“सर, रास्ता नहीं होने से हमारे गांव के बेटे बेटियों की शादी नहीं हो रही है। कोई भी हमारे गांव में रिश्ता नहीं करना चाहता है।”
बीते दिनों किशनगंज जिला के दिघलबैंक अंचलाधिकारी से तुलसिया पंचायत की बहादुरा बस्ती के ग्रामीणों ने यह फरियाद की थी। ग्रामीणों में शामिल महिलाएं तो अपना दर्द बयां करते-करते रो पड़ी और रोते हुए गांव की महिलाओं ने बताया कि उनकी आंखे बच्चों के हाथों में महेंदी देखने के लिए तरस गई हैं।
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उनके गांव में केवल एक रास्ते के अभाव में बाहर से बारात नहीं आती है और न ही जल्दी कोई बारात बाहर जा पाती है। यही नहीं, बीमार लोगों को ले जाने के लिए भी लोगों के कंधों का सहारा लेना पड़ता है। सबसे खराब हालत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने के समय होती है।
बता दें कि मंगलवार को दर्जनों की संख्या में तुलसिया पंचायत के बहादुरा बस्ती से प्रखंड मुख्यालय दिघलबैंक पहुंचे ग्रामीणों ने सीओ दिघलबैंक मोहम्मद अबुनसर को समस्या से अवगत कराते हुए कहा कि बहादुरगंज दिघलबैंक मुख्य सड़क स्टेट हाइवे-99 से करीब 700 मीटर की दूरी पर बहादुरा बस्ती गाँव बसा हुआ है। यहां पूर्वजों के जमाने से लोग किसी तरह आना जाना करते आ रहे हैं। लेकिन, बीते कई वर्षों से उस पैदल सड़क को भी कुछ बाधित कर दिया है, जिसे लेकर मामला दिघलबैंक थाने के जनता दरबार में भी पहुंचा है। लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
मूलभूत सुविधाओं से आज भी यह गाँव है वंचित
लोगों ने कहा कि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि गाँव जाने के लिए सड़क की चौड़ाई दो फीट भी नहीं है, जिससे ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को विद्यालय, बाजार, हॉस्पिटल आदि जगह जाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गांव से बाहर रिश्तेदारी करना तो उनके लिए सपना हो गया है।

आजादी के दशकों बाद भी तुलसिया बहादुरा बस्ती को मुख्य सड़क तक जोड़ने के लिए एक सड़क नहीं बनी है। लोग पूर्वजों के समय से जैसे तैसे आना जाना करते आ रहे हैं। यह आना जाना निजी जमीन से होता था। अब निजी जमीन मालिकों द्वारा उस रास्ते को बंद कर दिया जाता है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है, जबकि इस गाँव में न ही कोई आंगनबाड़ी केंद्र है और न विद्यालय, जिससे शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी स्कूली बच्चों को दूरी तय करनी पड़ती है।
लोक शिकायत व जनता दरबार में अर्जी
ग्रामीण अरशद रज़ा ने बताया कि सड़क की मांग को लेकर 20 जुलाई 2021 को लोक शिकायत तथा 29 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री जनता दरबार में आवेदन दिया था। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आवेदन के बाद मेरी सुनवाई से पूर्व ही विभागीय अधिकारियों ने गांव का दौरा किया था। गाँव का सर्वेक्षण कर कहा गया कि जल्द ही समस्या का समाधान कर सड़क निर्माण कराया जाएगा, पर अबतक मामला जस का तस बना हुआ है।

70 वर्षीय सलीमुद्दीन ने बताया, “पहले चारों तरफ से खुला रास्ता होने के कारण कोई परेशानी नहीं थी, लोग आना जाना करते थे। अब जमीन का वैल्यू (कीमत) बढ़ गया है, जिससे जमीन मालिक अब जमीन को बन्द कर दिया है। इस वजह से अब आने जाने में काफी परेशानी होती है।”
मूजलिमा खातून कहती हैं, “मैं इस गाँव में 40 वर्ष से हूँ। यहां लोग शुरू से मेहनत मजदूरी करके अपना गुजर बसर करते आ रहे हैं, पर सड़क पर किसी ने आजतक ध्यान नहीं दिया। लोग पगडंडी से आना जाना करते आ रहे हैं, जिसे अब बंद कर दिया जाता है जिससे रिश्तेदारी में भी बहुत परेशानी है। सड़क के बिना जल्दी किसी बेटी की डोली नहीं उठ पाती है।”

पगडंडी थी जरिया, वह भी बंद
निखत परवीन बताती हैं कि पहले लोग किसी तरह दूसरे की जमीन पर चलकर आना जाना करते थे। पर अब उसे भी बंद कर दिया गया है, जिससे एक सप्ताह से हाट बाजार तक जाना बंद हो गया है। दो फीट रास्ते में जैसे तैसे आते जाते हैं, इसको भी बंद कर दिया जाता है। आगे वह कहती हैं, “यहां रास्ता नहीं होने के कारण जल्दी बाहर से बेटियों के लिए कोई रिश्ता नहीं आता है। मजबूर होकर गाँव में ही लड़का-लड़कियों को शादी कराना पड़ता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व सरकार से सड़क की मांग की गई, ताकि लोगों को सहूलियत मिल सके,” निखत परवीन ने कहा।
नुरसबा खातून बताती हैं कि जमीन खुली रहने के कारण आसानी से आना जाना हो जाता था पहले, अब इसे बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि एक बेटी को देखने के लिए कुछ दिन पहले लड़के वाले आए थे, पर सड़क नहीं होने के चलते रिश्ता नहीं किया। बाहर से ही देखकर चला गया और अगर किसी का रिश्ता बाहर हो भी जाए, तो 500 मीटर दूर बाहर से पैदल चलकर बारात आती है और पैदल चलकर दूल्हा दुल्हन की विदाई होती है।
छात्र मन्नान रजा ने कहा “यहां सड़क बहुत जरूरी है, पर किसी भी जनप्रतिनिधि ने सड़क निर्माण को लेकर कोई पहल नहीं की है। हम लोगों को आने जाने में बहुत दिक्कत होती है। गाँव से मुख्य सड़क की दूरी एक किलोमीटर से भी कम है, पर सड़क नहीं होने के कारण यहां शादी से लेकर मौत तक हर जगह बहुत परेशानी है, इसलिए यहां सड़क का निर्माण होना चाहिए।”
गृहणी नाज परवीन बताती हैं, “मेरी शादी 8 महीने पहले हुई है। यहां सड़क के साथ साथ विद्यालय, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है। गाँव के बच्चे बाजार की तरफ स्कूल जाते हैं जिससे पैरेंट्स को हमेशा डर बना रहता है कि हमारे बच्चे को कुछ हो न जाए।” वह कहती हैं कि सड़क के साथ साथ बुनियादी सुविधाएं होना चाहिए।

पंचायत स्तर से मुख्य सड़क से एक पीसीसी सड़क का निर्माण कुछ वर्ष पूर्व किया था। यह टैगोर स्टेट की जमीन पर बना था, लेकिन बताया जाता है कि निजी खाते की जमीन कहकर उसका अतिक्रमण कर लिया गया है जिस पर कई दफा विभागीय जांच तथा भौतिक सत्यापन भी किया गया, पर अब तक पेंच फंसा हुआ है। गुरुवार को एक बार फिर दिघलबैंक के अंचलाधिकारी ने स्थलीय निरीक्षण किया है।
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