अररिया: बिहार का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क अररिया के कुसियारगांव में खुलने से जहाँ शोधकर्ताओं के लिए एक राह खुली है, वहीं यह पार्क पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहा है।

जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर एनएच-57 पर स्थित होने के कारण आने जाने वालों की नजर बरबस ही इस पार्क पर चली जाती है। इस पार्क में बॉटनी के शोधकर्ताओं के लिए इतना मटेरियल है कि उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। साथ ही इस पार्क में सैलानियों के लिए कई तरह की व्यवस्था है जिससे उनका समय कैसे कट जाएगा, यह पता ही नहीं चल पाता है।
Also Read Story

35 एकड़ में फैले इस पार्क में वृक्षों की इतनी प्रजातियां हैं कि उन्हें देखते देखते आपका मन नहीं भरेगा। इस पार्क में अगर अब पूरी तरह से घूमा जाए, तो तकरीबन चार किलोमीटर से अधिक लंबी टाइल्स की सड़कें बनी हुई हैं। पेड़ पौधों की सैकड़ों अद्भुत प्रजातियां हैं।
यह भी पढ़ें: वादों और घोषणाओं में सिमटा अररिया का खुला चिड़ियाघर
इनमें विदेशी बांस की कई प्रजातियां भी हैं। साथ में औषधियों की भी एक वाटिका बनाई गई है, जहां कई प्रकार के औषधीय वृक्ष व पौधे लगाए गए हैं। पिकनिक स्पॉट के लिए यह जगह काफी उपयुक्त है और साथ ही पढ़ाई करने वालों के लिए भी यह जगह काफी फायदेमंद साबित हो रही है।

पूर्णिया से महज 30 किलोमीटर दूर
35 एकड़ में फैले इस जैवविधता उद्यान तक पहुंचना काफी आसान है। अगर आप पूर्णिया मुख्यालय से यहाँ आते हैं, तो आपको सिर्फ तीस किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
इस पार्क में एक विशाल कछुए के आकार वाला विमर्श केंद्र है, जिसमे कॉन्फ्रेंस करने की व्यवस्था की गयी है। यहाँ शोधकर्ताओं के ठहरने के लिए पांच इको हट बनाए गए हैं। इसकी बनावट पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

इको हट को पत्थर, बांस जैसे लुक दिए गए हैं, जो सैलानियों को फोटोग्राफी करने के लिए ललचाता है। इस उद्यान में एक खूबसूरत प्रकृति व्याख्या केंद्र बनाया गया है, जिसका भवन काफी सुन्दर है। इस भवन की बनावट पुराने भवन की याद दिलाती है।

पार्क में बच्चों के खेलने के लिए घास के बड़े मैदान हैं। पार्क में पूर्णिया से आये एक परिवार की सदस्य अल्पना गुप्ता और ऋचा गुप्ता ने बताया कि हमें जब यहाँ के बारे में पता चला, तो अपने आप को रोक नहीं पाए। यहाँ आने से पता चला कि ये जैवविविधता उद्यान पिकनिक मनाने के लिए काफी उपयुक्त जगह है।

खासकर इस पार्क में ज्यादा स्पेस होने के कारण लोगों को कहीं भी बैठकर पिकनिक का आनंद उठाना सहजता महसूस कराता है। पार्क की खास विशेषता यह है कि यहां चारों ओर सिर्फ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। शांतिपूर्ण समय बिताने के लिए यह पार्क काफी लाभदायक साबित हो रहा है।
बिहार का पहला जैवविविधता उद्यान
कुसियारगांव बायोडायवर्सिटी पार्क वन विभाग के अधीन है। इसलिए इसके मुख्य पदाधिकारी डीएफओ होते हैं। उन्होंने बताया कि यह जैव विविधता उद्यान बिहार का पहला उद्यान है। इसलिए इस पार्क की अपनी अलग विशेषता है।
यह भी पढ़ें: सैलानियों को लुभा रही उत्तर बंगाल की बंगाल सफारी
उन्होंने बताया कि अभी इस उद्यान में वृक्षों की 180 प्रजातियां हैं, जिनमें क्षुप 60, ताल 50, भू आच्छादित वनस्पति 30, लता 30, साबू सरु 15, वनकुंवर 14 और पूरे देश व विदेशों के बांस की 35 प्रजातियां लगाई गई हैं जो शोधकर्ताओं के लिए काफी उपयोगी होगी।

