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डॉ जावेद ने संसद में कहा-“किशनगंज के लोगों को सरकारी योजनाओं में हिस्सा मिले”

लोकसभा में शनिवार को किशनगंज के सांसद डॉ मोहममद जावेद ने 2023 के आम बजट को गरीब, किसान, मज़दूर, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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लोकसभा में शनिवार को किशनगंज के सांसद डॉ मोहममद जावेद ने 2023 के आम बजट को गरीब, किसान, मज़दूर, पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया।

उन्होंने कहा कि देश की संपत्ति का 80% हिस्सा देश के 10% अमीरों के पास है और उनका जीएसटी में सिर्फ 3% योगदान है। डॉ जावेद ने आगे कहा , “10% अमीरों की टैक्स दर 37% से घटाकर 25% कर दी गई, जो कि शर्मनाक है। दूसरी तरफ 50% जो सबसे ग़रीब हैं वे 64% टैक्स देते हैं उनके लिए कटौती बढ़ती जा रही है।”

उन्होंने बिहार के बारे में कहा कि मौजूदा सरकार ने बिहार के लोगों के लिए कुछ नहीं सोचा। यह सरकार बिहार के लिए कोई योजना नहीं ला रही, क्योंकि वह बिहार के मज़दूरों को गरीब रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को पिछली बार 89 हज़ार करोड़ का बजट दिया गया था, जिसे इस बार घटाकर 60 हज़ार करोड़ कर दिया गया। देश में 30 करोड़ की आबादी अल्पसंख्यकों की है लेकिन इस बार अल्पसंख्यक बजट भी 38% घटा दिया गया है।


डॉ जावेद ने जामिया, एएमयु और मौलाना आज़ाद कॉलेज का बजट कम करने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने आगे कहा, “72% मुस्लिम लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री का वाक्य है सबका साथ सबका विकास और वह सब बेटियों को पढ़ाने की बात करते हैं, तो क्या मुसलमान की बच्चियां उसमें नहीं आती हैं। अगर देश को विश्वगुरु बनाना है तो अल्पसंख्यकों को, कमज़ोरों को, एससी, एसटी को साथ लेकर चलना होगा।”

डॉ जावेद ने किशनगंज से जलालगढ़ तक रेलवे की शुरुआत करने की बात कही और साथ साथ उन्होंने किशनगंज में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज बनवाने की मांग की। उन्होंने आगे कहा, “सीता मां की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी का विकास करने की ज़रूरत है और हमारे यहां एकलव्य स्कूल बनना चाहिए और प्रधानमंत्री कौशल विकास जैसी योजनाओ में किशनगंज के लोगों का भी हिस्सा होना चाहिए।”

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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