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किशनगंज: पोठिया में जर्जर भवन गिराने को लेकर संवेदक और बीडीओ के बीच मतभेद का क्या है पूरा मामला?

बिहार के किशनगंज जिलांतर्गत पोठिया प्रखंड परिसर में जर्जर भवन को ध्वस्त करने को लेकर संवेदक और प्रखंड विकास पदाधिकारी के बीच मतभेद सामने आया है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
kishanganj what is the whole matter of difference of opinion between the sensor and bdo regarding demolition of dilapidated building in pothia

बिहार के किशनगंज जिलांतर्गत पोठिया प्रखंड परिसर में जर्जर भवन को ध्वस्त करने को लेकर संवेदक और प्रखंड विकास पदाधिकारी के बीच मतभेद सामने आया है। भवन निर्माण विभाग ने पोठिया प्रखंड परिसर में जर्जर हो चुके सरकारी भवनों को तोड़ने का आदेश दिया था। भवन प्रमंडल किशनगंज के जूनियर इंजीनियर, सहायक इंजीनियर और कार्यपालक इंजीनियर सहित पोठिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रखंड परिसर में तीन स्टाफ क्वार्टर और तीन वेटरनरी शेड को ध्वस्त करने के लिए चिन्हित किया था।


भवनों की नीलामी में ग्वालपोखर थाना निवासी राशिद इक़बाल और उनके साथी इंतेखाब आलम ने सबसे अधिक बोली लगाकर जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के अधिकार खरीदे थे। 6 में से पांच जर्जर भवनों को गिरा दिया गया लेकिन एक आवासीय भवन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। संवेदक का कहना है कि पोठिया के बीडीओ मोहम्मद आसिफ, उन्हे़ं अधिकृत भवन तोड़ने से रोक रहे हैं जिसे उन्होंने खुद भवन प्रमंडल के अधिकारियों के साथ मिलकर चिन्हित किया था।

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बीडीओ ने बताया क्या है पूरा विवाद

पोठिया प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) मोहम्मद आसिफ ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि भवन निर्माण विभाग के आदेशानुसार प्रखंड अंचलाधिकारी, जूनियर इंजीनियर और सहायक इंजीनियर के साथ उन्होंने संयुक्त रूप से प्रखंड परिसर के जर्जर भवनों का निरीक्षण किया था।


इसके बाद भवन निर्माण विभाग के पत्रांक 638 में किशनगंज जिलाधिकारी के निर्देश पर जर्जर भवनों को ढाहने की नीलामी हुई जिसमें 3 स्टाफ क्वार्टर और 3 वेटरनरी शेड को ध्वस्त करना तय हुआ।

“इसमें संवेदक द्वारा 3 वेटरनरी शेड और दो बिल्डिंग जो स्टाफ क्वार्टर है, उन्हें तोड़ दिया गया। शेष बिल्डिंग जिसमें स्टाफ रह रहे हैं, उसकी इंस्पेक्शन रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को दि जा चुकी है। संवेदक या ये दावा है कि जो अच्छी बिल्डिंग है, जिसमें रिहाइश हो रही है उसको तोड़ने का आदेश मिला है लेकिन उनके पास कोई ऐसा लिखित पत्र नहीं है। बगल में खंडहर हो चुकी भवन है उसको तोड़ने का निर्देश प्राप्त है,” पोठिया बीडीओ मोहम्मद आसिफ ने कहा।

उनका कहना है कि रिहाइश वाले भवन की मरम्मत के लिए भवन निर्माण विभाग से योजना भी ली गई है लेकिन संवेदक उसे तोड़ने पर अड़े हैं।

दैनिक जागरण की समाचार को बताया तत्यहीन

पोठिया बीडीओ ने दैनिक जागरण में छपे समाचार को तत्यहीन बताया और उसकी निंदा की। दरअसल पिछले दिनों दैनिक जागरण ने “नीलामी के बाद भी जर्जर सरकारी क्वार्टर खाली नहीं कर रहे कर्मी” के शीर्षक के साथ एक खबर छापी थी जिसमें कहा गया था कि जर्जर आवास में गलत तरीके से कर्मी रह रहे हैं। लेख में सहायक इंजीनियर, भवन प्रमंडल किशनगंज का बयान छापा गया था।

उस खबर में सहायक इंजीनियर, जहांगीर ने ‘जर्जर’ सरकारी क्वार्टर को ध्वस्त करने में देरी होने को लेकर संवेदक द्वारा लिखित शिकायत मिलने की बात कही। सहायक इंजीनियर ने पोठिया के प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र भेजकर नीलाम हो चुके भवन में रहने को ‘गैर कानूनी’ बताया।

दैनिक जागरण की एक दूसरी खबर में तथाकथित जर्जर भवन मे तीन वर्षों से अंचल डाटा ऑपरेटर प्रसनजीत कुमार के रहने की बात कही गई और किशनगंज पदाधिकारी का बयान छापा गया। किशनगंज डीएम विशाल राज ने इस घटना पर धैर्य रखने की सलाह देते हुए मामले के समाधान का आश्वासन दिया।