उन्होंने बताया कि यहां एक पौराणिक वन भी लगाया गया है, जहाँ औषधि वाटिका, तितली वाटिका, लता वाटिका, वृक्ष वाटिका, ताल वाटिका और बांस वाटिका हैं जो शोधकर्ताओं के साथ पर्यटकों को भी काफी लुभाते हैं। हिमालय रेंज से नजदीक होने के कारण इस पार्क में विदेशी पर्यटकों का आना होगा, ऐसी संभावना है। उन्होंने बताया कि अभी वन विभाग की ओर से कई नई प्रजातियों के पेड़ पौधे और लगाए जा रहे हैं।

साथ ही पार्क को विकसित करने के लिए यहां एक तलाब का भी निर्माण कराया जा रहा है। बताया जाता है कि पार्क में एक फव्वारे का भी निर्माण कराया गया है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।

कोविड-19 के चलते दो साल बंद रहा कुसियरगांव बायोडायवर्सिटी पार्क
कुसियरगांव बायोडायवर्सिटी पार्क के रखरखाव का जिम्मा निजी कंपनी को दिया गया था। पिछले 2 वर्षों से कोविड का प्रकोप होने के कारण पार्क को लगभग बंद कर दिया गया था। इस वजह से पार्क में अभी वैसी व्यवस्था नहीं हो पा रही है जैसी पहले थी। क्योंकि कोरोना के चलते रेस्तरां बंद कर दिए गए हैं। साथ ही रखरखाव का काम भी धीमी गति से हो रहा है, इसलिए अभी कह सकते हैं कि पार्क की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है जितनी होनी चाहिए।

2018 में खुला था कुसियरगांव बायोडायवर्सिटी पार्क
गौरतलब हो कि इस बायोडायवर्सिटी पार्क को आम लोगों के लिए साल 2018 में खोला गया था। पर्यावरण व वन विभाग के इस पार्क का उद्घाटन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने किया था। उस समय वन विभाग के सचिव व कई आला अधिकारी भी वहां मौजूद थे।

लैब में विकसित होती हैं पौधों की प्रजातियां
बायोडायवर्सिटी पार्क में जो मुख्य प्रशासनिक भवन है, उसके ऊपर के एक हिस्से पर हाईटेक लैब बनाया गया है। इस लैब में कई प्रकार के पौधों की प्रजातियों को नए तरीके से विकसित किया जा रहा है, जिसमें बांस की प्रजातियां भी शामिल हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वह जगह पूरी तरह से वर्जित क्षेत्र है और वहां आने जाने पर पाबंदी है। लैब के अधिकारी ने बताया कि एक महीने के अंदर ही वहां बांस के नए पौधे तैयार हो जाएंगे।
किशनगंज: इतिहास के पन्नों में खो गये महिनगांव और सिंघिया एस्टेट
अररिया का एकमात्र बस स्टैंड बदहाल, बुनियादी सुविधाएं नदारद
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Nice Will definitely come to this garden, I feel very good
I think authorities of araia should visit any bus stand of Haryna and find what bus stand should be merely laying of brick it requires amenities for passengers.viz toilet shed for sittting etc. I have come to know irrigation deptt is blocking the pace of work
D.M Araria should take bold stand in this.tegard.
I think authorities of araia should visit any bus stand of Haryna and find what bus stand should be merely laying of brick it requires amenities for passengers.viz toilet shed for sittting etc. I have come to know irrigation deptt is blocking the pace of work
D.M Araria should take bold stand in this.tegard.