यह किशनगंज के पोठिया प्रखंड अंतर्गत दामलबाड़ी पंचायत का गैंडवा गांव है। राज्य में नल जल योजना के लागू होने के बावजूद इस गांव के लोगों को अभी तक पीने का साफ पानी नसीब नहीं हुआ है। लोग गांव के ही ट्यूबवेल से आयरन युक्त पानी पीने को मजबूर हैं जो इनके लिए कई बीमारियों का कारण बन रहा है। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार वार्ड मेंबर समेत अन्य संबंधित लोगों से बात कर साफ पानी की मांग की है, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिल पाया है।
झूठे आंकड़े!
देश में लोगों को पीने का साफ़ पानी उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने साल 2019 में ‘हर घर नल से जल’ योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर में साल 2024 तक साफ पानी उपलब्ध कराना है। इसको सभी राज्यों के साथ साझेदारी में लागू किया गया। बिहार सरकार द्वारा इस योजना का शुभारंभ 28 अगस्त 2020 को हुआ।
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इसी वर्ष मार्च में बिहार सरकार ने सात निश्चय योजना की सफलता के आधार पर 38 ज़िलों की रैंकिंग जारी की जिसमें किशनगंज जिले को राज्य में पहला रैंक मिला है। किशनगंज को सात निश्चय योजना के विभिन्न योजनाओं में कुल प्राप्तांक 92.92 प्रतिशत अंक दिया गया है। इस समेकित प्रतिवेदन में किशनगंज को ‘हर घर जल का नल योजना’ ग्रामीण क्षेत्र में 100 प्रतिशत अंक दिया गया है जबकि शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 97.9 प्रतिशत है।
सत्ताधारी पार्टी के विधायक ने उठाए सवाल
किशनगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक इज़हारुल हुसैन ने इस रैंकिंग पर सवाल उठाया है और कहा कि ज़मीनी स्तर पर हर घर नल योजना विफल रही है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव दामलबाड़ी में जल नल सप्लाई को लेकर चार वर्ष पूर्व अधिकारियों से शिकायत की थी लेकिन अब तक वहाँ पानी की सप्लाई नहीं हो पायी है। उनका मानना है कि सरकार की स्कीम बहुत अच्छी है लेकिन निचले अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह योजना फेल हो रही है।
विधायक इज़हारुल हुसैन ने आगे बताया कि ग्रामीण इलाक़ों के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में भी नल जल योजना की हालत बेहद ख़राब है। उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों को चेतवानी देते हुए कहा कि समय रहते नलजल योजना में सुधार लाएं नहीं तो जनता जब आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरेगी तो मैं भी जनता के साथ रहूँगा।
क्या कहते हैं वार्ड सदस्य
गैंडवा गांव के ही वार्ड सदस्य सलित कुमार पंडित कहते हैं, बिहार सरकार का आदेश है कि घर-घर तक नल पहुंचे लेकिन यहां तो पूरा गांव ही खाली है। वह अपने गांव के अलावा 2-3 और गांव के नाम लेकर बताते हैं जहां पर अभी तक लोगों को नल जल योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
जनवरी 2023 में प्रभात खबर की वेबसाइट पर छपी एक खबर के अनुसार बिहार सरकार द्वारा चयनित तकनीकी एजेंसी के माध्यम से एक सर्वे शुरू हुआ था। इस सर्वे में नल जल योजना से छूटे हुए घरों को चिन्हित किया जाना था और मार्च 2023 से पहले छूटे हुए सभी घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था।
स्थानीय गांव निवासी कालीचरण बताते हैं कि उनके आसपास के ज्यादातर गांवों में पानी पहुंच चुका है, मगर उनके गांव में पानी नहीं आया है। उनका मानना है कि शायद उनका गांव सरकार की पहुंच से थोड़ा दूर है इसलिए अब तक पानी नहीं पहुंच पाया है।
ग्रामीण ईश्वर चंद पंडित बताते हैं कि उनके गांव के लोग ट्यूबवेल का पानी पीने को मजबूर हैं जो आयरन युक्त है। इस पानी को पीने से उनके गांव के लोगों को पथरी और गैस जैसी बीमारियों की समस्या हो रही है। आगे उन्होंने बताया कि इस पानी में बदबू भी आती है जिस कारण बहुत से लोग बाहर से पानी खरीद कर पीते हैं।
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