“बिना मेरा पक्ष लिए हुए दैनिक जागरण के समाचार पत्रों में भ्रामक और गलत तथ्य के आधार पर खबर प्रकाशित हो रही है जो निंदनीय है,” पोठिया बीडीओ ने ‘मैं मीडिया’ से कहा।

संवेदक ने बीडीओ पर क्या-क्या आरोप लगाए

वहीँं, इस मामले में संवेदक ने आरोप लगाया है कि जर्जर भवन को नया दिखाने के लिए उसपर रंग रोगन कर मरम्मत का काम शुरू किया गया। इस आरोप को निराधार बताते हुए बीडीओ मोहम्मद आसिफ ने कहा. “अगर संवेदक को यह बिल्डिंग ध्वस्त करने की अनुमति मिली हुई है तो उनके पास पत्र होगा। इसमें कोई अगर-मगर वाली बात नहीं है। अगर उनके पास पत्र है तो यह बिल्डिंग विभाग क्लियर करेगा।”

वह आगे कहते हैं, “संयुक्त निरीक्षण में हमलोगों ने बिल्डिंग विभाग को जो रिपोर्ट दी थी, उसमें उल्लिखित ढांचों को उनके द्वारा तोड़ दिया गया है। एक खंडहर और है जो जर्जर स्थिति में है, उसकी जगह एक अच्छी बिल्डिंग है जिसमें रिहाइश हो रही है उसको तोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो नियम के विरुद्ध है।”

इसके बाद हमने संवेदक इंतेखाब आलम से बात की। उन्होंने ‘मैं मीडिया’ से बताया कि पोठिया प्रखंड परिसर में जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के लिए नीलामी में वह और उनके साथी मोहम्मद राशिद इक़बाल ने सबसे बड़ी बोली लगाई। इसके बाद निर्देशानुसार तय समय सीमा के अंदर उन्होंने नीलामी की राशि 1,66,000 रुपये जमा की। 19 सितंबर 2024 को पोठिया प्रखंड विकास पदाधिकारी ने उनके वर्क आर्डर पत्र को रिसीव कर ध्वस्त करने के लिए जर्जर भवनों को चिन्हित कराया।

आगे इंतेखाब ने बताया कि इसके अगले दिन भवन प्रमंडल से जूनियर इंजीनियर ने भी स्थल पर पहुंच कर जर्जर भवनों की निशानदेही की और फिर उन्हें तीस दिनों के अंदर उन्हें तोड़कर उसकी सामग्री हटाने का समय दिया गया।

दस्तावेज़ों में मिली अहम जानकारी

‘मैं मीडिया’ को मिले दस्तावेज़ों में से एक पत्र नीलामी की रकम (1,66,000) की पुष्टि करता है। इस अंग्रेजी रिपोर्ट में बीडीओ पोठिया और भवन प्रमंडल किशनगंज के अधिकारियों द्वारा किये गए संयुक्त निरीक्षण का जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट में ‘काफी खराब स्थिति’ वाले तीन स्टाफ क्वार्टर और तीन वेटेरनरी शेड को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया है जिस पर जूनियर इंजीनियर, सहायक इंजीनियर और कार्यपालक इंजीनियर के हस्ताक्षर मौजूद हैं।

8 जनवरी 2024 को प्रखंड विकास पदाधिकारी ने किशनगंज जिला पदाधिकारी को एक पत्र (पत्रांक 18) लिख कर जर्जर भवन की सूची भेजी थी। इस सूची में प्रखंड -सह -अंचल कार्यालय पोठिया, प्रखंड विकास पदाधिकारी का आवासीय भवन, अंचल अधिकारी का आवासीय भवन, ग्रामीण आवास योजना का कार्यालय भवन, स्टाफ क्वार्टर (कुल आठ भवन) शामिल थे।

इंतेखाब आलम के अनुसार संवेदक के तौर पर उन्होंने 3 वेटरनरी शेड और दो स्टाफ क्वार्टर तोड़ दिया है लेकिन बीडीओ पोठिया ने उन्हें तीसरा स्टाफ क्वार्टर तोड़ने से मना कर दिया।

इंतेखाब कहते हैं, “हमें उनके कार्यालय में बुलाया गया तो हम कागज़ात लेकर वहां गए। बीडीओ साहब का कहना था कि ‘अंचल डाटा ऑपरेटर उसमें रह रहा है, इसको छोड़ दिया जाए इसके एवज़ में हम आपको दूसरा भवन दे रहे हैं।’ इसके बाद हमने कहा कि इस बारे में हमको भवन प्रमंडल के किसी अधिकारी से बात करने दीजिये क्योंकि मेरा जो नीलामी हुआ है वह स्टाफ क्वार्टर लेकर हुआ है और वो दूसरा भवन उप स्वास्थ केंद्र है बहुत पहले का।”

“बीडीओ साहब ने जेई साहब से कहा कि ‘इस घर को छोड़ देना था, हमारे ध्यान में नहीं रहा। आप इसके बदले वो वाला भवन दे दीजिये, इस भवन में स्टाफ रहता है,’ जेई साहब बोले कि यही वाला (जो पहले चिन्हित हुआ था) भवन है और वह चले गए,” इंतेखाब ने आगे कहा।

