्ट भी लड़ रहे हैं। कोर्ट केस इसलिये किये हैं, क्योंकि सरकार की तरफ से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लेटर भी लिखे हैं मुख्यमंत्री को, सचिवालय में लेटर दिये, लेकिन, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। तब थक हार कर हमलोगों को पटना हाइकोर्ट में केस करना पड़ा। केस रजिस्टर्ड हो चुका है, जल्द ही सुनवाई भी शुरू होगी,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हमने आरटीआई भी लगाया, लेकिन, उसका कोई जवाब नहीं दिया शिक्षा विभाग ने। साथ ही हमने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से भी आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। उसका जवाब आ चुका है। समिति ने बताया कि हमलोगों के पास ‘पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा’ से संबंधित कोई भी जानकारी शिक्षा विभाग की तरफ़ से नहीं दी गयी है।”

उत्कल ने कहा कि माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के तर्ज़ पर ही पुस्तकालयाध्यक्ष पात्रता परीक्षा’ का आयोजन होना चाहिये। उत्कल ने दावा किया कि पटना यूनिवर्सिटी के कॉलेज में तो 1973 के बाद से ही पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर बहाली नहीं निकली है।

अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है: विभाग

लाइब्रेरियन की नियुक्ति को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक बैद्यनाथ यादव के कार्यालय से फोन पर संपर्क किया। कार्यालय की तरफ से जानकारी दी गई कि इस संबंध में अभी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

सवाल है कि जब शिक्षा विभाग के पास ही यदि कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है तो फिर किस विभाग के पास यह जानकारी होनी चाहिये? पांच लाख डिग्रीधारी छात्रों के भविष्य को लेकर क्या किसी को भी चिंता नहीं है?

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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