“स्टाफ क्वार्टर की जगह उप स्वास्थ केंद्र तोड़ने को कह रहे हैं”

‘मैं मीडिया’ से बातचीत में बीडीओ मोहम्मद आसिफ ने कहा था कि संवेदकों के पास रिहाइश वाले भवन को तोड़ने का आदेश नहीं है। अगर आदेश है तो वे लाकर दिखाएं।

संवेदक राशिद इक़बाल और इंतेखाब आलम का कहना है कि उन्हें जिस जर्जर भवन की अनुमति मिली थी उसे बीडीओ मोहम्मद आसिफ तोड़ने नहीं देना चाहते। क्योंकि संवेदकों के पास दूसरे भवन (उपस्वास्थ केंद्र) को तोड़ने का आदेश नहीं है इसलिए वे उसमें हाथ नहीं लगाना चाहते। संवेदक उपस्वास्थ केंद्र के जर्जर भवन को तोड़ने के लिए भवन प्रमंडल विभाग से लिखित आदेश की मांग कर रहे हैं।

इंतेखाब कहते हैं, “जो बिल्डिंग हमलोग पहले तोड़े थे उसमें कौन कागज़ दिखाए थे? वो भी तो बीडीओ साहब ने चिन्हित किया था। वह मुझे चिन्हित कर दें, हम तोड़ देंगे लेकिन सबकुछ लिखित में होना चाहिए। वो भवन तो उपस्वास्थ केंद्र है और मेरे पास स्टाफ क्वार्टर का निर्देश है। हमने बीडीओ से कहा था कि मेरा दावा इस बिल्डिंग पर है आप जो भी बिल्डिंग हमको इसके एवज़ में देंगे हमको लिखित आदेश चाहिए, मौखिक काम हम नहीं करेंगे कल को हम पर लीगल मामला भी हो सकता है।”

“काम रुकने से हुआ 36,000 का नुकसान”

संवेदक इंतेखाब आलम का आरोप है कि वह तीन दिन तक लेबर लेकर प्रखंड परिसर जाते रहे लेकिन बीडीओ ने उन्हें भवन तोड़ने नहीं दिया। इसके बाद संवेदक रशीद इक़बाल और इंतेखाब ने भवन प्रमंडल किशनगंज के कार्यपालक इंजीनियर को पत्र लिख कर जर्जर भवन न तोड़े दिए जाने की शिकायत की। पत्र में सवेदक रशीद इक़बाल ने तीन दिनों तक काम न होने के कारण 36,000 रुपये के नुक्सान का ज़िक्र किया।

इसके बाद ज्ञापांक 1519, 21 अक्टूबर 2024 को कार्यपालक इंजीनियर ने पोठिया के बीडीओ को पत्र लिख कर जर्जर भवन को जल्द खाली करा कर ध्वस्त कार्य कराने के लिए कहा।

संवेदक इंतेखाब ने बताया कि बीडीओ पोठिया ने चिन्हित जर्जर स्टाफ क्वार्टर की सफाई शुरू कर दी। इसके बाद संवेदक ने किशनगंज जिला पदाधिकारी से मुलाकात की तो जिला पदाधिकारी विशाल राज ने उन्हें मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया।

“अगले दिन हम गए तो देखे उस क्वार्टर स्टाफ में रंग किया जा रहा था। हमने कागज़ दिखाया तो रंग करने वाले चले गए और फिर बीडीओ साहब ने आकर कहा ‘क्यों रोके तुमलोग, तुम्हारे कहने से नहीं होगा, मैं बीडीओ हूँ। हमलोग तब से ऑफिस का चक्कर काट रहे हैं पर अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है,” इंतेखाब ने बताया।

दैनिक जागरण की खबर को संवेदक ने बताया सही

“बीडीओ साहब 12 से 15 दिन टालमटोल किए, मेरा काम नहीं हो पाया। अखबार में जो खबर छपी थी उसकी हमको कोई जानकारी नहीं थी लेकिन वह हमसे बोले कि ‘तुम पेपर बाज़ी करते हो’, बीडीओ साहब इस मामले को पर्सनल ले लिए, ईगो पर ले लिए। जो अख़बार में छपा है वो बिलकुल सही है।”

संवेदकों का कहना है कि जिस स्टाफ क्वार्टर को लेकर विवाद है वही मुख्य कारण था उनकी बोली लगाने का। अगर वो भवन नहीं मिलता है तो उन्हें भारी नुक्सान उठाना पड़ेगा। “हमलोग को पहले पता होता कि यह भवन नहीं मिलेगा तो हमलोग बोली में भाग भी नहीं लेते,” इंतेखाब ने कहा।

संवेदक इंतेखाब आलम से बातचीत के बाद हमने पोठिया प्रखंड के बीडीओ मोहम्मद आसिफ से दोबारा उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। कई बार फ़ोन करने के बाद भी उनकी तरफ से कॉल का जवाब नहीं आया।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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